Kazakhstan: कजाखस्तान में मंहगाई से गृहयुद्ध जैसे हालात, रूसी सेना ने संभाला मोर्चा
इस हिंसक विरोध प्रदर्शन में अब तक 13 पुलिसकर्मीयों तथा कई दर्जन प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो चुकी है। जबकि 3000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। रूस ने शांति स्थापित करने के लिए हवाई माध्यम से सैनिकों को कजाखस्तान की राजधानी भेजा है। वहीं यूरोपीय संघ के राजदूत ने रूसी हस्तक्षेप की निंदा की है।
कजाखस्तान (Kazakhstan) में महंगाई और आपातकाल की घोषणा से नाराज जनता, सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन कर रही है और सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचा रही है। बताया जा रहा है कि इस हिंसक विरोध प्रदर्शन में अब तक 13 पुलिसकर्मीयों तथा कई दर्जन प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो चुकी है। जबकि 3000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। रूस ने शांति स्थापित करने के लिए हवाई माध्यम से सैनिकों को कजाखस्तान की राजधानी भेजा है। वहीं यूरोपीय संघ के राजदूत ने रूसी हस्तक्षेप की निंदा की है। कजाखस्तान में विरोध प्रदर्शन को बढ़ता देख प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि साल 1991 में सोवियत संघ से आजादी मिलने के बाद से कजाखस्तान में एक ही पार्टी की सरकार है। तोकायेव का कहना है कि इन प्रदर्शनों की अगुवाई आतंकवादी कर रहे हैं। जिन्हें दुसरे देशों से आर्थिक मदद मिल रही है।
देश में महंगाई से परेशान हुई जनता
कजाखस्तान को तीन दशक पहले स्वतंत्रता मिली है और तभी से यह देश सबसे भीषण विरोध प्रदर्शनों का सामना करते आ रहा है। कजाखस्तान में मंहगाई अपनी चरम सीमा पर है। बता दें कि सरकार ने एलपीजी की कीमतों पर लगी सीमा हटा ली है, जिसके कारण ईंधन की कीमतों में तेजी से वृद्धि देखने को मिली। जिसे लेकर रविवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने कजाखस्तान सरकार को हिला कर रख दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने जलाया मेयर का कार्यालय
भारत के मित्र पूर्व सोवियत देश कजाखस्तान की राजधानी अलमाटी में स्थित राष्ट्रपति आवास के एक बड़े हिस्से और मेयर के कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है। हालांकि अलमाटी में फैले हिंसक तत्वों को सेना ने काबू कर लिया है।
सैकड़ों कारों को भी किया आग के हवाले
अलमाटी एयरपोर्ट के बाहर और सड़कों पर खड़ी सैकड़ों कारों और वाहनों को उपद्रवियों ने फूंक दिया है। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कई स्थानों पर सुरक्षा बल तैनात किया जा चुके हैं। हिंसा को ज्यादा बढ़ने से रोकने के लिए तक पूरे देश में इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
बिना किसी बड़े नेता या मांग के चल रहा है प्रर्दशन
कजाखस्तान में हो रहे हिंसक प्रदर्शन में अभी तक प्रदर्शनकारियों का कोई नेता या मांग नज़र नहीं आई है। वहीं इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों को ‘पुराने लोग जाओ’ का नारा लगाते हुए सुना गया है, जिसे कजाखस्तान के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़रबेयेव से जोड़ा जा रहा है। बता दें कि नूर सुल्तान ने साल 2019 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन देश में उनका दबदबा अब तक बरकरार है।
कजाखस्तान के पीएम ने दिया इस्तीफा
महंगाई को लेकर हो रहे विरोध के कारण बुधवार को कजाखस्तान के प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति कासिम जोमाट तोकायेव ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए अलीखान समाईलोव को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। वहीं राष्ट्रपति द्वारा देश में दो हफ्तों का आपातकाल लागू किया गया है, तथा सरकार को तेल की कीमतें नियमित करने का आदेश भी दिया गया है।
राष्ट्रपति टोकायेव ने रूस और CSTO से मदद मांगी
कजाकिस्तान के राष्ट्रपति तोकायेव ने देश में बिगड़ते हालात पर कलेक्टिव ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (CSTO) से मदद मांगी है। जिसमें रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। इस मामले में मदद मांगे जाने के बाद रूस ने देरी न करते हुए तत्काल अपने सैनिकों को कजाकिस्तान की राजधानी अलमाटी भेज दिया है, वहीं राष्ट्रपति टोकायेव का कहना है कि हिंसा के पीछे विदेशी आतंकी हैं।
कजाखस्तान पर भारत की करीबी नजर
प्रदर्शनों को देखते हुए भारत सरकार का कहना है कि कजाखस्तान की स्थिति पर वह नजर बनाए हुए है और वहां रहने वाले सभी भारतीय सुरक्षित हैं। वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी फोन पर वहां रह रहे अपने अधिकारियों से बात करके आपातस्थिति में मानवाधिकारों का ध्यान रखने का अनुरोध किया है। बता दें कि कजाकिस्तान में हुई हिंसा पर ब्रिटेन के अलावा कई देशों ने प्रदर्शनों के हालात पर चिंता जताई है।