गुर्जर आरक्षण आन्दोलन के प्रमुख और एमबीसी के सूत्रधार कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन
गुर्जरों के मशीहा कहे जाने वाले कर्नल बैंसला के निधन से प्रदेश का गुर्जर समुदाय काफी शोक में है। कर्नल बैंसला के निधन की खबर पुरे प्रदेश में सनसनी की तरह फैल गई और उनके समर्थकों का हुजूम अस्पताल पहुंचने लगा। साथ ही उनको चाहने वाले कई राजनेताओं ने भी शोक प्रकट किया है।
गुरुवार को गुर्जर आरक्षण आन्दोलन के प्रमुख कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला (83) का निधन जयपुर के एक निजी अस्पताल में सुबह 6 बजे हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कोरोना से रिकवर होने के बाद उन्हें कई दिक्कतें आ रही थीं। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें गुरुवार सुबह जयपुर के सीकर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। बैंसला का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव हिंडौन के पास मुड़िया में शुक्रवार को किया जाएगा।
गुर्जरों के मशीहा कहे जाने वाले कर्नल बैंसला के निधन से प्रदेश का गुर्जर समुदाय काफी शोक में है। कर्नल बैंसला के निधन की खबर पुरे प्रदेश में सनसनी की तरह फैल गई और उनके समर्थकों का हुजूम अस्पताल पहुंचने लगा। साथ ही उनको चाहने वाले कई राजनेताओं ने भी शोक प्रकट किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई नेताओं ने भी इस मौके पर शोक प्रकट किया है। निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए जयपुर के वैशाली नगर स्थित उनके घर में रखा गया है। बैंसला का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव हिंडौन के पास मुड़िया में शुक्रवार को किया जाएगा।
कर्नल बैसला लंबे समय से कई बीमारियों से जूझ रहे थे। बैंसला को हार्ट की बीमारी थी और उन्हें चलने में भी काफी दिक्कत हो रही थी। बता दें कि वह पिछले साल कोरोना पॉजिटिव भी हो गए थे। कोरोना महामारी से उबरने के बाद से ही उन्हें कई तरह की दिक्कतें आ रही थीं। बता दें कि अंतिम समय में उनके बेटे विजय बैंसला साथ थे। बैंसला के तीन बेटे और एक बेटी हैं। सबसे बड़े बेटे दौलत सिंह बैंसला कर्नल पद से रिटायर हैं, दूसरे बेटे जय सिंह बैंसला मेजर जनरल हैं और छोटे बेटे विजय बैसला समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय हैं। वहीं उनकी बेटी सुनीता बैंसला आईआरएस अधिकारी हैं।
गुर्जर समुदाय को अलग से आरक्षण देने की मांग को लेकर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 2004 से गुर्जर आरक्षण आंदोलन का प्रतिनिधित्व किया था और बात नहीं बनते देख रेलवे पटरी पर बैठकर आंदोलन को नया मोड़ दे दिया था। यह कदम उठाने के चलते वह गुर्जर आरक्षण आंदोलन का चेहरा बन गए थे। उनके जबरदस्त आंदोलन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार ने गुर्जरों की हालत पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए चौपड़ा कमेटी बनाई थी तथा लंबे चले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के पश्चात गुर्जर सहित पांच जातियों को ओबीसी के साथ पहले स्पेशल बैक वर्ड क्लास और फिर मोस्ट बैक वर्ड क्लास (एमबीसी) में अलग से आरक्षण दिया था।