Sri Lanka Crisis: आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में संसद को राष्ट्रपति से ज्यादा शक्तियां देने की तैयारी तेज
श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यहां तक कि दवाईयां भी इंपोर्ट हो रही हैं। श्रीलंका वासियों में सरकार के प्रति गुस्सा है क्योंकि वहां बिजली मात्र 2 घंटे मिल रही है, रसोई गैस की कीमत तो आसमान छू चुकी है और विदेशी मुद्रा ना होने के कारण पेट्रोल की भी भारी किल्लत है।
श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग हो रही है। इसी बीच 21वें संशोधन से 20A को निरस्त करने की उम्मीद है जो 19वें संशोधन को समाप्त कर देगा और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगा देगा। पीएम रानिल विक्रमसिघे ने कहा है कि राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में 21वें संशोधन पर सोमवार को अटॉर्नी जनरल के विभाग के साथ चर्चा की जाएगी ताकि उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश किया जा सके।
पीएम विक्रमसिंघे ने श्रीलंका फ्रीडम पार्टी और सत्ता पर काबिज श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) के सदस्यों और मुख्य विपक्षी दल समागी जाना बलवेगया के कुछ सांसदों के साथ बैठक की है। बता दें कि तीनों सशस्त्र बलों पर राष्ट्रपति की शक्तियां यथास्थिति बनी रहेंगी लेकिन गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग लगातार हो रही है। इस अद्वितीय वित्तीय संकट में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते गोटबाया के भाई महिंदा राजपक्षे ने पिछले हफ्ते ही हिंसक झड़पों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यहां तक कि दवाईयां भी इंपोर्ट हो रही हैं। श्रीलंका वासियों में सरकार के प्रति गुस्सा है क्योंकि वहां बिजली मात्र 2 घंटे मिल रही है, रसोई गैस की कीमत तो आसमान छू चुकी है और विदेशी मुद्रा ना होने के कारण पेट्रोल की भी भारी किल्लत है। स्थिति यह है कि रोजमर्रा की चीजों की कीमत बहुत बढ़ गई है।
पीएम विक्रमसिंघे ने रविवार को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के प्रतिनिधियों के साथ आर्थिक संकट पर बैठक की है। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थानों ने आवश्यक वस्तुओं जैसे दवा, उर्वरक और भोजन की खरीद में सहायता करने का वादा किया है। श्रीलंका वासियों को राहत मिली है क्योंकि सेंट्रल बैंक ने ईंधन व रसोई गैस की खेप के भुगतान हेतु विदेशी मुद्रा की व्यवस्था की है। हालांकि जानकारों का मानना है कि श्रीलंका का संकट बहुत बड़ा है और इससे पार पाना बहुत मुश्किल है।