रितु नरवाले बनी इंदौर की पहली महिला बस चालक
अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटिड (AICTSL) के द्वारा चलाई गई गुलाबी सिटी सेवा बस जिसकी चालक महिलाओं को होना था, लेकिन महिला बस चालक की अनुपलब्धता होने के कारण बसों को पुरूषों द्वारा ही चलाया जा रहा था।
2 सितम्बर की सुबह रितु नरवाले नामक एक महिला ने पिंक आई बस को चलाने के लिए टेस्ट दिया, जिसे उन्होंने पास कर लिया। रितु ने बस को बीआरटीएस कॉरिडोर पर राजीव गांधी स्क्वायर से निरंजनपुर के बीच की दूरी तय करते हुए अपने टेस्ट को सफलतापूर्वक पास किया। इस टेस्ट के बाद रितु नरवाले इंदौर की पहली महिला बस ड्राइवर बन गई हैं।
अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटिड (AICTSL) के द्वारा चलाई गई गुलाबी सिटी सेवा बस जिसकी चालक महिलाओं को होना था, लेकिन महिला बस चालक की अनुपलब्धता होने के कारण बसों को पुरूषों द्वारा ही चलाया जा रहा था।
महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा की ओर एक कदम
आज का समय विकास से संबंधित है, नए प्रयोगों का समय है फिर चाहे वह प्रयोग प्रयोगशाला में हो या समाज में। आज का समाज विचार के स्तर पर बहुत तरक्की कर चुका है। वह आज ऐसे समाज को चाहता है जहाँ महिलाएँ हर क्षेत्र में कार्य कर रही हो और हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी हो। अब तक महिलाएँ अंतरिक्ष से लेकर राजनीति तक सभी क्षेत्रों में अपना हाथ आज़्मा चुकी हैं। उन्होंने खुद को साबित करते हुए सफलताओं की ऊचाँइयों को छुआ है। लेकिन अब तक महिलाओं को सड़क पर चलने वाले वाहनों की ड्राइवर के रूप में बहुत कम देखा गया है हालांकि दिल्ली में कई महिलाएँ बस कनडक्टर है। इंदौर की पिंक आईबसों में भी महिलाएँ बस कनडक्टर के रूप में कार्य कर रही हैं लेकिन महिला बस ड्राइवर नहीं थी, रितु नरवाले के बस ड्राइवर बनने के कारण यह कदम महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ाया गया है, जहाँ महिलाएँ ही महिलाओं के सफर की साथी होगीं। रितु नरवाले ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएँ हर क्षेत्र में अपना योगदान बखूबी दे सकती हैं।
रितु नरवाले का बस ड्राइवर बनने तक का सफर
आज की महिला स्वतंत्र रूप से हर क्षेत्र में अपने कदमों को रखना चाहती हैं। रितु कहती हैं कि बस ड्राइवर बनने की इच्छा उनकी बचपन से ही थी और आज उनका सपना साकार हो चुका है। पहले उनके पिता ने इस क्षेत्र में आने के लिए असहमति जताई , उनका कहना था कि महिलाएँ ड्राइविंग नहीं करती हैं। यह उनका क्षेत्र नहीं है। किंतु उन्होंने अपने पिता को समझाया व उनसे कहा कि उसे उसके सपने को पूरा करने दिया जाए। 28 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर होटलों के लिए गाड़ी चलाना शुरू किया। वह आगे बताती हैं कि उन्हें ड्राइविंग टेस्ट के बारे में एक विज्ञापन के द्वारा पता चला। यह उनके सपनें को साकार करने का एक अच्छा माध्यम था। उन्होंने अपने सपने को पर देते हुए बस ड्राइविंग टेस्ट दिया और उसमें जीत भी हासिल की।
महिलाओं में बढ़ेगा विश्वास
AICTSL द्वारा पिंक आईबस के चलाने के पीछे का उद्देश्य यह था कि महिलाएँ अपने आवागमन को लेकर सुरक्षित महसूस करें, सफर के दौरान उनमें असुरक्षा की भावना उत्पन्न न हो। आमतौर पर महिलाओं में रात के सफर को लेकर कुछ हिचकिचाहट रहती ही है, यह पिंक आईबस उस हिचकिचाहट की भावना को दूर करेगी।
अतः यह एक ऐसा कदम है जो कि महिलाओं की सुरक्षा को एक नया आयाम देगा। जिसका उद्देश्य महिलाओं के लिए एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहाँ महिलाएँ स्वयं को सुरक्षित महसूस करें।