Asha Bhosle Birthday: संगीत के इतिहास का एक महान नाम
हिंदी सिनेमा में आशा ताई के नाम से जाने जाने वाली आशा भोसले जी को यदि हिंदी सिनेमा की एक महान गायिका कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगा। हिंदी भारतीय सिनेमा की एक ऐसी पार्श्व गायिका जिन्होंने 1000 से अधिक गाने गाए हैं। उनके द्वारा गाए गीत आज भी सदाबहार हैं।
रेत पर चलते-चलते निशान तो बन ही जाते हैं,
ऐसे कलाकार कुछ ही होते हैं, जो अपनी छाप खुद बनाते हैं।
हिंदी सिनेमा में आशा ताई के नाम से जाने जाने वाली आशा भोसले जी को यदि हिंदी सिनेमा की एक महान गायिका कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगा। हिंदी भारतीय सिनेमा की एक ऐसी पार्श्व गायिका जिन्होंने 1000 से अधिक गाने गाए हैं। उनके द्वारा गाए गीत आज भी सदाबहार हैं।
आशा जी और उनका फिल्मी सफर
आशा भोसले जी का जन्म 8 सितम्बर, सन् 1933 में महाराष्ट्र के संगली नामक जिले में हुआ था। बचपन से ही संगीत की शिक्षा लेने वाली आशा जी ने 10 वर्ष की आयु से ही पार्श्व गायन शुरू कर दिया था। उन्होंने अपना पहला फिल्मी मराठी गीत 'चला चला नाव बाला' गाया। उन्होंने पहला हिंदी गीत 1948 में फिल्म 'चुनरिया' के लिए 'सावन आया' गाया। यहाँ से उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की, इसके बाद से उनके करियर ने सफलताओं की ऊँचाइयों को छुआ। 1949 में उन्होंने अपना पहला एकल गीत फिल्म 'रात की रानी' के लिए गाया। उनकी अद्भुत आवाज जल्द ही संगीत निर्देशकों की पसंद बन गई। हालांकि, अपने करियर के प्रारंभिक दौर में उन्होंने संघर्ष करना पढ़ा। करियर की शुरूआत में उन्होंने बी और सी ग्रेड की फिल्मों के लिए भी पार्श्व गायन किया। उनके शुरूआती संघर्ष के दौरान वह फिल्म की सह अभिनेत्रियों के लिए गाया करती थी लेकिन इसके बाद कुछ ऐसी फिल्मों के लिए उन्होंने गायन किया जो उनके जीवन और करियर दोनों के लिए मील का पत्थर साबित हुई। यह फिल्में थी - नया दौर (1957), तीसरी मंज़िल(1966), उमरॉव जान(1981), और रंगीला(1955)। यह वे फिल्में थी जिन्होंने आशा जी की आवाज़ को नया मुकाम दिया। नया दौर फिल्म ही वह पहली फिल्म थी जिसमें पहली बार आशा जी ने प्रमुख अभिनेत्री को अपनी आवाज़ दी। इसी फिल्म के माध्यम से बी आर चोपड़ा जैसे प्रोड्यूसर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और आने वाली फिल्मों के लिए उनकी आवाज़ को मांगा। इसके बाद आशा जी ने वक्त, गुमराह, हमराज़ जैसी फिल्मों को अपनी आवाज़ से नवाज़ा। तीसरी मंज़िल फिल्म का गाना 'आजा-आजा' को लोगों ने काफी पसंद किया लेकिन आपको बता दें कि इस गाने को पहले आशा जी ने गाने से इंकार कर दिया था, जिसका कारण उसकी पश्चिमी शैली थी लेकिन इसे चुनौती मानते हुए इस गाने को आशा जी ने गाया जो उस समय का सुपरहिट गाना साबित हुआ था। उमरॉव जान और रंगीला के गाने जो आशा जी ने गाए थे उन्होंने खूब प्रशंसा बटोरी थी। रंगीला का गाना 'तन्हा तन्हा' काफी प्रसिद्ध हुआ था जिसे लोग आज भी गुनगुनाते हैं। आज उन्होंने अपने जीवन के 87 वर्ष पूरे कर लिए हैं लेकिन उनकी आवाज़ आज भी लोगों के दिलों पर राज करती हैं। शास्त्रीय संगीत, गज़ल, पॉप संगीत आदि में भी उन्होंने अपनी आवाज़ का जलवा बिखेरा है। सह अभिनेत्रियों को आवाज़ देने से मुख्य अभिनेत्री को आवाज़ देने तक का यह सफर रोचक है। हिंदी सिनेमा में उनका योगदान अतुलनीय है।
अवॉर्ड नहीं ये उनकी मेहनत है
यह बात जानने योग्य है कि जब आशा जी ने फिल्मों के लिए पार्श्व गायन आरंभ किया तब लता मंगेश्कर जी पहले से ही संगीत की दुनिया की आवाज़ बन गई थी। उस वक्त साथ ही कुछ और भी गायिकाएँ थी जिनके बीच से आशा जी को उभरना था। उन महान गायिकाओं के मध्य उनकी सफलता का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि उन्हें 18 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया जिसमें से 7 बार उन्होंने उसे जीता। सन् 2000 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाज़ा गया। 2001 में उन्होंने फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीव्मन्ट अवॉर्ड प्राप्त किया। अपने इन अवॉर्ड के बाद 2008 में आशा जी को पद्म विभूषण से नवाज़ा गया।
आशा जी के लिए यह बात भी किसी सफलता से कम नहीं है कि ब्रिटेन के अल्टरनेटिक रॉकबैंड ने आशा जी को डेडिकेट करते हुए एक गाना 'ब्रिम फुल ऑफ आशा' रिलीज़ किया था जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी सफल हुआ था।
आशा जी ने न केवल हिंदी में अपितु इसके इतर मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, तमिल, मलयालम इत्यादि भाषाओं में भी गायन कर अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है। मुड़ मुड़ के न देख, एक परदेसी मेरा दिल ले गया, चुरा लिया है तुमने जो दिल को आदि गाने आज भी सदाबहार हैं जिनके प्रशंसक बेशुमार हैं। यह बात अचंभित करने वाली है कि आशा जी ने 20 विभिन्न भाषाओं में 11,000 से अधिक गाने गाए हैं जो गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। उनका जीवन संघर्ष भरा था लेकिन साथ ही वह प्रेरणदायक भी है।