UPSC Exam 2023: सिविल सेवा रिजल्ट्स के बीच जानें कैसे 167 वर्ष पूर्व हुई यूपीएससी की शुरुआत

यूपीएससी की स्थापना 1854 में सिविल सेवा आयोग के रूप में हुई थी। इसकी परीक्षाएं शुरू में केवल लंदन में ही होती थीं। एक दशक बाद 1864 में, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय बने।

May 25, 2023 - 22:00
July 12, 2023 - 14:24
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UPSC Exam 2023: सिविल सेवा रिजल्ट्स के बीच जानें कैसे 167 वर्ष पूर्व हुई यूपीएससी की शुरुआत
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upsc ias: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा 2022 परीक्षा के परिणाम घोषित हो चुके हैं। इस परीक्षा में शीर्ष 4 स्थानों पर महिलाओं ने अपना परचम लहराया है। यह देश में नारी सशक्तिकरण की एक अलग मिसाल है। जिसने भी यह रिज़ल्ट देखा उन सभी की ज़बान पर दंगल फिल्म का वह डायलॉग था-"हमारे छोरियां छोरों से कम है के?" 

जानकर हैरानी होगी कि यह वही परीक्षा है जिसमें आजादी से पहले केवल पुरुषों का ही वर्चस्व था। महिलाओं को तो यह परीक्षा देने की इजाज़त भी नही थी। उनके लिए यह रास्ता 1951 में हमारे नए संविधान के साथ खुला। 

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भारत की मान्यता प्राप्त संस्था है, जो अपनी विश्वसनीयता और उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। यूपीएससी की स्थापना भारत में 1857 की क्रांति से पहले ही हो गई थी। 1854 में ब्रिटिश सरकार ने इसे सिविल सेवा आयोग के रूप में स्थापित किया था। उस समय देश में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था।

ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में सिविल सेवाओं के लिए लोगों का चयन करती थी। तब चयनित लोगों का प्रशिक्षण लंदन के हैलेबरी कॉलेज में होता था।

मैकाले की रिपोर्ट के बाद एग्जाम शुरू हुआ

शुरू में भारत में सिविल सर्विस के लिए कोई निश्चित मानक नहीं था, इसलिए इसकी चयन प्रक्रिया में शिक्षा के अलावा आपसी परिचय और पारिवारिक संपत्ति का भी महत्वपूर्ण स्थान होता था। लेकिन जो लोग सिविल सर्वेंट के पद के लिए नामित होते थे, उनमें कई कमियां दिखाई देती थीं। बाद में, जब लॉर्ड मैकाले को लगा कि इस सेवा में बेहतर लोग ही चुने जाने चाहिए, उन्होंने इस विषय पर एक रिपोर्ट तैयार की।

सत्येंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय आईसीएस अफसर 

लॉर्ड थॉमस मैकाले की रिपोर्ट के बाद फैसला लिया गया कि अब सिविल सेवा आयोग प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सिविल सेवकों का चयन करेगा। इस तरह सिविल सेवा आयोग की स्थापना हुई। इसकी परीक्षाएं शुरू में केवल लंदन में ही होती थीं। एक दशक बाद 1864 में, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय बने।

नेताजी सुभाष भी आईसीएस (इंडियन सिविल सर्विस) का एग्जाम देने लंदन गए थे

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी 1919 में इस परीक्षा के लिए लंदन जाना पड़ा था। वहां उन्होंने मैरिट लिस्ट में स्थान प्राप्त किया, चुने गए लेकिन फिर उन्होंने इस सेवा से अलग होने के लिए लंदन में इस्तीफा दे दिया। पहले विश्व युद्ध के बाद 1922 से यह परीक्षा भारत में होने लगी।

भारत में ये आयोग 1919 में बना

यूपीएससी के अनुसार, "भारत में लोक सेवा आयोग की उत्पत्ति 5 मार्च, 1919 को भारतीय संवैधानिक सुधारों के बाद हुई। इसका नाम सिविल सेवा आयोग से लोक सेवा आयोग कर दिया गया। इसके लिए एक स्थायी कार्यालय बनाया गया। अधिनियम की धारा 96 (सी) भारत में लोक सेवा की स्थापना को मंजूरी दी गई। ताकि इससे ऐसे आईसीएस, यानी इंडियन सिविल सर्विसेज के अफसर निकलें जो भारत को बेहतर तरीके से समझते हैं।"

1935 में बना संघीय लोक सेवा आयोग

भारत सरकार द्वारा 1919 में लोक सेवा आयोग के कार्यों को निर्धारित करने का निर्णय नहीं लिया गया था, लेकिन समय के साथ इसकी आवश्यकता को महसूस करते हुए इसे तय किया गया। सरकार द्वारा धारा 96(सी) की उप-धारा (2) के तहत लोक सेवा आयोग (कार्य) नियम, 1926 के नियमों और शक्तियों को उल्लेखित किया गया। इसके बाद, भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने एक संघीय लोक सेवा आयोग और प्रत्येक प्रांत या प्रांतों के समूह के लिए एक प्रांतीय लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक योजना बनाई। भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों के अनुसार, 1 अप्रैल 1937 को लोक सेवा आयोग को संघीय लोक सेवा आयोग के रूप में स्थापित किया गया।

आजादी के बाद ये बना संघ लोक सेवा आयोग

संवैधानिक विधानों के तहत, 26 अक्टूबर 1950 को लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई। इसे संवैधानिक मान्यता के साथ-साथ स्वायत्तता भी प्रदान की गई, ताकि इसके द्वारा योग्य अधिकारियों की भर्ती बिना किसी दबाव के संभव हो सके।

 क्या है आयोग का काम? 

यूपीएससी का सभी खर्चों का भुगतान भारत सरकार करती है। इसके लिए एक अलग फंड बनाया गया है। संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट पर बताया गया है कि इसके काम में संघ की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है और साक्षात्कार के जरिए भर्ती की जाती है। इसके अलावा, यह संस्था पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति, अधिकारियों की नियुक्ति, सरकार के अधीन विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती आदि के लिए काम करती है और सरकार को सलाह देती है।

आयोग की संरचना 

संघ लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष और 10 सदस्य होते हैं। इसकी सदस्यों की संख्या संविधान में निर्दिष्ट नहीं होती, बल्कि इसका निर्धारण राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है। इसमें से आधे सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं जो कम से कम 10 वर्षों तक भारत सरकार या राज्य सरकारों में काम कर चुके होते हैं। इनकी कार्यावधि 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र तक होती है। ये कभी भी अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रपति को दे सकते हैं।