सूरत की कीम नदी में जहरीले केमिकल वाले पानी के कारण हज़ारों मछलियों की हुई मौत

सूरत के ओलपाड़ विस्तार में नदी में जहरीले केमिकल छोड़ने के कारण हजारों मछलियों का दम घुटने के कारण मौत हो गई। सूरत में जहरीले केमिकल का यह दूसरा मामला है।

February 3, 2022 - 19:38
February 4, 2022 - 11:43
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सूरत की कीम नदी में जहरीले केमिकल वाले पानी के कारण हज़ारों मछलियों की हुई मौत
नदी में जहरीले केमिकल के कारण हज़ारों मछलियों की मौत- फोटो: gettyimages

सूरत जिले के ओलपाड विस्तार में हजारों मछलियां जहरीले केमिकल के कारण दम घुटने से मरी हुई पाई गई हैं। घटना के बाद सुबह ग्रामीणों को नदी में अनगिनत मछलियां मृत दिखाई दी तो यह मामला सामने आया। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई दिनों से कुछ अराजक तत्व नदी के आस-पास केमिकल फैक्ट्रियों के जहरीले केमिकल को रात के समय में नदी में छोड़ देते हैं। कीम नदी में पहले से ही जहरीला केमिकल छोड़ा जाता रहा है। जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो गया है। हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है कि पानी के अत्यधिक प्रदूषित होने से हजारो मछलियों की दम घुटने से मौत हुई है।

प्रशासन पर स्थानीय लोगों का आरोप

जब स्थानीय लोगों को मृत मछलियों की जानकारी मिलने के बाद से लोग पानी से मछलियों को अलग करके पानी साफ करने में लग गए थे। स्थानीय लोगों का कहना था कि कीम नदी में पानी के प्रदूषण की शिकायत हमने गुजरात पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और क्लेक्टर से की थी। वहीं ओलपाड़ विस्तार के किसान नेता दर्शन नायक ने आरोप लगाया कि गुजरात पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और क्लेक्टर को लिखित और मौखिक शिकायत दर्ज करवाई गई थी। अगर प्रशासन की तरफ से ठोस कार्यवाई की गई होती तो ऐसी स्थिति नहीं बनती।

बता दें कि इस मामले में अभी तक प्रशासन या गुजरात पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से कोई आधिकारिक बयान और जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है और साथ ही साथ प्रशासन ने अभी तक कोई औपचारिक जांच या कार्यवाही का आदेश भी नहीं दिया है।

सूरत में दूसरी बार जहरीला केमिकल कांड

ओलपाड विस्तार में जहरीले केमिकल ने मछलियों की जान ले ली है। वहीं बीते महीने में सचिन क्षेत्र के ओद्यौगिक विस्तार यानी सचिन GIDC(Gujarat Industrial Devlopment Corporation) में टैंकर से जहरीले कैमिकल के रिसाव के कारण कपड़ा मिल के 6 श्रमिकों की मौत हो गई थी, जबकि 25 श्रमिकों की स्थिति नाजुक होने के कारण उन्हें तत्काल सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां आज भी उनका इलाज चल रहा है।

क्या है प्रदूषित पानी की रोकथाम

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज जिले में दारागंज स्थित एक विशेष पानी फ़िल्टर प्लांट 10 वर्ष पहले लगाया गया था। जो काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यह प्लांट शहर के गंदे पानी(सीवर पानी) को इक्कट्ठा कर प्लांट में फ़िल्टर करता है। इस प्लांट में 4 स्टेज(श्रेणी) के सीढ़ीनुमा स्तर हैं मतलब यह प्लांट गंदे पानी में से पहले पानी और मलबे(कचरे) को अलग करता है, जिसके बाद गंदे पानी को फिर से मलबे से अलग करता है। तीसरा काम अलग हुए गंदे पानी की सफाई की जाती है, चौथे चरण में गंदे पानी को अच्छे से सफाई करके उसको गंगा नदी में छोड़ने युक्त फ़िल्टर बनाया जाता है। जिसके बाद गंगा में वह पानी छोड़ दिया जाता है। इस तरह की शुरुआत लखनऊ और वाराणसी में भी हो चुकी है, जिससे पानी के प्रदूषण से बचा जा सकता है। देश के कुछ अन्य प्रदेशों में भी पानी के प्रदूषण को नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से साफ किया जा रहा है, जो पानी के प्रदूषण को काफी हद तक कम करने में सक्षम है।

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