दिल्ली में अवैध प्रवासियों का बढ़ता संकट: जेएनयू की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
जेएनयू की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की बढ़ती संख्या दिल्ली की जनसांख्यिकी, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रोफेसर मनुराधा चौधरी और प्रोफेसर प्रीति डी. दास के नेतृत्व में तैयार की गई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या दिल्ली की जनसांख्यिकी, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल रही है।
"Illegal Immigrants to Delhi: Analysing Socio-economic and Political Consequences"नामक इस विस्तृत अध्ययन में दावा किया गया है कि दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे शहर के बुनियादी ढांचे, रोजगार अवसरों और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इस रिपोर्ट को प्रो. मनुराधा चौधरी (डीन ऑफ स्टूडेंट्स, जेएनयू) और प्रो. प्रीति डी. दास (सेंटर फॉर रशियन एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू) के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है।
अवैध प्रवास से प्रभावित क्षेत्र
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में अवैध प्रवासियों की सबसे अधिक संख्या सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, जामिया नगर, ओखला, सुल्तानपुरी, गोविंदपुरी, जाकिर नगर, द्वारका, रोहिणी और भलस्वा डेयरी जैसे क्षेत्रों में केंद्रित है। इन इलाकों में अवैध प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे स्थानीय जनसंख्या अनुपात और शहरी संसाधनों पर गहरा असर पड़ा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन प्रवासियों की उपस्थिति से दिल्ली के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार, इन प्रवासियों की वजह से मुस्लिम जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 1951 से 2011 के बीच देखी गई थी।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या से दिल्ली की आर्थिक संरचना पर गहरा असर पड़ा है। रिपोर्ट में पाया गया कि ये प्रवासी अधिकतर असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जैसे कि:
- निर्माण क्षेत्र (कंस्ट्रक्शन साइट्स)
- घरेलू कामकाज
- सड़क विक्रय (फुटपाथ पर दुकानें और खोमचे)
- रिक्शा और अन्य परिवहन सेवाएं
रोजगार पर प्रभाव:
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने दिल्ली के स्थानीय श्रमिकों के लिए रोजगार अवसर कम कर दिए हैं। इन प्रवासियों की सस्ती श्रमशक्ति के कारण स्थानीय मजदूरों की मजदूरी दरों में गिरावट आई है, जिससे उनके आर्थिक हालात और खराब हुए हैं।
शहरी बुनियादी ढांचे पर असर:
अवैध प्रवासियों की उपस्थिति से दिल्ली के बुनियादी ढांचे पर भी गहरा असर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन प्रवासियों के कारण दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा प्रणाली, पेयजल आपूर्ति और परिवहन सेवाएं अत्यधिक प्रभावित हुई हैं।
- स्वास्थ्य सेवाएं: अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भार बढ़ गया है, जिससे दिल्ली के स्थायी निवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
- शिक्षा व्यवस्था: सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ने से शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ा है।
- झुग्गी बस्तियों का विस्तार: अवैध प्रवासियों की वजह से झुग्गी बस्तियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे पर्यावरणीय क्षति हो रही है और अवैध निर्माण कार्यों को बढ़ावा मिल रहा है।
सुरक्षा और अपराध से जुड़े मुद्दे
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई अवैध प्रवासी अपराध गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें अवैध प्रवासियों की संलिप्तता पाई गई है।
मुख्य अपराध:
- मानव तस्करी
- फर्जी दस्तावेजों का निर्माण
- मादक पदार्थों की तस्करी
- चोरी और अन्य छोटे-मोटे अपराध
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अवैध प्रवासियों के पास अक्सर फर्जी आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पाए गए हैं, जो स्थानीय नागरिकों के लिए सरकारी योजनाओं के लाभ में बाधा डाल सकते हैं।
सरकार और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा का रुख:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों का समर्थन करते हुए दिल्ली सरकार से अवैध प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या राष्ट्रीय सुरक्षा और संसाधनों के वितरण के लिए खतरा है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया:
वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह मुद्दा राजनीतिक लाभ के लिए उछाला जा रहा है और अवैध प्रवासियों को मानवीय दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है।
रिपोर्ट में सुझाए गए समाधान
जेएनयू की रिपोर्ट में इस समस्या से निपटने के लिए कई सिफारिशें दी गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
1. सीमा नियंत्रण को मजबूत करना: भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा कड़ी करने के लिए अधिक निगरानी और तकनीकी सुधार आवश्यक हैं।
2. दस्तावेज सत्यापन अभियान: अवैध प्रवासियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फर्जी दस्तावेजों की जांच और निरसन किया जाना चाहिए।
3. अवैध बस्तियों को हटाने की योजना: अनधिकृत बस्तियों को हटाने और वैध पुनर्वास नीतियों पर काम करने की जरूरत है।
4. स्थानीय रोजगार संरक्षण: दिल्ली के स्थानीय श्रमिकों के लिए विशेष रोजगार योजनाएं और न्यूनतम मजदूरी दरें सुनिश्चित की जानी चाहिए।
5. आपराधिक गतिविधियों की निगरानी: अवैध प्रवासियों द्वारा किए जा रहे अपराधों की रोकथाम के लिए दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों को और मजबूत किया जाना चाहिए।