Perarivalan Released:इक्कतीस साल बाद राजीव गांधी हत्याकांड आरोपी एजा पेरारिवलन की सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई रिहाई

Rajiv Gandhi Assassination: पेरारीवलन को 19 साल की उम्र में 11 जून 1991 को गिरफ्तार किया गया था, उस पर एलटीटीई के मास्टरमाइंड शिवरासन के लिए दो 9 वोल्ट 'गोल्डन पावर' बैटरी सेल खरीदने का आरोप लगाया गया था, जिसका इस्तेमाल राजीव गांधी की हत्या में इस्तेमाल हुए बम में किया गया था।

May 19, 2022 - 05:13
May 19, 2022 - 18:22
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Perarivalan Released:इक्कतीस साल बाद राजीव गांधी हत्याकांड आरोपी एजा पेरारिवलन की सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई रिहाई
Perarivalan Released -फोटो : Social Media

Perarivalan Released:

इक्कतीस साल बाद राजीव गांधी हत्याकांड में आरोपी रहे एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 142 की शक्तियों को लागू करते हुए उसकी रिहाई का आदेश दिया है। पेरारीवलन को 19 साल की उम्र में 11 जून 1991 को गिरफ्तार किया गया था, उस पर एलटीटीई के मास्टरमाइंड शिवरासन के लिए दो 9 वोल्ट 'गोल्डन पावर' बैटरी सेल खरीदने का आरोप लगाया गया था, जिसका इस्तेमाल राजीव गांधी की हत्या में इस्तेमाल हुए बम में किया गया था।

क्या हैं अनुच्छेद 142 ?

अनुच्छेद 142 अदालत को किसी मामले में पूर्ण न्याय करने का आदेश पारित करने का‌ अधिकार देता है। इसके अनुसार अगर राज्यपाल की ओर से अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान, सजा में छूट आदि की शक्तियों के प्रयोग पर निर्णय लेने में कोई देरी होती है तो वो न्यायिक समीक्षा के अधीन है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तब कड़ी फटकार लगाई थी जब उसने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा क्षमादान के मामले पर खुद फैसला न लेकर उसे राष्ट्रपति को अग्रेषित करने के फैसले का बचाव किया था। साथ ही साथ राज्यपाल के इस निर्णय को असंवैधानिक करार देते हुए चेतावनी दी थी कि अगर इस पर जल्द कोई फैसला सरकार नहीं लेती है तो कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करेगी।

क्या था एजी पेरारिवलन का मामला?

एजी पेरारिवलन को साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड का दोषी करार देते हुए मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी, किंतु एक वर्ष के पश्चात मृत्यु दंड को हटा दिया और फिर लंबी सुनवाई के बाद 2014 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में जेल में उनके अच्छे व्यवहार के लिए और सजा के दौरान अर्जित की गई शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए साल 2018 में कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल से रिहाई की सिफारिश की थी, जिसका ज़िक्र जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए भी किया है। पीठ ने कहा कि तमिलनाडु कैबिनेट ने सितंबर 2018 में प्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल से उनकी रिहाई की सिफारिश की थी, किंतु राज्यपाल द्वारा निर्णय लेने में आए विलंब से कोर्ट को अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करना पड़ा।

फैसले पर प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने खुशी जताई और एजी पेरारिवलन से मुलाकात भी की। एजी पेरारिवलन ने भी मुख्यमंत्री द्वारा रिहाई के प्रयासों में की गई मदद के लिए धन्यवाद दिया।

इसके अतिरिक्त कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिज्ञों ने फैसले पर खुशी जताते हुए, इस लंबी लड़ाई के संघर्ष के लिए एजी पेरारिवलन की मां को बधाई दी।

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