New Parliament House: विपक्षी दलों ने नई संसद के इनॉग्रेशन का किया बायकॉट, क्या है पूरा विवाद ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. कांग्रेस समेत विपक्ष के 20 दल संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे. सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

May 25, 2023 - 15:38
May 28, 2023 - 05:28
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New Parliament House: विपक्षी दलों ने नई संसद के इनॉग्रेशन का किया बायकॉट, क्या है पूरा विवाद ?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. इस समारोह को लेकर विपक्षी दल मोदी सरकार पर भड़के हुए हैं. पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि पीएम मोदी द्रौपदी मुर्मू का अपमान कर रहे हैं क्योंकि यह उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों ही होना चाहिए. कांग्रेस समेत विपक्ष के 20 दल संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे. बुधवार को इन दलों ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में बायकॉट करने की जानकारी देते हुए कहा कि जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही खींच लिया गया हो, ऐसे में हमें नई इमारत की कोई क़ीमत नज़र नहीं आती है.

सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि बहिष्कार करना और ग़ैर ज़रूरी मुद्दों को मुद्दा बनाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उनसे इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं. जोशी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष संसद के संरक्षक हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया है. 

बायकॉट करने वाली पार्टियां...

इस कार्यक्रम का बायकॉट करने वाली पार्टियों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल-यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे का शिवसेना गुट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरला कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरूथाइगल कच्छी, राष्ट्रीय लोक दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रेवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरूमलारची द्रविड मुनेत्रद कडगम (MDMK)शामिल हैं. 

वहीं, ओडिशा की बीजू जनता दल, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल और आंध्र प्रदेश के YSR कांग्रेस ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का फ़ैसला किया है. 

विपक्षियों का तर्क...

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करना संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन है. संसद की प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति को इसका उद्घाटन करना चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 79 का ज़िक्र करते हुए विपक्षियों ने कहा कि संसद राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी. प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत रूप से संसद में कोई भूमिका नहीं है. आगे वो कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का पहले नई संसद का भूमि पूजन करना और अब उद्घाटन करना उचित नहीं है. ये उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए और अगर वो उपलब्ध न हों तो उप-राष्ट्रपति या दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों में से किसी को करना चाहिए. संसद की वरीयता का क्रम यही है. 

संजय राउत ने कहा कि राष्ट्रपति, जो इस देश की प्रमुख हैं. आदिवासी महिला हैं. पार्लियामेंट की कस्टोडियन हैं. आप उनको नहीं बुला रहे. उनके हाथों से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना प्रोटोकॉल है लेकिन आप नहीं करा रहे हैं, क्योंकि आप प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन करवाकर एक पॉलिटिकल इवेंट कर रहे हैं. वहीं टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है. संसद सिर्फ़ एक नई इमारत नहीं है, यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों और भारतीय लोकतंत्र की नींव है. PM मोदी के लिए बिल्डिंग का इनॉग्रेशन सिर्फ़ उनके लिए है, हमारे लिए नहीं. 

गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा... 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत की ओर से भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक के रूप में पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. सेंगोल अभी इलाहाबाद के एक संग्रहालय में है. उन्होंने कहा कि उद्घाटन के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है और वे अपने विवेक के अनुसार फ़ैसला करेंगे. कार्यक्रम को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. गृह मंत्री ने कहा कि लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास सेंगोल को प्रमुखता से लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले 60,000 श्रमिकों को सम्मानित भी करेंगे. गृह मंत्री ने कहा कि नया संसद भवन देश की विरासत और परंपराओं के साथ आधुनिकता को जोड़ने वाला नया भारत बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का प्रमाण है. 

आज़ाद का मिला साथ... 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आज़ाद ने इस मामले पर कहा कि नए संसद के निर्माण का प्रस्ताव सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के समय में सामने आया था, लेकिन यह ठंडे बस्ते में चला गया. उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि यह काम अब पूरा हुआ है. जहां तक नया संसद भवन बनाने की बात है तो यह नई बात नहीं है यह 32 साल पहले कांग्रेस की ही सोच थी. संसद में बैठे लोगों को यह तय करना है कि वो भाग लेंगे या बहिष्कार करेंगे.

सेंगोल के बारे में...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. नए संसद भवन में 'सेंगोल' को स्थापित किया जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए इसकी जानकारी दी. तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम मोदी को 'सेंगोल' सौपेंगे. इसे संसद में परमानेंट स्थापित किया जाएगा. नई संसद में इस सेंगोल को स्पीकर की कुर्सी के पास रखा जाएगा. 

शाह ने बताया कि सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है. आजाद भारत में इसका बड़ा महत्व है. 14 अगस्त 1947 में जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वो इसी सेंगोल द्वारा हुआ था. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10.45 बजे तमिलनाडु पुजारियों के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया था. आज़ादी के समय जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या आयोजन होना चाहिए? नेहरूजी ने अपने सहयोगियों से चर्चा की. सी गोपालाचारी से पूछा गया. गोपालाचारी ने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया. इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरु ने स्वीकार किया. यह स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के लोगों के लिए अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का संकेत था. सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी क्योंकि एक कर ह से  कहा जाए तो सेंगोल भारत की आज़ादी का प्रतीक है. 

नए संसद भवन के बारे में... 

प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी. नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था. इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनी ये बिल्डिंग प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसे 28 महीने में बनाया गया. 862 करोड़ रुपए में बने नए संसद भवन का काम पूरा हो गया है. 

फ़िलहाल लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है जबकि नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है. वहीं राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है और नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे. लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक़्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे. संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफ़िस हैं. ऑफ़िसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफ़िस की सुविधा है. कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है. साथ ही साथ कैफ़े और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है. कमेटी मीटिंग के लिए अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं.

Harish Sahu छत्तीसगढ़ का निवासी हूँ. फ़िलहाल जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा हूँ. लिखने की कोशिश में लगा हुआ हूँ.