पृथ्वी का ग्राउंड वॉटर खत्म होने से लगातार धंसती जा रही दिल्ली-एनसीआर की जमीन

अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 से 2016 के बीच जमीन के अंदर से ज्यादा मात्रा में पानी निकालने के कारण हर साल 11 सेंटीमीटर की दर से जमीन धंस रही थी। जो दो साल बाद लगभग 50% बढ़कर 17 सेंटीमीटर प्रति वर्ष हो गई।

February 3, 2022 - 19:29
February 6, 2022 - 08:42
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पृथ्वी का ग्राउंड वॉटर खत्म होने से लगातार धंसती जा रही दिल्ली-एनसीआर की जमीन
ग्राउंड वॉटर खत्म होने से लगातार धंसती जा रही दिल्ली- फ़ोटो: Gettyimages

आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay), जर्मन रिसर्च सेंटर, अमेरिका की कैम्ब्रिज और सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी ने सेटेलाइट डाटा को एनालाइज करने के बाद दिल्ली-NCR में लैंड सब्सिडेंस को लेकर एक रिसर्च जारी की है। इस रिसर्च के अनुसार दिल्ली-NCR में जमीन के अंदर से इतना ज्यादा पानी निकाला जा रहा है, कि आने वाले समय में दिल्ली-एनसीआर के आस-पास के 100 वर्ग किमी. के एरिया में लैंड सब्सिडेंस यानी जमीन धंसने की समस्या सामने आ सकती है।

रिसर्च में किए गए दावे

अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 से 2016 के बीच जमीन के अंदर से ज्यादा मात्रा में पानी निकालने के कारण हर साल 11 सेंटीमीटर की दर से जमीन धंस रही थी। जो दो साल बाद लगभग 50% बढ़कर 17 सेंटीमीटर प्रति वर्ष हो गई। रिपोर्ट की मानें तो खतरे वाले इलाकों में एयरपोर्ट के पास कापसहेड़ा इलाके की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि इस इलाके के 12.5 वर्ग किमी एरिया में जमीन धंसने की संभावना जताई गई है।

एक्सपर्ट ने बताए जमीन धंसने के प्रमुख कारण

प्रो. सीमा मेहरा परिहार, जियोलॉजिस्ट और रिमोट सेंसिंग एंड GIS एक्सपर्ट का कहना है कि, 'इस रिपोर्ट को जानने के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि जमीन धंसना (Land Subsidence) क्या होता है?

एक्सपर्ट ने बताया कि पृथ्वी की ऊपरी परत को Upper Layer कहते है। जब Upper Layer किसी कारण नीचे की तरफ यानी Lower Level की तरफ झुकना शुरू कर देती है, तो उसे लैंड सब्सिडेंस या जमीन धंसना कहा जाता है। जमीन धंसने के मुख्य रूप से तीन कारण होते हैं।

 - पहला कारण माइनिंग (Mining) अर्थात पृथ्वी के नीचे (Lower Level) से  विभिन्न प्रकार के खनिजों को बाहर निकालना। इसके कारण कई बार जमीन नीचे की तरफ धंसने लगती है।

- दूसरा कारण जमीन के नीचे से तेल निकालने की प्रक्रिया है। जिसमें जमीन की ऊपरी परत के धंसने की संभावना होती है।

- तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है, जमीन के नीचे से अधिक मात्रा में पानी निकालना जिस कारण भूमिगत जल (Ground Water) कम हो जाता है। ग्राउंड वॉटर कम होने के कारण जमीन का ऊपरी भाग कमजोर हो जाता है। जिसके बाद जमीन धंसने का खतरा बढ़ जाता है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर बढ़ सकता है खतरा

अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे (Geological Survey) के मुताबिक दुनिया भर में 80% जमीन धंसने का प्रमुख कारण ग्राउंड वॉटर का कम होना पाया जाता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली एयरपोर्ट के आस पास की जमीन के धंसने का खतरा सबसे ज्यादा है। क्योंकि एयरपोर्ट को ऑपरेट (Operate) करने के लिए एक स्टेबल यानी स्थिर जमीन की जरूरत पड़ती है। यदि एयरपोर्ट की जमीन में किसी भी तरह का क्रैक (Crack) बनता है तो उससे बड़ी दुर्घटना होने की संभावना जताई जाती है।

दिल्ली के अलावा अन्य इलाकों में जमीन तेजी से धंस सकती है

ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041 के अनुसार, साल 2031 तक दिल्ली में प्रतिदिन 1,746 मिलियन गैलन पानी की जरूरत पड़ सकती है। वहीं दिल्ली में पानी की जरूरत को जमीन के अंदर से पानी निकालकर पूरा किया जाता है। जिसके कारण पानी का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। एक्सपर्टस का मानना है कि दिल्ली, गुरुग्राम के बीच जो 7.5 किलोमीटर लंबी सड़क खराब हुई है, उसके पीछे का कारण जमीन का धंसना है। यह सड़क पिछले पांच सालों में 70 सेंटीमीटर से ज्यादा नीचे धंस चुकी है। दिल्ली-NCR में बिजवासन, समलखा, कापसहेड़ा, साध नगर, बिंदापुर और महावीर एन्क्लेव इलाकों में भी जमीन तेजी से धंस रही है, जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। दिल्ली के अलावा गुरुग्राम के सेक्टर 22A और C ब्लॉक और फरीदाबाद के गांधी मेमोरियल नगर के पॉकेट A,B और C भी ऐसे इलाके हैं जहां जमीन धंसने की सम्भावना ज्यादा है।

दिल्ली में पानी की लगातार बढ़ती मांग

दिल्ली में ग्राउंड वॉटर तेजी से कम हो रहा है, जिससे एक तरफ जमीन नीचे धंस रही है तो दूसरी तरफ पानी की किल्लत हो रही है। दिल्ली में पानी की डिमांड लगभग 1,236 मिलियन गैलन प्रतिदिन (MGD) है तथा डिमांड और सप्लाई के बीच 300 MGD पानी का अन्तर है। ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041 (Draft Master Plan 2041) के मुताबिक दिल्ली में साल 2031 में पानी की मांग बढ़कर 1,746 MGD तक पहुंच सकती है।

दिल्ली के साथ-साथ कई राज्यों में ग्राउंड वॉटर की कमी

दिल्ली में तो ग्राउंड वॉटर तेजी से खत्म ही रहा है, इसके अलावा भारत के कई राज्यों में ग्राउंड वॉटर की कमी देखी जा रही है। साल 2019 में जारी विश्व संसाधन संस्थान (World Resource Institute) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुछ राज्यों (हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर) में ग्राउंड वॉटर की कमी हो रही है।

ग्राउंड वॉटर की कमी को कैसे दूर करें

टाउन प्लानर दिक्षु कुकरेजा का कहना है कि, ग्राउंड वॉटर की कमी को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका वर्षा जल संचयन (Rain-Water Harvesting) है। अर्थात वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय या इकट्ठा करके उसका उपयोग करना। इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण भी पानी की कमी को रोकने का एक बेहतर तरीका है, क्योंकि बढ़ती जनसंख्या के कारण पानी की ज्यादा डिमांड बढ़ेगी। बढ़ती डिमांड से एरिया के ग्राउंड वॉटर पर प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को अनदेखा न करते हुए वर्तमान मांगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बीच संतुलन लाना आवश्यक है। जो Sustainable Development के अन्तर्गत आता है। इस डेवलपमेंट को भी राज्य और केंद्र सरकारों की पॉलिसी में होना बेहद जरूरी है। इन सभी तरीकों का प्रयोग करके ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज (Ground Water Recharge) किया जा सकता है।