Rajasthan News: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, कांग्रेस सरकार के इस नियम को किया रद्द

Rajasthan News: कांग्रेस सरकार द्वारा वर्ष 2022 में इस पद का सृजन किया गया था, लेकिन अब इस पर कोई नई नियुक्ति या पदोन्नति नहीं होगी।

April 1, 2025 - 12:15
April 1, 2025 - 12:42
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Rajasthan News: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, कांग्रेस सरकार के इस नियम को किया रद्द

Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल का पद समाप्त कर दिया है। कांग्रेस सरकार द्वारा वर्ष 2022 में इस पद का सृजन किया गया था, लेकिन अब इस पर कोई नई नियुक्ति या पदोन्नति नहीं होगी। वर्तमान वाइस प्रिंसिपल के सेवानिवृत्त या पदोन्नत होने के साथ ही यह पद स्वतः समाप्त होता जाएगा।

इसके स्थान पर सरकार ने अब सीनियर लेक्चरर का नया पद सृजित किया है, जिसका वेतनमान पे-लेवल 14 रखा गया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 12,421 वाइस प्रिंसिपल पद बनाए गए थे, लेकिन अब इनकी जगह सीनियर लेक्चरर पदों की व्यवस्था लागू होगी।

पे-लेवल 14 पहले से ही 20 हजार से अधिक लेक्चरर्स को मिल रहा

राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा के अनुसार, लेक्चरर पद पर कार्यरत शिक्षकों को 9 साल की सेवा के बाद पे-लेवल 14 मिल जाता है। 2016 से पहले नियुक्त किए गए लेक्चरर्स पहले से ही इस वेतनमान का लाभ उठा रहे हैं, जिनकी संख्या 20,000 से अधिक है। ऐसे में सरकार के इस फैसले से वरिष्ठ अध्यापकों के प्रमोशन का मार्ग प्रशस्त होगा और सीधी भर्ती की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

स्कूलों में 12 हजार लेक्चरर की कमी थी

शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में यह सामने आया कि स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल की जरूरत नहीं थी और इसके चलते 12 हजार लेक्चरर पदों की कमी हो गई थी। वाइस प्रिंसिपल पद बनाए जाने से न केवल शिक्षकों को आर्थिक नुकसान हो रहा था, बल्कि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या भी कम हो गई थी। अब सरकार ने इस पद को खत्म कर सीनियर लेक्चरर के पद सृजित किए हैं, लेकिन आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रति स्कूल कितने वरिष्ठ व्याख्याता होंगे।

बच्चों को ज्यादा लेक्चरर मिलेंगे

अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ के प्रवक्ता देवनारायण गुर्जर के अनुसार, वाइस प्रिंसिपल के सप्ताह में केवल 18 पीरियड होते थे, जबकि लेक्चरर को 33 पीरियड लेने होते हैं। इस बदलाव से छात्रों को अधिक शिक्षकों की उपलब्धता मिलेगी और शिक्षण व्यवस्था बेहतर होगी।

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