बाड़मेर के शिक्षक जोगाराम सारण: ढाणी में पुस्तकालय स्थापित कर शिक्षा की अलख जगाई
बाड़मेर जिले के गरल गांव में शिक्षक जोगाराम सारण(Jogaram Saran) ने अपनी ढाणी में एक अनूठा पुस्तकालय स्थापित किया है, जिसमें 1130 से अधिक पुस्तकें और 2000 पत्र-पत्रिकाएं संग्रहित हैं। वर्ष 1999 में एक इतिहास की किताब से शुरू हुई यह यात्रा आज ग्रामीण शिक्षा का केंद्र बन गई है। सारण ने पुस्तकालय को 'श्री किसान शोध संस्थान लाइब्रेरी' नाम दिया है और यह लोगों को निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराता है। उन्होंने खुद 11 पुस्तकें लिखी हैं और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

बाड़मेर, राजस्थान | राजस्थान के बाड़मेर जिले के गरल गांव में शिक्षक जोगाराम सारण ने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और पुस्तकों के प्रति प्रेम को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उन्होंने अपनी ढाणी में 'श्री किसान शोध संस्थान लाइब्रेरी' की स्थापना की है, जिसमें 1,130 से अधिक पुस्तकें और लगभग 2,000 पत्र-पत्रिकाएं संग्रहित हैं। यह पुस्तकालय न केवल ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का केंद्र बन गया है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
पुस्तकालय की स्थापना और उद्देश्य
जोगाराम सारण, जो पेशे से शिक्षक हैं, ने 1999 में इतिहास से संबंधित अपनी पहली पुस्तक खरीदी थी। इसके बाद से उन्होंने विभिन्न विषयों पर पुस्तकें एकत्रित करना शुरू किया। समय के साथ, उनका संग्रह इतना विस्तृत हो गया कि उन्होंने अपनी ढाणी में एक अलग कमरा बनवाकर पुस्तकालय की स्थापना की। इस पुस्तकालय का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और पठन-पाठन में रुचि रखने वालों को निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराना है। पाठक पुस्तकें पढ़ने के बाद उन्हें वापस लाइब्रेरी में जमा कर देते हैं, जिससे यह ज्ञान का सतत स्रोत बना रहता है।
लेखन कार्य और सामाजिक योगदान
पुस्तकों के प्रति अपने प्रेम के चलते जोगाराम सारण ने अब तक 11 पुस्तकों का लेखन किया है, जिनमें 'बाड़मेर के जाट गौरव', 'जाटों की लोक कथाएं', 'अमर शहीद चौधरी ताराचंद', 'जाट महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग' और 'गांव ढाणी के मौसम वैज्ञानिक' प्रमुख हैं। इसके अलावा, उन्होंने एक दर्जन से अधिक स्मारिकाओं का संपादन भी किया है। उनके लेख राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, जिससे उनके ज्ञान और अनुभव का लाभ व्यापक स्तर पर मिल रहा है।
सामाजिक सरोकार
जोगाराम सारण न केवल एक शिक्षक और लेखक हैं, बल्कि एक सक्रिय समाजसेवी भी हैं। वे राजस्थान जाट महासभा बाड़मेर ग्रामीण के कोषाध्यक्ष, महाराजा सूरजमल फाउंडेशन बाड़मेर के संयुक्त सचिव, जाट नव युवक मंडल गरल के सचिव और राजस्थान मद्यनिषेध मोर्चा के जिलाध्यक्ष जैसे पदों पर कार्यरत हैं। वे बाल विवाह, मृत्युभोज, दहेज प्रथा और नशा प्रथा के घोर विरोधी हैं और इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सक्रिय रूप से कार्य करते हैं।
सम्मान और पुरस्कार
जोगाराम सारण के कार्यों को विभिन्न मंचों पर सराहा गया है। उन्हें 'बाड़मेर के जाट गौरव' पुस्तक लिखने पर राजस्थान के राजस्व मंत्री और बाड़मेर सांसद द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्हें जाट इतिहास के राष्ट्रीय सेमिनार में उनके शोध पत्रों के लिए भी प्रशस्तिपत्र प्रदान किए गए हैं।
जोगाराम सारण का यह प्रयास न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल है, बल्कि यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत पहल और समर्पण से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनकी यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।