GST परिषद की सिफारिशें राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं, जानिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या बदलेगा ?
कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि अनुच्छेद 246A राज्य और केंद्र को समान मानता है, वहीं अनुच्छेद 279 कहता है कि राज्य और केंद्र एक दूसरे से स्वतंत्र होकर कार्य नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए अपने फैसले में माना है कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें राज्यों या केंद्र के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, बल्कि सिर्फ एक सुझाव के तौर पर होगी। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 246A के अनुसार कर के विषय पर संसद के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं के पास जीएसटी पर कानून बनाने के लिए एक समान शक्तियां हैं और जीएसटी परिषद राज्य और केंद्र द्वारा निर्धारित कानूनों के बीच प्रतिकूलता की स्थिति में सलाह दे सकती है, किंतु कोई बाध्यकारी फैसला नहीं।
क्या था मामला?
अदालत का यह फैसला एकीकृत माल और सेवा कर (आईजीएसटी) अधिनियम, 2007 के तहत समुद्री माल पर कर लगाने से संबंधित गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर आया है। जहां उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की 2017 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें एक जहाज में माल के परिवहन की सेवाओं पर 5% आईजीएसटी लगाने का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए अपने इस फैसले से भारतीय कॉपरेटिव संघवाद के सिद्धांतों को पुनः रेखांकित किया है।
अनुच्छेद 246A और कॉपरेटिव संघवाद
कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि अनुच्छेद 246A राज्य और केंद्र को समान मानता है, वहीं अनुच्छेद 279 कहता है कि राज्य और केंद्र एक दूसरे से स्वतंत्र होकर कार्य नहीं कर सकते। कोर्ट ने कॉपरेटिव संघवाद की ओर भी इशारा करता हुए कहा कि, भारतीय संघवाद सहकारी और असहयोगी संघवाद के बीच एक संवाद है,भारतीय संघवाद एक संवाद है जिसमें राज्य और केंद्र हमेशा बातचीत में संलग्न रहते हुए मिलकर फैसले लेते हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों की मानें तो, सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि माल के आयात के मामले में भुगतान किए गए समुद्री माल पर जीएसटी असंवैधानिक है। ऐसे में कर का भुगतान करने वाले भारतीय आयातकों को कर वापस किए जाएंगे और इसके अलावा, जिन आयातकों ने आयात पर अब तक कर का भुगतान नहीं किया था, उन्हें अब सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के कारण कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।