राजस्थान दिवस विशेष:  जानिए राजस्थान के उन विश्व धरोहर स्थलों के बारे में, जिसे यूनेस्को ने अपने सूची में किया है शामिल

यूनेस्को ने भारत की कई जगहों को विश्व धरोहर स्थल की सूची में स्थान दिया है, जिसमें राजस्थान सबसे अग्रणी राज्य है। प्रदेश में किलों-महलों सहित कई नायाब ऐतिहासिक विरासतें मौजूद हैं। वर्ल्ड हेरिटेज सूची में राजस्थान के कई स्थानों के शामिल होने से प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है।

March 31, 2022 - 03:11
March 31, 2022 - 03:50
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राजस्थान दिवस विशेष:  जानिए राजस्थान के उन विश्व धरोहर स्थलों के बारे में, जिसे यूनेस्को ने अपने सूची में किया है शामिल
राजस्थान के विश्व धरोहर स्थल- फ़ोटो: सोशल मीडिया

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यानी यूनेस्को ने भारत की कई जगहों को विश्व धरोहर स्थल की सूची में स्थान दिया है, जिसमें राजस्थान सबसे अग्रणी राज्य है। प्रदेश में किलों-महलों सहित कई नायाब ऐतिहासिक विरासतें मौजूद हैं। वर्ल्ड हेरिटेज सूची में राजस्थान के कई स्थानों के शामिल होने से प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है। जिसकी बदौलत देशी-विदेशी पर्यटक ज्यादा संख्या में राजस्थान के प्रति आकर्षित होते हैं। साथ ही प्रदेश में ट्रांसपोर्ट, छोटे उद्योगों से लेकर स्टार कैटेगिरी के होटल-रेस्टोरेंट खुलने से रोजगार के नए रास्ते खुले हैं। राजस्थान दिवस के मौके पर विस्तार से जानते हैं प्रदेश के उन तमाम विश्व धरोहर स्थलों के बारे में जिसे यूनेस्को ने अपनी सूची में स्थान दिया है। 

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में भरतपुर का घना पक्षी अभयारण्य, गुलाबी शहर जयपुर और जयपुर के जंतर-मंतर सहित प्रदेश के छह पहाड़ी किलों (दुर्ग) को शामिल किया गया है। इनमें चित्तौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़ किला, रणथंभौर किला, आमेर महल किला, जैसलमेर किला और गागरोन किला शामिल हैं। 

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (यूनेस्को सूची 1985) 

राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान को भरतपुर पक्षी अभ्यारण के नाम से भी जाना जाता है। 2783 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ यह अभ्यारण पक्षियों के लिए सबसे पसंदीदा जगह माना जाता है। सर्दियों में यहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पक्षी प्रवास करने आते हैं। इसे वर्ष 1981 में रामसर स्थल घोषित किया गया है। केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण को 1982 ई. में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था और 1985 ई. में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया था। 

जंतर-मंतर जयपुर (यूनेस्को सूची 2010) 

राजस्थान की राजधानी और गुलाबी शहर के नाम से विख्यात जयपुर में स्थित जंतर-मंतर का एक प्रकार से शिल्पकला और खगोलीय संग्रहालय है, जहां पर प्राचीन काल में मौसम से संबंधित और खगोलीय घटनाओं का परीक्षण किया जाता था। इसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 वीं शताब्दी में सन् 1727 ई. से 1734 ई. के बीच में करवाया था। महाराजा जयसिंह के द्वारा कुल 5 जंतर-मंतर संग्रहालय नई दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में बनवाए गए थे। लेकिन जयपुर का जंतर मंतर इनमें सबसे बड़ा होने के कारण, यूनेस्को द्वारा वर्ष 2010 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया। 

राजस्थान के पहाड़ी किले (यूनेस्को सूची 2013)

राजस्थान राजपूतों की भूमि और किलों का प्रदेश माना जाता है। प्रदेश में प्राचीन काल की विरासतों को दर्शाने वाले कई महत्वपूर्ण किले हैं, जिनमें से 6 प्रमुख पर्वतीय किलों को यूनेस्को द्वारा वर्ष 2013 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। यह सभी पहाड़ी किले अरावली पर्वत श्रेणी में स्थित हैं।

इन पहाड़ी किलों में चितौड़गढ़, कुंभलगढ़, रण थंभौर, आमेर, जैसलमेर और गागरोन शामिल हैं। पहाड़ी पर बने ये किले-महल राजपूत शासकों की सैन्य क्षमता, सुरक्षा व्यवस्था, जल प्रबंधन, वर्षा जल पुनर्भरण और उसके संरक्षण का इंतजाम का नायाब नमूना को दर्शाती है। यह एतिहासिक रूप से राजाओं के सैनिक स्थापत्य कला, भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र है। इन किलों में प्राचीन काल के बहुत सारे महल, हिंदू और जैन मंदिर, व्यापार केंद्र, विभिन्न कला और संस्कृति, नक्काशी, रहन-सहन आदि शामिल है। वर्तमान में यह सभी किले देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।  

1. चित्तौड़गढ़ किला : 

वीरता का प्रतीक माने जाना वाला यह किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ शहर (पुराने रजवारों में प्रसिद्ध मेवार की राजधानी) में स्थित है। चित्तौड़ दुर्ग (किला) को राजस्थान का गौरव एवं राजस्थान के सभी दुर्गों का सिरमौर भी कहते हैं। लगभग 700 एकड़ क्षेत्र में फैला यह किला बहुत ही सुंदर और बेहद मनमोहक है जो प्रकृतिक के गोद में बसा हुआ है। इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण 8वीं से 18वीं शताब्दी तक हुआ है। लेकिन, मुख्यतः निर्माण किसने कराया? यह आज भी कहना मुश्किल है। 

2. कुम्भलगढ़ किला : 

यह किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। 15वीं शताब्दी (1438 से 1459 ई.) में राणा कुंभा ने इस किले का निर्माण करवाया था। कुम्भलगढ किले को मेवाड की आँख कहते हैं। इस किले को अजयगढ़ भी कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं था। यह दुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है जिससे यह प्राकृतिक सुरक्षा पाकर अजय रहा। इसके चारों ओर एक 36 किमी लंबी और 21 फीट चौड़ी विशाल दीवार बनी हुई है जिन्हें भारत की महान दीवार कहा जाता है।

3. रणथंभौर किला : 

यह किला राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। रन और थंभ नाम की पहाड़ियों के बीच बने होने के कारण रणथम्भौर किला नाम रखा गया। इस किले के तीन तरफ पहाड़ों में प्राकृतिक खाई बनी है जो इस किले की सुरक्षा को मजबूत करता था। बीहड़ वन और दुर्गम घाटियों में 12 किमी की परिधि में स्थित इस किले का निर्माण राजा सज्जन वीर सिंह नागिल ने करवाया था और उसके बाद से उनके कई उत्तराधिकारियों ने रणथंभौर किले के निर्माण की दिशा में योगदान दिया। राव हम्मीर देव चौहान की भूमिका इस किले के निर्माण में प्रमुख मानी जाती है। 

4. आमेर किला : 

यह किला राजस्थान में जयपुर शहर के पास आमेर क्षेत्र में स्थित है और जयपुर के प्रमुख पर्यटन केन्द्र में से एक है। कालांतर में इस किले का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था। 4 वर्ग किलोमीटर में फैला यह किला और इसके महल अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिये भी जाना जाता है। दुर्ग की विशाल प्राचीरों, द्वारों की श्रृंखलाओं एवं पत्थर के बने रास्तों से भरा है। इस किले में शीश महल, मानसिंह महल और दीवान-ए-खास शामिल है, वहीं दरवाजे में सिंहपोल, चांदपोल और सूरजपोल शामिल है। 

5. जैसलमेर किला : 

यह किला राजस्थान के जैसलमेर शहर में थार रेगिस्तान के पास त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित है। इस किले को सोनार किला या स्वर्ण किले के नाम से भी जाना जाता है। रेगिस्तान में बना यह किला लिविंग फोर्ट के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि विश्व में इस दुर्ग के अतिरिक्त अन्य किसी भी दुर्ग पर जीवन यापन हेतु लोग नहीं रहते हैं। इस किले का निर्माण 1156 ई. में रावल जैसल ने शुरू किया था मगर 5 वर्ष बाद उसके मृत्यु होने पर किले का पूर्ण निर्माण उसके उत्तराधिकारी शालिवाहन द्वारा 1178 ई. में किया गया।  

6. गागरोन किला : 

यह किला राजस्थान के झालावाड़ जिले में आहू और कालीसिंध नदियों के संगम स्थल सामेलजी के निकट स्थित है। इस किले का निर्माण डोड (परमार) राजपूतों द्वारा करवाया गया था, उन्हीं के नाम पर इसे डोडगढ़ कहा जाता था। यह किला दो तरफ से नदी से, एक तरफ से खाई से और एक तरफ से पहाड़ी से घिरा हुआ है। इसलिए यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत मजबूत किला माना जाता था। 

जयपुर (यूनेस्को सूची 2019) 

राजस्थान की राजधानी जयपुर की स्थापना सन् 1727 ई. में महराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के द्वारा की गई थी। इस शहर की मुख्य खासियत यह है कि शहर में अधिकांश जगह गुलाबी रंग से रंगा गया है, इसलिए यह गुलाबी शहर के नाम से भी मशहूर है। इस शहर की अन्य खूबियों में रजवाड़ों के अन्य शहरों की अपेक्षा जयपुर को पहाड़ी पर बसाने की जगह पहाड़ी के बगल में एक समतल इलाके में बसाया गया। उस समय में ऐतिहासिक शहर जयपुर का ग्रिड प्लान वैदिक सभ्यता के अनुसार तथा पश्चिमी देशों के अनुसार उपयोग किया गया। साथ ही शहर में सड़कों के किनारे मंदिर, बाजार, कला-संस्कृति तथा अन्य तरह की व्यवस्था की गई। यह शहर ऐतिहासिक तथा आधुनिकता का मिश्रण होने के कारण वर्ष 2019 में जयपुर को यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया गया।