नीरजा भनोट: एक लड़की जिसने अपनी जिंदगी देकर बचाई 360 जिंदगियां, मौत पर रोया था पकिस्तान और अमेरिका
प्रकृति के बाद ईश्वर ने इस दुनिया में अपने सबसे सुंदर हस्ताक्षर स्त्री रुप में किए है। शायद इसी कारण क्षमा, ममता, तपस्या, अराधना ,शक्ति जैसे शब्द स्त्रीलिंग है। वैसे तो भारत भूमि में एक से बढकर एक वीरंगानाओं ने जन्म लेकर भारत माँ का मान बढ़ाया है, ऐसी ही ससशक्त वीरांगना नीरजा भनोट थी। जिन्होने अपनी जान मानवता की रक्षा करते हुए न्यौछावर कर दी।
प्रकृति के बाद ईश्वर ने इस दुनिया में अपने सबसे सुंदर हस्ताक्षर स्त्री रुप में किए है। शायद इसी कारण क्षमा, ममता, तपस्या, अराधना ,शक्ति जैसे शब्द स्त्रीलिंग है। वैसे तो भारत भूमि में एक से बढकर एक वीरंगानाओं ने जन्म लेकर भारत माँ का मान बढ़ाया है, ऐसी ही ससशक्त वीरांगना नीरजा भनोट थी। जिन्होने अपनी जान मानवता की रक्षा करते हुए न्यौछावर कर दी।
नीरजा के इस अनूठे साहस और जिंदादिली को देखते हुए न केवल भारत अपितु विश्व भर में उन्हें खूब सराहा गया।
अमेरिका ने उन्हें 'जस्टिस फॉर क्राइम 'अवार्ड से नवाजा,तो वही पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें 'तमगा- ए- इंसानियत से सम्मानित किया। वही भारत में वह सबसे कम उम्र में सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार 'अशोक चक्र' पाने वाली महिला बनी।
हारकर भी नही हारी नीरजा:
पैन एएम में कार्यरत होने से पहले नीरजा एक सफल मॉडल रही थी , देश के जाने- माने ब्रांडस के लिए उन्होने कई विज्ञापन किए थे, पर सफलता के इस चरमोत्कर्ष पर उन्होने महज 21 साल में शादी का बड़ा और अहम फैसला लिया। पर 2 महीने में ही उन्होने अपने पति से अलग होने का मन बन लिया , एक न्यूज पोर्टल को इंटरव्यू देते हुए उन्होने बताया कि उनके पति द्वारा उनका कई बार मानसिक और शारीरिक शोषण हुआ। उन्हें कई कई घंटे भूखे रहना पड़ता था,और घरेलू हिंसा की यातनाओं को भी झेलना पड़ता था। उन्होने यह भी खुलासा किया कि खाना न मिल पाने के कारण उनका वजन 5 किलो कम हो गया।
इस हादसे ने नीरजा को बुरी तरह से प्रभावित किया ,वह कई दिनो तक वह अवसाद में रही पर माँ का साथ पाकर उन्होने जिंदगी को दुबारा जीने और चुनौतियों से दो दो हाथ करने की सोची। उन्होने कड़ी मेहनत की पैन एएम की परीक्षाओं में सफल हुई।
तेईस से पहले तेहरवीं:
7 सितंबर को नीरजा अपना 23 वां जन्मदिन मनाने से पहले ही दुनिया को अलविदा कहकर चली गई। जन्मदिन से ठीक 2 दिन पहले उनके प्लेन को चार आतंकियो ने कराची एयरर्पार्ट हाईजैक कर लिया। यह प्लेन मुंबई से अमेरिका जा रहा था, हाईजैक होते वक्त पैन एएम की फ्लाईट में 360 लोगो के साथ 19 क्रू मेंम्बर्स थे।
"वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे
बच्चो को बचाते - २ गई जान .....।।।।
आतंकियों की मनचाही शर्तो को जब अमेरिका ने मानने से इंकार कर दिया तो आतंकी बौखला गए, उन्होने सबसे पहले अमेरिकी यात्रियों को निशाना बनाया , और उन्हें यातनाएं देने की पुरजोर कोशिशो में लग गए, पर नीरजा लगातार लोगो को बचाने का प्रयास करती रही , वह आतंकियों को समझाने में जुटी रही कि सभी यात्री निर्दोष है। समझाने , बचाने और माहौल को शांत बनाएं रखने की आपाधापी में आतंकियों ने कई बार उन पर हाथ भी उठाया। प्लेन में कुल 44 अमेरिकी यात्री थे ,जिनमें से 2 अमेरिकी यात्रियों को गोली मार दी गई, इस घटना से प्लेन में भगदड़ का माहौल बन गया, दहशत से बच्चे चीखने लगे । आतंकियों ने उन्हें मारने का प्रयास किया ,पर नीरजा उनको बचाती हुई आगे आई और उन्हें गोली लग गई।
नीरजा ने अपनी अल्पायु में जो कर दिखाया वह निर्विवाद रुप से अद्भुत है वह न केवल जीवन की अंतिम सांस तक अपने कर्तव्य को निभाती रही ,अपितु मानवता की अनूठी मिशाल को कायम करने में भी पूर्णत: सफल हुई। वह न सिर्फ एक सच्ची वीरांगना साबित हुई अपितु एक सच्ची भारतीय भी । देश उन्हें हमेशा उनके साहस के लिए उन्हें याद रखेगा।