फोगाट परिवार में नई उम्मीद है विनेश फोगाट
भारत में महिला कुश्ती के लिए मशहूर फोगाट परिवार से आने वाली विनेश, टोक्यो ओलंपिक में भारत की सबसे बड़ी उम्मीद हैं। उन्हें 53 किलो भार वर्ग में शीर्ष वरीयता दी गई है।
ओलंपिक में इस साल अब तक का भारतीय खिलाड़ियों का सबसे बड़ा दल शिरकत करने जा रहा है। बैडमिंटन, मुक्केबाजी, कुश्ती और निशानेबाजी में भारत के पदक के कई प्रमुख दावेदार मौजुद हैं।
इन्हीं में से एक हैं विनेश फोगाट। भारत में महिला कुश्ती के लिए मशहूर फोगाट परिवार से आने वाली विनेश, टोक्यो ओलंपिक में भारत की सबसे बड़ी उम्मीद हैं। उन्हें 53 किलो भार वर्ग में शीर्ष वरीयता दी गई है।
विनेश से क्यों है पदक की उम्मीद
विनेश फोगाट ने साल 2019 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और ओलंपिक का टिकट हासिल करने में सफल रहीं। हालिया फॉर्म की बात करें तो विनेश का फॉर्म काफी अच्छी है। फरवरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वापसी करने के बाद विनेश ने चार टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया और सभी में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने जून में सम्पन्न हुए पोलैंड ओपन के 53 किग्रा भार वर्ग में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। मार्च में माटियो पेलिकन और अप्रैल में एशियाई चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक भी अपनी ही झोली में डाला था।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का सफर आसान नहीं रहा।
विनेश जब मात्र 9 साल की थीं तो उनके पिता राजपाल फोगाट की मृत्यु हो गई थी। इस कठिन समय में विनेश के परिवार की मदद उनके ताऊ महावीर सिंह फोगाट ने की। महावीर ने विनेश, उनकी बहन प्रियंका और भाई हरविंदर को अपने साथ रखा। यहां इन भाई-बहनों ने कुश्ती सीखना शुरू किया। फिर आया साल 2010, दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में विनेश की दोनों चचेरी बहनों ने, गीता ने 55 किलो भार में और बबीता ने 51 किलो भार में, स्वर्ण पदक जीते। बहनों की इस सफलता के बाद विनेश ने और कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया जिसका फल उन्हें 2013 में मिला जब उन्होंने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया। 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में विनेश ने स्वर्ण पदक हासिल किया। वह उनका पहली अंतर्राष्ट्रीय पदक था। विनेश ने इसी साल इंचियोन में हुए एशियाई खेलों में कांस्य पदक भी जीता।
चोट की वजह से रियो ओलंपिक में पदक जीतने का सपना टूटा
राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में पदक जीत चुकी विनेश से 2016 के रियो ओलंपिक में पदक की उम्मीद की जाने लगी थी जिसकी तैयारियों का सबूत उन्होंने 2015 के दोहा एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीत कर दिया था। रियो ओलंपिक के 48 किलो भार वर्ग में उतर रहीं विनेश ने शानदार शुरुआत करते हुए क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली। क्वार्टर फाइनल में चीन के पहलवान का मुकाबला करते हुए उनके घुटने में गंभीर चोट लग गई और उनके पदक जीतने का सपना टूट गया। जोर-जोर से रो रही विनेश को स्ट्रेचर पर लादकर बाहर ले जाया गया। चोट के बारे में विनेश कहती हैं “अगले दो महीने तक रोज उठना, खाना खाना, रोना और सो जाना यहीं किया मैंने।” 2016 में विनेश को अर्जुन पुरस्कार के लिए चुना गया, पुरस्कार लेने के लिए वह व्हीलचेयर पर गई थीं।
चोट से उबरने के बाद शानदार वापसी
रियो ओलंपिक में चोट के बाद विनेश एक साल तक मैट से दूर रहीं। चोट से उबरने के बाद विनेश ने शानदार वापसी करते हुए 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके साथ वो एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला रेसलर भी बन गईं। 2018 में ही गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। इसके अगले साल विनेश ने एशियाई चैंपियनशिप 53 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया।
गेम में किया पॉजिटिव बदलाव
अपने गेम और तकनीक में आए बदलाव के बारे में ईएसपीएन से बात करते हुए विनेश कहती हैं “पहले मुझे विपक्षियों के गेम की स्टडी करना कमजोरी का प्रतीक लगता था। मैचों के दौरान मैं लगातार बिना थके अटैक करती थी। मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि मैं हार रही हूं य़ा जीत रही हूँ। लेकिन अब मैं मैट पर काफी मूवमेंट करती हूं और मेरी तकनीक भी पहले से बेहतर हुई है। अब मैं अपने अटैक मौके के हिसाब से करती हूं। हर विपक्षी के खिलाफ रणनीति पहले से तैयार होती है। हम शनिवार को और बाउट से पहले मेरे प्रतिद्वंद्वी के खेलों की स्टडी करते हैं। पहले मैं ये सब नहीं करती थी लेकिन अब मुझे पता है कि इससे बड़ा अंतर आता है।”
आसान नहीं होगी ओलंपिक मेडल की राह
उत्तर कोरिया की मि. योंग के ओलंपिक में ना आने और जापानी दिग्गज माया मुकाइदा के इस सीजन कोई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट न खेलने के चलते विनेश को टोक्यो के लिए नंबर वन की रैंक मिली है परंतु उन्हें टोक्यो में पदक जीतने के लिए मुकाइदा के साथ इक्वाडोर की लुइसा वाल्वेर्दे और चीन की किन्यु पैंग जैसी दिग्गजों से पार पाना होगा।