अब वक्फ की संपत्ति नहीं रहेगी जयपुर के आमेर की अकबरी मस्जिद

जयपुर. वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Act) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई शुरू हो गई है.

April 17, 2025 - 23:18
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अब वक्फ की संपत्ति नहीं रहेगी जयपुर के आमेर की अकबरी मस्जिद

जयपुर. वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Act) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई शुरू हो गई है. इस दौरान नए कानून के विभिन्न पहलुओं पर बहस हो रही है, लेकिन एक अहम मुद्दा जो चर्चा में है, वह है ऐतिहासिक इमारतों पर वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के दावे का खत्म होना. नए कानून ने कुतुब मीनार, हुमायूं का मकबरा, पुराना किला, उग्रसेन की बावली, औरंगजेब का मकबरा, और जयपुर की अकबरी मस्जिद जैसी संरक्षित इमारतों (Protected Monuments) को वक्फ संपत्ति (Waqf Property) घोषित करने वाली पुरानी अधिसूचनाओं को निरस्त कर दिया है.

नए कानून का प्रभाव

धारा 3(D) के तहत, उन सभी ऐतिहासिक इमारतों पर वक्फ बोर्ड का दावा समाप्त हो गया है, जो पहले से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) द्वारा संरक्षित घोषित हैं. उदाहरण के तौर पर, औरंगजेब का मकबरा 1951 में संरक्षित इमारत घोषित हुआ, लेकिन 1973 में इसे वक्फ संपत्ति घोषित किया गया. इसी तरह, जयपुर की अकबरी जामा मस्जिद 1951 से संरक्षित थी, लेकिन 1965 में वक्फ संपत्ति बनी. अब नए कानून ने इन दावों को अमान्य कर दिया है.

अकबरी मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व: जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित अकबरी मस्जिद को 1569 में आमेर नरेश भारमल ने मुगल सम्राट अकबर के लिए बनवाया था, जब वह रणथंभौर विजय और अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा के दौरान वहां रुके थे. बाद में औरंगजेब के शासनकाल में इसका विस्तार हुआ. 1968 में इसे वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था.

मस्जिद के व्यवस्थापक की राय

 अकबरी मस्जिद के काजी सैयद मुजफ्फर अली ने कहा, “हमारा परिवार 250 वर्षों से इस मस्जिद में नमाज पढ़वा रहा है, लेकिन वक्फ बोर्ड ने कभी इसकी सुध नहीं ली. देवस्थान विभाग से केवल 50 रुपये मासिक सहायता मिलती है, जो अपर्याप्त है.” उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार अब इस ऐतिहासिक धरोहर (Heritage) को संरक्षित कर इसकी जर्जर स्थिति सुधारेगी.

सुप्रीम कोर्ट में बहस और ASI की योजना: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान धारा 3(D) पर भी आपत्ति जताई गई. सूत्रों के मुताबिक, ASI इन संरक्षित इमारतों को फिर से अपने नियंत्रण (Custody) में लेने की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बना रहा है. हालांकि, ASI की नजर कोर्ट के फैसले पर भी टिकी है, क्योंकि कोई अंतरिम आदेश (Interim Order) इन इमारतों की स्थिति को प्रभावित कर सकता है.

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