कोविड-19 ने बढ़ाए भारत में कुपोषण के मामले, विश्व भर की बाल मृत्यु दर में हुई वृद्धि

ग्लोबल हेल्थ साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में लॉकडाउन के समय सही से खाना न मिलने के कारण बच्चों में कुपोषण बढ़ा है। इस अध्ययन में बच्चों को उचित आहार न मिलने के कारण उनके वजन कम होने के बारे में भी बताया गया है।

January 10, 2022 - 00:19
January 10, 2022 - 00:20
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कोविड-19 ने बढ़ाए भारत में कुपोषण के मामले, विश्व भर की बाल मृत्यु दर में हुई वृद्धि
भारत में कुपोषण के मामले- Photo : gettyimages

चीन के वुहान शहर से शुरु हुए कोरॉना ने पिछले सालों में जो तबाही मचाई है, उससे हर उम्र का तबका प्रभावित हुआ है। जहां युवा वर्ग में कोरॉना की वजह से बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण करते हुए उभरी है, वहीं बाल अवस्था भी इस भीषण तबाही के कारण कुपोषण और बाल मृत्यु का दंश झेल रही है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट व डाउन टू अर्थ के सालाना विशेषांक स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट (एसओई) 2021 के एक अध्ययन में कोरोना के समय जन्में बच्चों से लेकर पांच साल तक के बच्चों पर इस महामारी के बुरे प्रभाव को देखे जाने की आशंका जताई गई है। अध्ययन में शामिल रिचर्ड महापात्रा बताते हैं कि केवल एक जनवरी 2020 को दुनिया भर में लगभग 4 लाख बच्चों का जन्म हुआ। जिसमें से 67,385 बच्चों ने भारत में जन्म लिया।

लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले 31 दिसंबर 2019 को चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया और धीरे-धीरे यह वायरस पूरे चीन और फिर दुनिया भर में तेजी से फैल गया। भारत में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को दर्ज किया गया था। जिसके बाद 11 फरवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस महामारी को कोविड-19 नाम दे दिया था।

विश्व भर की बाल मृत्यु दर में हुई वृद्धि

रिचर्ड महापात्रा के अनुसार इस महामारी की वजह से दुनिया भर में आर्थिक संकट भी देखने को मिला था। जिसकी वजह से गरीब परिवार अपने बच्चों के स्वास्थ्य, खानपान और शिक्षा पर पैसे खर्च नहीं कर पाएंगे। ऐसी स्थिति में बच्चों की मृत्यु दर अधिक हो सकती है या जो बच्चे जीवित बच जाएंगे, उनके बिमार रहने की आशंका जताई जा रही है। विश्व बैंक के मानव पूंजी सूचकांक के अनुसार कम बजट और मध्यम बजट वाले 118 देशों में बाल मृत्यु दर में 45% की वृद्धि हो सकती है। अक्टूबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया कि 2019 में लगभग 19 लाख बच्चों की मृत्यु हुई। जो गर्भ में 28 सप्ताह या उससे अधिक समय तक के नवजात शिशु थे। जिसमें से 3.4 लाख बच्चे भारत के थे। हालांकि सबसे अधिक संख्या होने के बाद भी भारत में ऐसे मृत बच्चों की संख्या में पिछले सालों के मुकाबले कमी देखी गई है।

भारत में तेजी से बढ़ते कुपोषण के मामले

कोरोना महामारी के समय व्यापार और रोजगार बंद होने के कारण देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई। जिसके कारण गरीब तबके में स्वास्थ्य और पोषण संकट और बढ़ सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 14 अक्तूबर 2021 तक भारत में 17.76 लाख बच्चे अत्यंत कुपोषित और 15.46 लाख बच्चे अल्प कुपोषित पाए गए। वहीं नवंबर 2020 और 14 अक्तूबर 2021 के बीच कुपोषित बच्चों की संख्या में 91 % की वृद्धि देखी गई है, जो अब 9,27,606 लाख से बढ़कर 17.76 लाख हो गई है।

जुलाई 2020 में ग्लोबल हेल्थ साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में लॉकडाउन के समय सही से खाना न मिलने के कारण बच्चों में कुपोषण बढ़ा है। इस अध्ययन में बच्चों को उचित आहार न मिलने के कारण उनके वजन कम होने के बारे में भी बताया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में कम वजन वाले बच्चों की संख्या 43,93,178 और लंबाई के मुकाबले कम वजन वाले बच्चों की संख्या 51,40,396 रही है। इन मामलों में बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य पाए गए।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101वें स्थान पर पहुंच गया है, जो पिछले साल भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 94वें स्थान पर था। वैश्विक भुखमरी सूचकांक मामले में भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है।