Rahul Gandhi Birthday: 52 साल के हुए राहुल गांधी, जानिए क्यों नाम बदलकर लंदन में किया था काम ?
Rahul Gandhi: पढ़ाई के बाद राहुल लंदन में माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी में काम करने लगे। राहुल ने सुरक्षा कारणों से रॉल विंसी के नाम से वहां काम किया। उनके साथी भी नहीं जानते थे कि वे राजीव गाँधी के बेटे और इंदिरा गाँधी के पोते हैं।
प्यार से ‘आर जी' कहे जाने वाले राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) का जन्म 19 जून 1970 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था। राहुल गांधी आज 52 साल के हो गए हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के सुपुत्र हैं। बता दें कि राहुल की दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं तथा राहुल गाँधी फिलहाल लोकसभा में केरल के वायनाड से सांसद हैं।
राहुल की पढ़ाई
राहुल गांधी ने शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में की, उसके बाद दून स्कूल में भी पढ़े जहाँ से राजीव गाँधी ने भी पढ़ाई की थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद , सुरक्षा कारणों से फिर उन्हें दिल्ली में ही घर पर रह कर पढ़ना पड़ा। साल 1989 में राहुल दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ने गए, उनका स्पोर्ट्स कोटा में वहाँ एडमिशन हुआ था लेकिन कॉलेज छोड़कर वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए और वहाँ से कला स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद राहुल ने 1995 में केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से डेवलपमेंट स्टडीज़ में एमफिल किया है।
खेलकूद और फिटनेस के शौकीन
राहुल खेल कूद और घूमने फिरने के शौकीन हैं। उन्हें तैराकी, बॉक्सिंग, पैराग्लाइडिंग, पिस्टल शूटिंग आदि करना पसंद है। वे अपनी फिटनेस का भी पूरा ख्याल रखते हैं और अपने पिता की तरह हवाई जहाज भी उड़ाना जानते हैं।
नाम बदलकर किया काम
पढ़ाई के बाद राहुल लंदन में माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी में काम करने लगे। राहुल ने सुरक्षा कारणों से रॉल विंसी के नाम से वहां काम किया। उनके साथी भी नहीं जानते थे कि वे राजीव गाँधी के बेटे और इंदिरा गाँधी के पोते हैं। राहुल स्वदेश लौटने पर 2002 में मुंबई की एक कंपनी में काम करने लगे और उस कंपनी के ग्रुप आफ डायरेक्टर्स के सदस्य भी बन गए।
राहुल का सियासी सफ़र
साल 2003 में राहुल सार्वजनिक समारोहों, कांग्रेस की बैठकों में नज़र आने लगे और अटकलें लगाई जाने लगीं। वन डे मैच देखने के लिए राहुल बहन प्रियंका गाँधी के साथ सद्भावना यात्रा पर पाकिस्तान भी गए थे। वहीं साल 2004 में राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा, अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत गए।
मिली बड़ी जिम्मेदारी
राहुल गाँधी का पार्टी में कद बढ़ने लगा। 2006 में आंध्र प्रदेश में हुए कांग्रेस के एक सम्मेलन में पार्टी के हज़ारों सदस्यों ने राहुल गांधी से पार्टी में और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की बात कही। राहुल गाँधी को 24 सितंबर 2007 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त किया गया। उन्हें युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ की जिम्मेदारी भी मिली। 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 21 सीटें अपने नाम की।
ठुकरा दिया मंत्री पद
राहुल गाँधी का कद बढ़ता गया और 2013 में उन्हें कांग्रेस का उपाध्यक्ष बना दिया गया । इससे पहले कांग्रेस में उपाध्यक्ष का पद नहीं हुआ करता था। बता दें कि राहुल गाँधी ने 2009 में मनमोहन सरकार में मंत्री पद लेने से अस्वीकार कर दिया था और पार्टी में काम करते रहे थे।
2024 में है मौका
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में विपक्ष कमजोर दिख रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ममता बेनर्जी ने साबित कर दिया है कि मोदी और शाह की जोड़ी को हराया जा सकता है। ऐसे में राहुल गांधी के पास कांग्रेस को मजबूत करने का पूरा मौका है। 2024 का आम चुनाव भी आने वाला हैं जिसमें राहुल गांधी कमाल दिखा सकते हैं।