आजादी के अमृत महोत्सव पर जानिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जरूरी बातें
भारत इस साल स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है, इस मौके पर जानिए देश के तिरंगे के बारे मे कुछ तथ्य
भारत की आजादी को 75 साल पूरे हो चुके हैं।यह साल आजादी के अमृत महोत्सव के रुप में मनाया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 11 अगस्त से हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत की जा रही है, जिसमें सभी लोग अपने घर पर तिरंगा लगाएंगे। साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अगस्त से ही सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल फोटो पर भी तिरंगा लगाने के लिए लोगों से अपील की है।
क्या आप जानते हैं 2 अगस्त का राष्ट्रीय ध्वज से क्या जुड़ाव है?
दरअसल, 2 अगस्त को पिंगली वैंकेया का जन्मदिवस होता है, जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को बनाया था और रूप–रेखा प्रदान की थी। खुद के अथक परिश्रम के द्वारा उन्होंने तीन रंगों का चुनाव किया–केसरिया ,सफेद और हरा। जिसमे केसरिया रंग को सबसे ऊपर रखा, सफेद रंग बीच में और हरा रंग सबसे नीचे रखा। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 रखा। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र रखा जो कि अशोक स्तंभ से लिया गया।
पिंगली वैंकेया द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय ध्वज को भारत की आजादी की घोषणा से 4 दिन पहले अर्थात् 22 जुलाई सन् 1947 को संविधान सभा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपना लिया ।
बता दें,भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक क्षैतिज तिरंगा है।
राष्ट्रीय ध्वज में प्रयुक्त रंग और उनका उद्देश्य–
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में शीर्ष भाग में केसरिया (भगवा)रंग है, जो देश की पराक्रम और साहस को दर्शाता है। मध्य भाग में सफेद रंग है जो शांति का संकेत देता है। नीचे के भाग में हरा रंग है जो भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता को दर्शाता है।
चक्र–
यह चक्र धर्मचक्र होता है जिसे अशोक स्तंभ से लिया गया है।इसमें 24 तीलियां होती हैं जो मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।
सूत्रों के अनुसार,29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया गया था। बता दें,आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली.हालांकि तिरंगे को फहराने का उचित समय सूर्योदय से सूर्यास्त माना गया है लेकिन तिरंगे को रात में भी फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई।
भारत के केवल तीन स्थानों पर फहराए जाते हैं 21 × 14 फीट का ध्वज–
पूरे भारत में 21 × 14 फीट के ध्वज केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं:
1. कर्नाटक का नारगुंड किला,
2. महाराष्ट्र का पनहाला किला और
3.मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।
बता दें,राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरों और अमूल्य रत्नों से बनाया गया है।भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन अथवा राष्ट्रीय शोक की घोषणा होती है तो कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है, लेकिन ऐसा सिर्फ उसी भवन में होता है जिस भवन में वह पार्थिव शरीर रखा है।जब पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता है, तब ध्वज को ऊपर उसकी स्थिति में कर दिया जाता है।
क्या करना उचित–
1. ध्वज के सम्मान को प्रेरित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना चाहिए।
2. सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का कोई सदस्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप सभी दिनों और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है।
3. देश के लिए प्राण देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता है. इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शव को जलाने या दफनाने के बाद उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी विसर्जित कर देना चाहिए।
4. कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे को भी सम्मान के साथ जला दिया जाना चाहिए जिस प्रकार पार्थिव शरीर को जलाया जाता है।ध्वज को सम्मान के साथ विसर्जित करना चाहिए।
5. ध्वज बनाने में मुख्यतः खादी कपड़े का प्रयोग करना चाहिए।
क्या करना अनुचित–
1. ध्वज का प्रयोग किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक लाभ के लिए नहीं करना चाहिए।
2. ध्वज को कभी भी जमीन पर नहीं गिराना चाहिए और ना ही उसके संपर्क में आना चाहिए।
3. ध्वज को कभी भी अधोवस्त्र के रूप में नहीं पहनना चाहिए।
4. ध्वज के ऊपर कोई दूसरा ध्वज नहीं लगाना चाहिए।
5. ध्वज को कभी भी झुकाकर नहीं रखना चाहिए।