Good News: अकेले दक्षिणी ध्रुव फतेह करने वाली पहली भारतवंशी महिला बनीं कैप्टन हरप्रीत चंडी

कैप्टन हरप्रीत चंडी, बिना किसी समर्थन के अकेले ही दक्षिणी धुर्व की कठिन यात्रा को पूरा करने वाली पहली अश्वेत महिला बन गई हैं। उनकी इस अद्भुत सफलता के कारण हरप्रीत चंडी को ‘पोलर प्रीत’ नाम भी दिया गया है। हरप्रीत इस साहसिक अभियान को पूरा करने वाली भारतीय मूल की प्रथम महिला बन गई हैं।

January 6, 2022 - 19:59
January 7, 2022 - 21:29
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Good News: अकेले दक्षिणी ध्रुव फतेह करने वाली पहली भारतवंशी महिला बनीं  कैप्टन हरप्रीत चंडी
कैप्टन हरप्रीत चंडी : -फोटो : Social Media

ब्रिटिश सिख सेना की भारतीय मूल की 32 वर्षीय अधिकारी एवं फिजियोथेरेपिस्ट हरप्रीत चंडी ने दक्षिणी ध्रुव को बिना समर्थन के अकेले दुर्गम यात्रा पूर्ण कर इतिहास रच दिया है। हरप्रीत चंडी ने सबसे ठंडी, ऊँची, और सबसे शुष्क और हवा वाले महाद्वीप अंटार्कटिका (दक्षिण ध्रुव) पर  सफलता हासिल की है। सीएनएन(Cable News Network)की रिपोर्ट के मुताबिक, हरप्रीत चंडी का यह साहसिक सफर पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था। पिछले साल उन्होंने अंटार्कटिका के हरक्यूलिस इनलेट से बिना किसी समर्थन के अपनी यात्रा शुरू की थी, अपने पूरे सफर में उन्होंने 700 मील (1,127 किलोमीटर ) की यात्रा पूर्ण की है।

कैप्टन हरप्रीत चंडी, बिना किसी समर्थन के अकेले ही दक्षिणी धुर्व की कठिन यात्रा को पूरा करने वाली पहली अश्वेत महिला बन गई हैं। उनकी इस अद्भुत सफलता के कारण हरप्रीत चंडी को ‘पोलर प्रीत’ नाम भी दिया गया है। हरप्रीत इस साहसिक अभियान को पूरा करने वाली भारतीय मूल की प्रथम महिला है। हरप्रीत चंडी ने अकेले दक्षिणी ध्रुव (South Pole) का सफर पूरा करते हुए पोलर प्रीत के नाम से दक्षिणी ध्रुव पर अपना नाम दर्ज करवाया है। 

उन्होंने अपनी यात्रा के दैरान एक लाइव ट्रैकिंग मैप अपलोड किया था और अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने बर्फ से ढके क्षेत्र में नियमित ब्लॉग भी पोस्ट किए हैं। हरप्रीत ने अपनी यात्रा से जुड़ी घोषणा अपने लाइव ब्लॉग पर सफर के अंतिम 40वें दिन अपने ब्लॉग की अंतिम प्रविष्टि में  “दिन 40 – समाप्त” लिखते हुए की थी।

उन्होंने अपनी सफलता की घोषणा करते हुए लिखा कि, “मैं दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गई, जहां बर्फबारी हो रही है। अभी मन में बहुत सारी भावनाएं चल रही हैं। मैं तीन साल पहले ध्रुवीय दुनिया के बारे में कुछ नहीं जानती थी और अंत में यहां पहुंचना कितना वास्तविक लगता है। यहां पहुंचना कठिन था और मैं सभी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं।”

चंडी ने कहा कि, “यह अभियान हमेशा मुझसे कहीं अधिक था। मैं लोगों को अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने और खुद पर विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हूं, और मैं चाहती हूं कि आप बिना विद्रोही तमगे के इसे करने में सक्षम हों। मुझे कई मौकों पर ना कहा गया है और कहा गया है कि ‘बस सामान्य काम करो’, लेकिन हम अपना सामान्य खुद बनाते हैं।” कैप्टन हरप्रीत चंडी का मानना है कि हम अपना सामान्य स्वयं तय करते है। उन्होंने अपने इसी साहस के दम पर विश्व पटल पर अपना नाम दर्ज करवाकर भारत का नाम रोशन किया है।

कौन है हरप्रीत चंडी? 

हरप्रीतचंडी ब्रिटिश सेना में क्लीनिकल ट्रेनिंग आफिसर के तौर पर कार्यकृत हैं, वह उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड के मेडिकल रेजिमेंट में भी तैनात रही हैं। उनका कार्य सैन्य चिकित्सकों के लिए शिविर का आयोजन कर उन्हें प्रशिक्षित करना है।

अभी हरप्रीत चंडी लंदन में रहती हैं और वहीं से क्वीन मैरीज यूनिवर्सिटी से स्पो‌र्ट्स एंड एक्सरसाइज मेडिसिन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई (पार्ट टाइम) कर रही हैं। हरप्रीत ने एक एथलीट के तौर पर मैराथन व अल्ट्रा मैराथन में भी हिस्सा लिया है और सैन्य अधिकारी के रूप में कई प्रशिक्षण भी प्राप्त किए हैं। वह नेपाल व केन्या के साथ-साथ दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में भी शामिल रही हैं। कैप्टन हरप्रीत चंडी 19 साल की उम्र से ही आर्मी रिजर्व में और 25 साल की उम्र से नियमित सेना में शामिल है।

दक्षिणी ध्रुव क्या है?

दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी का सबसे दक्षिणी छोर है। यह अंटार्कटिका में है। दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका महाद्वीप पर पड़ता है। यह बहुत ही ठंडा स्थान है। सर्दियों के दौरान कई सप्ताह तक यहाँ सूर्योदय नहीं होता। वहीं गर्मियों के दौरान, दिसंबर के अंत से मार्च के अंत तक सूर्यास्त नहीं होता है। दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचना बेहद कठिन है। उत्तरी ध्रुव के विपरीत, जो समुद्र और समतल समुद्री बर्फ से ढका होता है, दक्षिणी ध्रुव एक पर्वतीय महाद्वीप पर स्थित है। यहां का न्यूनतम औसत तापमान हमेशा ही (-89.2) डिग्री होता है दक्षिणी ध्रुव का 2 प्रतिशत भाग चट्टानों और 90 प्रतिशत भाग बर्फ से बना है। चट्टानों पर काई (मॉस) और लाइकेन पाए जाते हैं। पेंगुइन यहां पाया जाने वाला प्रमुख जीव है। 14 दिसंबर, 1911 को नार्वे के रोएल्ड एमुंडसन ने दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा था। जिसके बाद जनवरी 1912 में ब्रिटेन के खोजी रॉबर्ट फाल्कन स्कॉट यहां पहुंचे थे, किन्तु दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गयी थी।

दक्षिणी ध्रुव से जुड़ी भारतीय पहल

  • एनएसएओआर (नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक ऐंड ओशन रिसर्च) (भू-विज्ञान मंत्रालय) के तहत भारत अंटार्कटिका आधारित अपना रिसर्च वर्क करता है। हर साल नवंबर-दिसंबर के महीने में भारत दक्षिणी ध्रुव के लिए अपना मिशन भेजता है।
  • 1983 में यहां पहले भारतीय रिसर्च बेस दक्षिण गंगोत्री की स्थापना हुई। दक्षिणी ध्रुव की स्थिति बदलते रहने के कारण अब यह बर्फ के अंदर समा गया है।
  • 1989 में दूसरा रिसर्च स्टेशन मैत्री स्थापित किया।
  • 2012 में भारत का तीसरा रिसर्च स्टेशन भारती स्थापित हुआ।
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