भोपाल में शुरू की एवोकाडो की खेती, इज़राइल जाकर सीखी तकनीक, जानिए 26 वर्षीय हर्षित गोधा की प्रेरणादायक कहानी
हर्षित गोधा बताते हैं कि मैंने इजराइल में एवोकाडो की खेती करनेवाले किसानों का पता लगाया और इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए कई किसानों से बात भी की। आखिरकार मैंने एक महीना वहाँ रहकर खेती की सारी जानकारी देने का फैसला किया। साल 2017 में मेरे बीबीए का आखिरी सेमेस्टर चल रहा था तभी मैंने खेती से जोड़ने का मन बना लिया था।
मध्यप्रदेश के भोपाल में जन्मे हर्षित गोधा मात्र 26 साल के हैं। उनकी एवोकाडो की नर्सरी खूब फेमस हो रही है। जानिए उनकी दिलचस्प कहानी कि कैसे उन्होंने एवोकाडो खाने के साथ ही उसे उगाने का मन बना लिया और अपना पारिवारिक बिज़नेस छोड़ किसान बन गए?
यूके से बीबीए की पढ़ाई करने के बाद हर्षित ने इजराइल जाकर एवोकाडो फार्मिंग सीखी और आज उन्होंने अपनी पांच एकड़ जमीन में लगभग 1800 एवकाडो पौधे उगायें हैं। हर्षित इस विदेशी फल को भारत में सस्ता बनाना चाहते हैं।
ऐसे आया आइडिया
एक बार हर्षित एवोकाडो खा रहे थे तो उनकी नजर पैकेट पर पड़ी जहाँ उन्होंने पढ़ा कि इसे इजराइल में उगाया गया है और उनके मन में प्रश्न उठा कि एक गर्म देश होते हुए भी जब एवोकाडो की खेती इजराइल कर सकता है तो भारत क्यों नहीं?
सुपरफूड है एवोकाडो जो पहुंचाता है कई स्वास्थ्य लाभ
द बेटर इंडिया से हर्षित गोधा की हुई बातचीत में हर्ष ने बताया कि एवकाडो एक सुपर फूड है जिससे कई स्वास्थ्य लाभ हैं। लेकिन भारत में तो यह इतने महंगे मिलते है कि आम आदमी इसे खरीद भी नहीं पाते। यहाँ इसे ज्यादा लोग जानते भी नहीं और न ही इसकी खेती होती है।
इज़राइल जाकर सीखी तकनीक
वह बताते हैं कि मैंने इजराइल में एवोकाडो की खेती करनेवाले किसानों का पता लगाया और इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए कई किसानों से बात भी की। आखिरकार मैंने एक महीना वहाँ रहकर खेती की सारी जानकारी देने का फैसला किया। साल 2017 में मेरे बीबीए का आखिरी सेमेस्टर चल रहा था तभी मैंने खेती से जोड़ने का मन बना लिया था। उनके इजरायली सहयोगी ने ही भोपाल में जमीन तैयार करने से लेकर इजरायली एवोकाडो को मदर प्लांट मुहैया कराने के काम में उन्हें मदद की।
खेती की प्रक्रिया
एवोकाडो की खेती के लिए उन्होंने पांच एकड़ खेत को ड्रिप एरिगेशन के साथ तैयार किया है और एक बार पौधे लगाने के बाद करीब तीन से चार साल बाद इसमें फल आने शुरू होंगे। उन्होंने इस पूरे सेटअप के लिए ₹40 लाख खर्च किए हैं।
मिसाल हुई कायम
हर्षित देश के लिए मिसाल बन गए हैं और खेती में नए रास्ते रोजगार खोज रहे युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने नर्सरी की शुरुआत भी की है और कई राज्यों के किसान उनसे एवोकाडो के पौधे मँगवा चुके हैं।