कश्मीरी पंडितों पर फिर से आतंकी हमला, अपनी जान बचाने के लिए कई परिवारों ने किया पलायन

पिछले 5 दिनों से फिर कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का क्रूर रूप देखने को मिल रहा है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार  7 लोगों की हत्या की जा चुकी है जिनमें से 4 लोग अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते थे।

Oct 10, 2021 - 18:23
December 10, 2021 - 10:48
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कश्मीरी पंडितों पर फिर से आतंकी हमला, अपनी जान बचाने के लिए कई परिवारों ने किया पलायन
Image Source -Sabrang india

कुछ वक्त पहले तक भारत सरकार कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के बडे़-बड़े वादे कर रही थी। लेकिन सच तो यह है कि एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरु हो गया है। कुछ दिन पहले हुए आतंकी हमले में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जिस तरह निशाना बनाकर मारा गया था। उससे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में काफी डर का माहौल बना हुआ है। बहुत सारे लोग अपनी जान बचाने के लिए जम्मू वापस आ गए हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने और अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा देने की मांग की है। इस आतंकवादी हमले की  अल्पसंख्यक समुदाय ने कड़ी निंदा करते हुए जम्मू में कई जगह धरना प्रदर्शन किया।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी नहीं सुधरे हालात:

पिछले 5 दिनों से फिर कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का क्रूर रूप देखने को मिल रहा है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार 7 लोगों की हत्या की जा चुकी है जिनमें से 4 लोग अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते थे। वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर की समर कैपिटल श्रीनगर में भी 6 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है। जम्मू में एक कश्मीरी पंडित ने कहा कि मैं एक शिक्षक हूँ,और पिछले 20 सालों से यहां काम कर रहा हूँ। प्रमोशन के पश्चात हाल में ही कश्मीर घाटी वापस लौटा था। लेकिन जिस तरह से कश्मीरी पंडितों को निशाना बना कर मारा जा रहा है उसको देखते हुए मैं वापस जम्मू लौट आया हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले तीन साल से कश्मीर घाटी में नौकरी के दौरान कोई परेशानी नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि सभी लोग आपस में मिल जुल कर साथ रहते आ रहे हैं। उनका दावा है कि कई कश्मीरी परिवार ऐसे भी है जिन्हें प्रधानमंत्री के राहत पैकेज के तहत नौकरी मिली थी,लेकिन अब वे परिवार भी कश्मीर छोड़कर जम्मू आ गए हैं। वहीं शनिवार को जगती कैंप पहुंच कर संजय भट ने कहा कि हाल ही में हुई  घटनाओं के बाद कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों में काफी डर का माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को 2016 में हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की हत्या के बाद वाला माहौल याद आ रहा है जब अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ था।

घाटी में 1990 जैसे हालात:

एक अन्य विस्थापित कश्मीरी पंडित ने बताया कि वह कभी वापस घाटी लौटना नहीं चाहते हैं। उनका कहना है कि सरकार को पहले यह विश्वास दिलाना होगा कि कश्मीर घाटी पंडितों के लिए सुरक्षित है। वहां के एक शिक्षक ने कहा कि एक सरकारी आदेश के तहत जोनल एजुकेशन ऑफिसर गांदरबल द्वारा उन्हें खीर भवानी मंदिर में रिपोर्ट करने बोला गया था जिसमें खाने की कोई बात नहीं थी। हमें अहसास हुआ कि भूखे मरने से अच्छा है वापस जम्मू लौट जाना। एक और शख्स ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में कश्मीर की घाटी में कुछ भी नहीं बदला है, यहां 1990 जैसे हालात अब भी बरकरार हैं।


सरकार को देनी होगी सुरक्षा की गॉरंटी:

पनुन कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले कश्मीरी पंडितों के एक ग्रुप ने आतंकवादी हमले में मारे गए पंडित समुदाय के लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल मार्च निकाला। वहां के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर सरकार चाहती है कि कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों के रहने लायक माहौल बने तो सरकार को सुरक्षा की गॉरंटी देनी होंगी,और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए पुनर्वास पैकेज पर एक बार फिर से सोचना होगा तथा उसके लिए योजनाएं भी बनानी होंगी।

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Mohammad Altaf Ali Global Opinions Writer at @The Lokdoot.com