Wrestlers' Protest: कितना सख्त है POCSO एक्ट, जिसको बदलने की मांग कर रहे हैं बृजभूषण सिंह
बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष, बृजभूषण सिंह के मुताबिक पॉक्सो कानून का 'दुरुपयोग' हो रहा है और बच्चों, बुजुर्गों और संतों के खिलाफ इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। वे अपने वक्तव्य में संतों की मदद से सरकार पर दबाव डालने की बात कह रहे हैं ताकि पॉक्सो कानून में संशोधन किया जा सके।
पॉक्सो कानून में बदलाव की मांग पूरे देश में उठी है, जहां बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाने के लिए इस कानून की जरूरत महसूस की जाती है। बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष, बृजभूषण सिंह, भी इस मांग का समर्थन कर रहे हैं। उनके मुताबिक, पॉक्सो कानून का 'दुरुपयोग' हो रहा है और बच्चों, बुजुर्गों और संतों के खिलाफ इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। वे अपने वक्तव्य में संतों की मदद से सरकार पर दबाव डालने की बात कह रहे हैं ताकि पॉक्सो कानून में संशोधन किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस कानून का उचित इस्तेमाल नहीं हो रहा है और इससे अधिकारियों को भी असहाय बनाया जा रहा है।
बृजभूषण सिंह पर भी पॉक्सो के तहत केस
बृजभूषण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं, जिसमें उन्हें पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप लगाया गया है, जबकि दूसरी एफआईआर उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित है। यह आरोप उन पहलवानों द्वारा लगाया गया है जो जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे। रविवार को सरकार द्वारा उन्हें जबरन वहां से हटा दिया गया। पहलवानों ने दावा किया है कि बृजभूषण सिंह ने उनके साथ नाबालिग रेसलर का शोषण किया है। इस मामले की जांच अभी चल रही है और विधिक कार्रवाई के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
क्या है पॉक्सो एक्ट?
पॉक्सो (Protection of Children from Sexual Offences Act) एक कानून है जिसका मतलब होता है 'बच्चों की सेक्सुअल अपराधों से सुरक्षा'. यह कानून 2012 में लागू किया गया था। इस कानून का उद्देश्य यह है कि बच्चों को यौन शोषण और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से सुरक्षित रखा जाए। यह कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों पर लागू होता है।
पॉक्सो एक्ट के तहत दी जाने वाली सजाएं
यदि कोई व्यक्ति 16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का दोषी पाया जाता है, तो उसे उम्रकैद की सजा हो सकती है। साथ ही, दोषी व्यक्ति को भारी जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है।
- अगर किसी पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट के दौरान बच्चे की मौत हो जाती है, तो इस मामले में दोषी को तथ्यात्मक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए और उसे यथानिर्धारित कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा दी जानी चाहिए। ऐसी स्थिति में, कम से कम 20 साल की कैद या उम्र कैद या फिर मौत की सजा हो सकती है। दोषी को उम्रकैद की सजा के दौरान जेल में ही रहना होगा।
-इसके अलावा, दोषी को अतिरिक्त जुर्माना भी दिया जा सकता है, जो किसी भी आपत्तिजनक कार्य के लिए या बच्चे की मौत के लिए उचित माना जाता है। यह जुर्माना अधिकतम सजा के अतिरिक्त होता है और दोषी को अपने आपराधिक कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराता है।
इस तरह, यह सुनिश्चित किया जाता है कि इस गंभीर अपराध के लिए समाज में न्याय स्थापित किया जा सके साथ ही बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता मिले।
पॉक्सो एक्ट के आंकड़े?
पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए मामलों के आकड़ों के मुताबिक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देशभर में करीब 54 हजार मामले दर्ज किए गए थे। इससे पहले, 2020 में 47 हजार मामले दर्ज हुए थे। 2017 से 2021 के बीच, पांच सालों में पॉक्सो एक्ट के तहत 2.20 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है।
पॉक्सो एक्ट के तहत कन्विक्शन रेट काफी कम हैं। पांच साल के अंतराल में 61,117 आरोपियों के ट्रायल पूरे हुए हैं। इसमें से केवल 21,070 यानी लगभग 35% आरोपियों को सजा सुनाई गई है। बाकी 37,383 आरोपियों को बरी कर दिया गया है।