अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा भारतीय विकास ट्रस्ट
ट्रस्ट के माध्यम से लगभग 50,000 से ज्यादा लोगों को सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीन की ट्रेनिंग और मदद दी गई है। कर्नाटक की नागरत्ना भी लाभ प्राप्त करने वाली महिलाओं में से एक है। बता दें कि यह संस्था एक गैर लाभकारी संस्था है।
विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए दिन-प्रतिदिन सरकारें और संस्थाएं नए कदम उठा रही हैं। जिनमें भारतीय विकास ट्रस्ट भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। हालांकि, भारतीय विकास ट्रस्ट मूल रूप से मणिपाल और कनार्टक के आस पास के इलाकों में ही सक्रिय है। यह संस्था विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और समाज में हाशिय पर खड़े लोगों की मदद करता है।
कर्नाटक की नागरत्ना उन 50 हजार उद्यमियों में से एक है जिन्हें इस ट्रस्ट के द्वारा ट्रैनिंग और मशीनों को उपलब्ध कराने में मदद मिली है। बता दें कि ये दूध निकालने की मशीनें सौर ऊर्जा से चलती हैं।
अक्षय ऊर्जा क्या है ?
अक्षय ऊर्जा का तात्पर्य उस ऊर्जा से है जिनके स्रोत का पुनः भरण होता रहता है और जो प्रकृतिक स्रोतों पर निर्भर रहती है। अक्षय ऊर्जा के अंतर्गत सौर ऊर्जा, भू- तापीय, पवन ऊर्जा इत्यादि आते हैं। अक्षय ऊर्जा एक ऐसा विकल्प है जो असीम है।
दुध निकालने वाली यह मशीन कैसे काम करती है ?
Mongabay हिन्दी की रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक की नागरत्ना कहती है कि हमारे पास गांव में बिजली के आने-जाने का कोई पता नहीं होता है।
जिसके चलते मैं दूध निकालने के लिए इस सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण पर निर्भर हूं। बता दें कि यह दूध निकालने वाली मशीन बिजली से चार्ज न होकर सौर ऊर्जा से चार्ज होती है। और इस प्रकार इन मशीनों की मदद से दूध निकाला जाता है।
नागरत्ना बताती हैं कि इस मशीन की मदद से उनका काफ़ी समय बचता है। जब उनके पास मशीन नहीं थी, तो उन्हें दूध निकालने के लिए काफी जल्दी जागना होता था, परंतु अब ऐसा नहीं है। सौर ऊर्जा से चलने वाली इस मशीन के कारण अब उनका पूरा 1 घंटा बचता है।
क्या है भारतीय विकास ट्रस्ट , और क्यों कर रहे है ग्रामीणों का सहयोग?
भारतीय विकास ट्रस्ट की स्थापना श्री टीए पई द्वारा की गई थी। ट्रस्ट के आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यह ट्रस्ट दो दशकों से सक्रिय है परंतु ट्रस्ट को पंजीकृत साल 1978 में किया गया था।
ट्रस्ट की गतिविधियों को मणिपाल में स्थापित एक संस्थान केंद्र के माध्यम से किया जाता है। हालांकि यह ट्रस्ट सौर ऊर्जा से संबंधित परियोजनाओं को लागू करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और कर्नाटक में भी सक्रिय है। ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य कृषि, पशुपालन, बुनियादी ऊर्जा तक पहुंच और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास पर ध्यान केंद्रित करके ग्रामीण जीवन को बेहतर करना है।
इस ट्रस्ट के माध्यम से लगभग 50,000 से ज्यादा लोगों को सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीन की ट्रेनिंग और मदद दी गई है। कर्नाटक की नागरत्ना भी लाभ प्राप्त करने वाली महिलाओं में से एक है। बता दें कि यह संस्था एक गैर लाभकारी संस्था है।
भारतीय विकास ट्रस्ट के सदस्य सुधीर कुलकर्णी बताते हैं कि आने वाले 50 सालों में बहुत कुछ अक्षय ऊर्जा पर आधारित होने वाला है परंतु इस बदलाव के लिए जरूरी है कि लोग खुद इसके लिए तैयारी करें।
भारतीय विकास ट्रस्ट के सदस्य सुदीप्त मोंगबे हिंदी(वेबसाइट) को बताते हैं कि हम जानते हैं कि इस ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। समाज के इस हिस्से यानी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए मौजूदा असमानता को समझना होगा। बता दें कि वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सभी पूर्ण कालिक नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 32% है।