माहवारी के वक्त अधिक स्वच्छता और सतर्कता का प्रबंधन

जब एक महिला या लड़की को मासिक धर्म / पीरियड् होता है तब वह शारीरिक के साथ साथ मानसिक समस्या से भी गुजरती है। मासिक धर्म में महिलाओं और लड़कियों को सफाई का बहुत ही खास ध्यान रखना चाहिए। जिससे कि इंफेक्शन के साथ साथ उनकी इनफर्टिलिटी से संबंधी कोई समस्या न हो। माहवारी स्वच्छता के बारे में महिलाओं को जागरूक करने के लिए जर्मन के एनजीओ वॉश यूनाइटेड ने 28 मई 2014 को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की शुरुआत की थी।

May 26, 2021 - 16:03
December 8, 2021 - 12:22
 0
माहवारी के वक्त अधिक स्वच्छता और सतर्कता का प्रबंधन

जब एक महिला या लड़की को मासिक धर्म / पीरियड् होता है तब वह शारीरिक समस्या के साथ-साथ मानसिक समस्या से भी गुजरती है। मासिक धर्म में महिलाओं और लड़कियों को सफाई का बहुत ही खास ध्यान रखना चाहिए। जिससे कि इंफेक्शन के साथ साथ उनकी इनफर्टिलिटी से संबंधी कोई समस्या न हो। माहवारी स्वच्छता के बारे में महिलाओं को जागरूक करने के लिए जर्मन के एनजीओ वॉश यूनाइटेड ने 28 मई 2014 को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की शुरुआत की थी। जो हर साल वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खुद से सामने आकर लोगों को जागरूक कर रहें हैं। ऐसी ही झारखण्ड की एक महिला हैं रश्मि साहा जो गाँव, कस्बे, सरकारी स्कूल जा कर महिलाओं और लड़कियों को मासिक स्वच्छता के बारे में जागरूक करती हैं। रश्मि मुक्ति मिशन की संस्थापक हैं और इन्हें झारखंड की पैडविमन कहा जाता है। रश्मि साहा के साथ माहवारी के दिनों में स्वच्छता और लोगों की धारणा के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। बातचीत का ब्यौरा रुबिना वारसी के शब्दों में :

माहवारी के दौरान स्वच्छता क्यों जरूरी है? क्यों हमें इसके बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए?

स्वच्छता एक ऐसी चीज है जो बचपन से ही हमें सिखाई जाती है। सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक हम स्वच्छता का ख्याल रखते है। माहवारी हमारे जीवन का हिस्सा है। जैसे खुद को साफ रखने के लिए हमें रोज ब्रश करना और नहाना चाहिए ठीक उसी तरह माहवारी के वक्त हमें स्वच्छता रखनी चाहिए। हमारे समाज में माहवारी के बारे में लड़कियों को खुल कर बताया नहीं जाता इस पर खुल कर बातें नहीं होती हैं। हम लड़कियां इस चीज से गुजरतीं हैं इसी लिए माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूक करना बहुत जरुरी है। मैं सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि उनके माता-पिता, आस पास के लोगों को चाहे लड़के हो या उनके साथ आदमी हो सभी तक माहवारी और उससे जुड़ी स्वच्छता की एक बुनियादी जानकारी पहुंचा रही हूं। ताकी लड़कियों को सपोर्ट मिले जब वह इस दौर से गुजरें। 

पहले हम माहवारी और उससे जुड़ी स्वच्छता के बारे में खुल कर बात क्यों नहीं करते थे? आज इस पर बात करना क्यों जरूरी हो गया है?

जरूरी हमेशा से रहा है। लेकिन कहते है न “Sweep  under  the  carpet” हम चीजों को छिपाने में यकीन रखते थे। आज सोशल मीडिया और मीडिया ने चीजों को सामने लाने में काफी मदद कर रहें हैं। अगर हम आज की पीढ़ी की बात करें तो इंटरनेट की वजह से वे चीजों को काफी ज्यादा ट्रेंडिंग कर देते है। पहले भी लोग जागरूक करते थे अलग अलग तरीकों से पर यही है कि सामने कितने लोग आ पाए? उनके बारे में कितने लोगों को पता लग पाया? मैं अपनी बात करूंगी मैंने सबसे पहले अपने पापा को बताया था। ऐसा कोई टबू नहीं था। पापा ने पूरा सपोर्ट किया। लेकिन हां कुछ ऐसे भी लोग थे जो इसके बारे में बात करना पसंद नहीं करते थे चाहे जो भी हो जाए।

क्या आज के इस दौर में जहां लड़कियों के पास इतने सारे विकल्प मौजूद है, इसमें कपड़े का इस्तेमाल करना कितना सही है?

अगर बात सिर्फ कपड़े की हो रही है तो मेरा खुद का मानना है कि सही या गलत जैसा कुछ नहीं होता है। क्योंकि देखो आज के समय में हम लोग वापस से कपड़ों पर ही आ रहें हैं जैसे की “क्लॉथ पैड”। जो बाकी के मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स है जैसे सैनिटरी पैड, टैंपोन ये सब एक तो बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं जो हमारे वातावरण के लिए ठीक नहीं है। दूसरा कहते हैं इनमें केमिकल होता है। मेरे हिसाब से कोई भी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करना चाहे मेंस्ट्रुअल कप हो, सैनिटरी पैड, टैंपों वगैरह अपनी बहुत ही व्यक्तिगत पसंद है। जैसे खाना हम अपने पसंद से खाते हैं। वैसे ही पीरीयड प्रोडक्टस का चयन करना हमारी अपनी निजी पसंद है। लेकिन इन चीजों को इस्तेमाल करने के साथ साथ आपको अपने शरीर का ख्याल रखना है और अपने आस पास के वातावरण का भी। ऐसा नहीं है कि कपड़ा इस्तेमाल करना सही नहीं है क्योंकि इतने सालों से तो औरतें कपड़ा इस्तेमाल करते आई हैं। अब ऐसा भी नहीं है कि पहले परेशानी नहीं होती थी। पहले भी परेशानी होती थी जो पता नहीं लग पाती थी और ये भी नहीं है कि आज परेशानी नहीं हो रही है। आज बस पता चल रहा है और इसका इलाज हो रहा है। आप कोई भी पीरीयड प्रोडक्टस का प्रयोग करें बस उसका रख रखाव पर पूरा ध्यान दें। सही तरीके से इस्तेमाल करें। अगर कपड़े का प्रयोग करें तो उसे गंदे पानी से न धोएं, साफ पानी से साफ करें, कड़ी धूप में सुखने दें। सैनिटरी पैड या टैंपों के इस्तेमाल करने के बाद उसे कही भी न फेंके, कचड़े के डिब्बे में ही फेंके जिससे हमारा वातावरण भी साफ रहे। 



पीरीयड प्रोडक्टस को लड़कियां कितनी देर तक इस्तेमाल कर सकतीं हैं?

माहवारी के दौरान समय सीमा समझना बहुत जरूरी है और ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है। हर लड़की का पीरीयड फ्लो हर महीने अलग होता है। हमें फ्लो के हिसाब से पैड, टैंपोन या किसी भी पीरीयड प्रोडक्टस को बदलना चाहिए। अगर ज्यादा फ्लो हो रहा है तो ऐसा नहीं है कि हम इंतजार करेंगे कि जो हमें बताया गया समय है उस समय में ही पैड बदलना है। हम बताए गए समय से पहले ही पैड बदलेंगे। ठीक वैसे ही अगर फ्लो कम हो तो ये नहीं है कि हम पैड को ज्यादा देर तक इस्तेमाल करते रहें। ऐसा करने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। मेंस्ट्रुअल कप का समय भी 10 से 12 घंटे का होता है लेकिन उसे भी पीरीयड फ्लो के हिसाब से खाली कर लेना चाहिए। 

छोटी बच्चियां जिनका पहला माहवारी शुरु हुआ है या होने वाला है उन्हें माहवारी स्वच्छता के बारे में कैसे शिक्षित करें?

उन्हें झूठा जुमला बताने की बजाएं वैज्ञानिक रूप से समझायाजाना चाहीए ताकि उनके मन में कोई गलत धारणा न बनें। बाकी इन्हीं सब चीजों के बारे में शिक्षा देने के लिए मैं और मेरे जैसे लोग हैं जो मासिक धर्म और उससे जुड़ी स्वच्छता के बारे में बच्चियों और उनके आस पास के लोगों को जागरूक कर रहे हैं तो आप हमारी सहायता भी ले सकतें हैं।