यूएपीए एक्ट के मामलों में गिरफ्तारी का बढ़ता आंकड़ा और अंधकार की तरफ अग्रसर युवाओं का भविष्य
देश की संप्रभुता और एकता के खिलाफ काम करने वाली ताकतों व गतिविधियों को रोकने के लिए सन् 1967 में एक कानून लाया गया। जिसे Unlawful Activities Prevention Amendment act (UAPA) कहा गया। तब से लेकर आज तक इस कानून में चार बार संशोधन हो चुके हैं।
National Crime Records Bureau (NCRB) की रिर्पोट के अनुसार पिछले 5 सालों में UAPA एक्ट के अंतर्गत लगभग 7840 लोगों को देशद्रोह के मामलों में गिरफ्तार किया गया है। जिसमें से केवल 115 लोगों पर ही आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के सबूत मिले हैं। आंकड़ों के अनुसार बात करें तो यूएपीए एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें से लगभग 60% से भी अधिक मुकदमों में 30 वर्ष से कम के युवा शामिल हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। युवा पीढ़ी पर लगातार लग रहे देश की संप्रभुता और एकता को खंडित करने के आरोपों के बढ़ते आंकड़ों का मंजर भविष्य के लिए अनेक सवाल खड़े कर रहा है। वहीं यह भी सोचने का विषय है कि युवा वर्ग ऐसा क्या कर रहा है कि उन पर यूएपीए जैसा देशद्रोह कानून चलाना पड़ रहा है। आईए जानते हैं इस कानून के बारे में:-
आखिर क्या है UAPA:
गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम UAPA की फुल फॉर्म Unlawful Activities Prevention Act होती है। जिसका अर्थ है गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम। इस कानून का प्रयोग आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। किसी व्यक्ति के देश के प्रति वैचारिक विरोध, आंदोलन या दंगे भड़काने संबंधित गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर यह एक्ट लगाया जा सकता है। UAPA कानून में किसी व्यक्ति के दोषी पाए जाने पर उसे सरकारी या प्राइवेट नौकरी तथा सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिलता है। संशोधन के बाद यह कानून राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को और अधिक अधिकार देता है। वहीं यह अधिकार आतंकी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को केवल शक के आधार पर पकड़ सकती है और उसे आतंकी संगठन से जुड़े होने पर कार्रवाई भी कर सकती हैं।
UAPA एक्ट का इतिहास और उसमें हुए संशोधन
देश की संप्रभुता और एकता के खिलाफ काम करने वाली ताकतों व गतिविधियों को रोकने के लिए सन् 1967 में एक कानून लाया गया। जिसे Unlawful Activities Prevention Amendment act (UAPA) कहा गया। तब से लेकर आज तक इस कानून में चार बार संशोधन हो चुके हैं। अंतिम संशोधन 2019 में इस कानून को और मजबूत करने के लिए किया गया था। इस संशोधन में कुछ नए व कड़े नियमों को जोड़ा गया, जो निम्न हैं-
- यूएपीए कानून पूरे देश में लागू होता है।
- यूएपीए एक्ट से गिरफ्तार व्यक्ति को अग्रिम जमानत नहीं दी जाती है।
- यह कानून NIA को अधिकार देता है, कि वह किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति या संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सकता है।
- NIA अब साइबर क्राइम और मानव तस्करी से जुड़े मामलों में भी जांच कर सकता है।
- NIA भारत के बाहर भी जांच कर सकता है, लेकिन उस जांच में अपराधी का भारतीय होना आवश्यक है।