Monkey Pox Virus :क्या है मंकी पॉक्स वायरस, MonkeyPox के लक्षण और बचाव क्या हैं?
What is Monkey Pox Virus: दुनिया भर में दहशत फैलाने के बाद मंकी पॉक्स नामक बीमारी ने भारत में दस्तक दे दी है। भारत में मंकी पॉक्स का पहला केस केरल के कोल्लम में पाया गया है ये शख्स हाल ही में यूएई से लौटा था और अब दूसरा केस भी केरल में ही पाया गया है।
who की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंकी पॉक्स के 50 से ज्यादा देशों में 6000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि मौतों का आंकड़ा 70 के पार पहुंच चुका है इनमें से ज्यादातर मामले यूरोप और अमेरिका के देशों के हैं। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये मंकीपॉक्स है क्या?
मंकीपॉक्स एक वायरल बुखार है जिसके मरीज पिछले दिनों अफ्रीका समेत कई देशों जैसे सिंगापुर, यूके, अमेरिका के देशों में पाए गए हैं। मंकी पॉक्स के लक्षण स्मॉल पॉक्स जैसे ही होते हैं। यानी जिसे हम आम भाषा में (छोटी माता) भी कहते है। मंकी पॉक्स एक जिनोटिक बीमारी होती है जिसका मतलब होता है जानवरो से इंसानों में फैलने वाली बीमारी। आखिर मंकी पॉक्स जैसा फेसिनेटेड नाम रखने के पीछे की वजह क्या है??
इसकी वजह है साल 1950 के दशक में जिन बंदरों को रिसर्च के लिए प्रयोग किया जाता था उनमें ये बीमारी सबसे पहले देखने को मिली तब से ही इस बीमारी का नाम मंकी पॉक्स रख दिया गया। इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो इसमें सबसे पहले मरीज को तेज़ बुखार आता है, सिर में तेज दर्द, मांसपेशियों में दर्द महसूस होना और इन सब लक्षणों के 3 से 4 दिन बाद शरीर पर रैशेज पड़ने लगते हैं। बाद में यही रैशेज फफूंद का रूप ले लेते हैं। आने वाले 8 से 10 दिन बाद ये फफोले अलग-अलग चरणों से गुजर कर झड़ जाते हैं।
स्मॉल पॉक्स के जैसे दिखने वाले इन फफूंद फफोलों को मंकी पॉक्स कहा जा रहा है। इस बीमारी से ठीक होने में पेशेंट यानी मरीज को 4 हफ्ते का समय लग जाता है। लेकिन इस बीमारी के गंभीर परिणामों की बात करें तो विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें 100 में से 10 लोगों में मौत तक भी हो जाती है। लेकिन ऐसे परिणाम बहुत कम केस में ही देखने को मिलते हैं। अब आपके मन में सवाल होंगा कि आखिर मंकी पॉक्स किन किन कारणों से हो सकते हैं?
पहला कारण अगर कोई इंसान किसी ऐसे जानवर के संपर्क में आता है जिसे मंकी पॉक्स है तो उसे हो सकती है ये बीमारी। दुसरा कारण अगर कोई ऐसा जानवर काट ले जिसे मंकीपॉक्स है तो भी खतरा है कि उस इंसान को ये बीमारी हो जाए। और अब तीसरा ऐसा कारण जिसकी संभावना सबसे अधिक है अगर मंकी पॉक्स से संक्रमित पेशेंट किसी स्वस्थ इंसान के संपर्क में आता है तो दूसरे व्यक्ति को छूने से बीमारी के फैलने की आशंका बढ़ जाती है। लेकिन राहत की बात ये है कि ये कोविड़ जैसी बीमारियों के मुकाबले कम फैलता है और इसके संक्रमण का तरीका भी अलग है।
अब बात करते हैं इलाज की , कि इसके इलाज की प्रक्रिया क्या है?? मंकीपॉक्स का इलाज भी बाकी की वायरल बीमारियों की तरह ही होता है। इसमें सबसे पहले डॉक्टर द्वारा पेरासिटामोल की गोलियां खिलाई जाती है। पेशेंट को पानी की मात्रा बराबर दी जाती है। रेस्ट करवाया जाता है । लेकिन इस पूरी बीमारी से ऊबरने में 3 से 4 हफ्ते लग जाते हैं।