दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी- दिल्ली जबकि देश का सबसे कम प्रदूषण वाला शहर है सिलीगुड़ी
हाल ही में जारी इस रिपोर्ट में उत्तर भारत के शहरों की स्थिति सबसे खराब है जिसमें दिल्ली लगातार दूसरे वर्ष दुनिया की दूसरी सबसे प्रदूषित राजधानी है। दिल्ली में वर्ष 2021 की तुलना में, इस वर्ष प्रदूषण लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा है।
साल 2021 से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में शुमार है। वहीं स्विस द्वारा जारी रिपोर्ट की मानें तो दुनिया के 50 शहरों में से भारत के 35 शहर ऐसे थे जिनकी वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी।
वहीं इस वर्ष स्विस संगठन 'IQAir' द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को 23 मार्च, 2022 को वैश्विक स्तर पर जारी किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में भारत का एक भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानक (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम-2.5 सांद्रता) पर खरा नहीं उतर पाया।
क्या कहती है यह रिपोर्ट ?
हाल ही में जारी इस रिपोर्ट में उत्तर भारत के शहरों की स्थिति सबसे खराब है जिसमें दिल्ली लगातार दूसरे वर्ष दुनिया की दूसरी सबसे प्रदूषित राजधानी है। दिल्ली में वर्ष 2021 की तुलना में, इस वर्ष प्रदूषण लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा है। यहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ की सेफ्टी लिमिट से लगभग 20 गुना अधिक है, जिसमें वार्षिक औसत के लिए पीएम 2.5 96.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। WHO द्वारा जारी की गई, सेफ्टी लिमिट 5 है।
रिपोर्ट के कुछ अहम बिंदु
• वायु प्रदूषण पर प्रकाशित आईक्यूएयर की यह विस्तृत रिपोर्ट 117 देशों के 6475 शहरों के अध्ययन पर आधारित है।
• दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर भिवाड़ी, राजस्थान में स्थित है।
• शीर्ष 15 सबसे प्रदूषित शहरों में 10 भारतीय शहर हैं तथा लगभग सभी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आस-पास के शहर हैं।
• शीर्ष 100 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भारत के 63 शहर हैं इसमें अधिकतर उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा राज्य के शहर हैं।
कैसे मापा जाता है पीएम?-
पीएम- पार्टीकुलर मैटर अर्थात् हवा के अंदर मौजूद सूक्ष्म कणों की माप।
पीएम 2.5 और 10 से हवा में उपस्थित कणों के आकार को बताती है। जाहिर है कि पीएम का आंकड़ा जितना कम होगा, हवा में उपस्थित कणों का आकार भी उतना ही छोटा होगा। पीएम वातावरण में धूल, धुआं आदि के कणों की मात्रा को प्रदर्शित करता है। यदि धूल, धुआं आदि के कण अधिक मात्रा में वायु में उपस्थित होंगे तो प्रदूषित वायु आसानी से सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच जाएगी तथा दूषित वायु में सांस लेने से अनेक बीमारियां पैदा हो सकती हैं।