Postive News : आइज़ोल जल्द बनेगा उत्तर पूर्व में रेल लिंक वाले चौथे राज्य की राजधानी, जानिए इससे जुड़ी कुछ खास बातें
मिजोरम के आइजोल जिले के बैराबी से सैरांग के बीच करीब 52 किमी के हिस्से में बीजी लाइन बिछाई जा रही हैं, इस प्रोजेक्ट में लगभग 6,547 करोड़ रुपये के खर्च होने का अनुमान है, जो नवंबर 2023 में पूरी हो जाएगी। जानिए इससे जुड़ी कुछ खास बातें..
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे अधिकारियों ने बीते रविवार को कहा कि एक और पूर्वोत्तर राज्य की राजधानी में अगले साल यानी कि 2023 में रेलवे कनेक्टिविटी होगी, क्योंकि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) राजधानी शहर अइज़ोल (Aizawl) से करीब 20 किलोमीटर दूर मिजोरम के सैरंग तक नया ब्रॉड गेज (बीजी) ट्रैक बिछा रहा है। वहीं असम का प्राथमिक महानगर गुवाहाटी, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और अरुणाचल प्रदेश का नाहरलगुन पहले से ही रेलवे समुदाय से जुड़े हुए हैं।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे अधिकारियों ने बताया कि मिजोरम के आइजोल जिले के बैराबी से सैरांग के बीच करीब 52 किमी के हिस्से में लाइन बिछाई जा रही हैं, इस प्रोजेक्ट में लगभग 6,547 करोड़ रुपये के खर्च होने का अनुमान है, जो नवंबर 2023 में पूरी हो जाएगी। इसके अलावा इन क्षेत्रों में चल रहे सिविल कार्यों का निरीक्षण मिजोरम की मुख्य सचिव रेणु शर्मा, राज्य सरकार और रेलवे अधिकारी कर रहे हैं।
मिजोरम सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बैराबी से सैरंग तक बीजी रेलवे लाइन को केंद्र सरकार ने साल 2008-2009 में राष्ट्रीय उपक्रम के रूप में करीब 2,384.34 करोड़ रुपये की शुरुआती कीमत पर मंजूरी दी थी। लेकिन उपक्रम पर काम साल 2015 में शुरू हुआ था और इसके पूरा होने की संभावना नवंबर 2023 में जताई जा रही है। वहीं अब तक उपक्रम का काम लगभग 70 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है।
बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन में लगभग 55 मुख्य पुलों, 87 छोटे पुलों और 32 सुरंगों (करीब 12.63 किमी) से मिलकर बनीं बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन में 4 स्टेशन (हॉर्टोकी, कावनपुई, मुअलकांग और टर्मिनल सैरांग) हैं। एनएफआर अधिकारियों का कहना है, कि प्रतिकूल स्थलाकृति और लगभग 6 से 7 महीने लंबे मानसून के मौसम और स्थानीय मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुए, 52 किलोमीटर रेलवे परियोजना पर अब तक अच्छी प्रगति से काम हो रहा है। वहीं मुख्य सचिव का कहना है कि महत्व की 'राष्ट्रीय परियोजना' होने के कारण बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना एक बार पूरी होने के बाद न केवल मिजोरम के लिए एक संपत्ति होगी बल्कि देश के लिए एक आर्थिक संपत्ति भी होगी।