ओडिशा की प्रसिद्ध साहित्यकार मनोरमा महापात्रा का हुआ निधन, प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर जताया शोक
मशहूर साहित्यकार मनोरमा महापात्रा का हुआ निधन, 1994 में किया गया था साहित्यक अकादमी अवार्ड से सम्मानित।
ओडिसा की प्रख्यात साहित्यकार और पत्रकार मनोरमा महापात्रा का शनिवार को लंबे समय से चल रही बीमारी के कारण निधन हो गया। महापात्रा ओडिसा के सबसे बड़े अखबार 'दैनिक समाज' की संपादक भी रह चुकी हैं, इसी के साथ वह लोगों के बीच एक समाज सेविका के रूप में भी काफ़ी लोकप्रिय थी। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उनको ओडिशा के एससीबी मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
मनोरमा को साहित्य जगत में उनके अतुल्य योगदान के लिए जाना जाता है। उनकी पहली किताब 'ज्वार जेऊंथी उठे', महिला मुक्ति व सशक्तिकरण पर लिखी गई कविताओं का संग्रह थी, जिसे 1960 में प्रकाशित किया गया था। इसके अलावा 151 कविताएं , बैदेही विसर्जिता, स्मृति चंदन, समय पुरुषा, अरूप आलो जैसी अनेक प्रशंसित साहित्यिक रचनाएं भी उन्हीं की देन हैं। अपनी इन्ही उपलब्धियों के कारण वे 1982 से लेकर 1990 तक उत्कल साहित्य समाज की सचिव भी रह चुकी हैं, इसी के साथ महापात्रा 1991 में ओडिशा साहित्य अकादमी की पहली महिला अध्यक्ष भी बनीं थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, मनोरमा महापात्रा को 1994 में साहित्यिक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था, जो कि भारत की प्रत्येक प्रमुख भाषाओं में प्रकाशित सर्वसर्वश्रेष्ठ कृति को दिया जाता है। 1988 में सोवियत नेहरू अवार्ड, 1990 में क्रिटिक सर्किल ऑफ इंडिया अवार्ड, 1994 में रूपंबरा अवार्ड, उन्हें दिए गए। ये सभी सम्मान स्वयं ही उनके शानदार करियर कि व्याख्या करते हैं।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से लेकर कई बड़े-बड़े दिग्गजों ने शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर लिखा, "प्रसिद्ध साहित्यकार मनोरमा महापात्रा जी के निधन से दुखी हूं। उन्हें कई मुद्दों पर उनके लेखन के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने मीडिया में भी समृद्ध योगदान दिया और व्यापक सामुदायिक सेवा की। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।"