सूर्य नमस्कार : एक आसन जिसके हैं चमत्कारी लाभ, जानिए किसे भूल कर भी नहीं करना चाहिए
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है, इसीलिए आज के इस तकनीकी दुनिया में ये आवश्यक है कि हम अपने मस्तिष्क को हमेशा सक्रिय रखने के लिए शरीर को स्वस्थ बनाएं रखें।
"स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है, इसीलिए आज के इस तकनीकी दुनिया में ये आवश्यक है कि हम अपने मस्तिष्क को हमेशा सक्रिय रखने के लिए शरीर को स्वस्थ बनाएं रखें। स्वास्थ को संतुलित रखने के लिए हम अनेक प्रकार के व्यायाम-प्राणायाम करते हैं, किन्तु यदि एक ही व्यायाम में अनेकों लाभ प्राप्त हों तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। सूर्य नमस्कार को करने से 108 से भी अधिक स्वास्थ्य समस्याओं का निदान होता है।
कैसे करें :
सूर्य नमस्कार 12 आसनों का एक संकलन है। सर्वप्रथम हाथ जोड़ कर खड़े हो जाएं। श्वांस लेते हुए हाथ ऊपर खींचे और छोड़ते हुए झुक कर दोनों हथेलियों को ज़मीन पर पैर के बगल में रखें। इसके बाद श्वांस लेते हुए एक पैर पीछे ले जाइए और छोड़ते हुए दूसरे पैर को भी पहले वाले के बगल में रखें। अब श्वांस रोकते हुए शरीर को नीचे ले जाएं और छाती, घुटना एवं मस्तक को धरती पर रखें। अब उल्टे क्रम में वापस हाथ जोड़ कर खड़े होने की मुद्रा में जाएं। इसे एक चक्र सूर्यनमस्कार कहते हैं।
सूर्यनमस्कार के लाभ:
सूर्य नमस्कार से कई स्वास्थ समस्याओं का समाधान हो सकता है और यह शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। ख़राब पाचनतंत्र, डायबिटीज, अनियमित मासिक धर्म, मोटापन जैसी कई चीजें सूर्यनमस्कार से ठीक हो जाती हैं। साथ ही शरीर को लचीलापन, डेटॉक्सिनेशन करने के साथ मानसिक चिंता को भी दूर कर तनाव मुक्त करता है। इससे श्वास क्रिया में भी बहुत लाभ मिलता है।
किसे नहीं करना चाहिए :
3 महीने से अधिक गर्भवती महिलाओं को, हर्निया और सर्वाइकल के मरीज़ों को सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए। साथ ही यदि किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या हो तो वो भी सूर्यनमस्कार करने से परहेज़ करें। हड्डियों में दर्द की समस्या वाले मरीज़ भी चिकित्सकों की सलाह से ही सूर्यनमस्कार करें।