सौरभ चौधरी के सौरभ से सुवासित होगा ओलम्पिक
सौरभ की उम्र मात्र 19 वर्ष है लेकिन उसके हौंसले उसकी उम्र से काफी बड़े हैं। पंद्रह साल की उम्र से सौरभ ने अपने घर से ही शूटिंग के अभ्यास की शुरुआत कर दी थी। महज 16 साल की उम्र में सौरभ ने 8 अंतरराष्ट्रीय पदक जीत लिए थे।
उत्तर प्रदेश के बिनोली गांव की एकेडमी में टीन के शेड के नीचे दोपहर की चिलचिलाती धूप में एक लड़का शूटिंग का अभ्यास कर रहा है.. वह लड़का है सौरभ चौधरी। भरी दोपहरी में जब धूप बहुत तेज हो जाती थी तो कोच साहब कहा करते थे कि अब तो घर चले जाओ, जिस पर सौरभ बस इतना ही कहता था कि बस थोड़ी देर और कोच साहब।
सौरभ की उम्र मात्र 19 वर्ष है लेकिन उसके हौंसले उसकी उम्र से काफी बड़े हैं। पंद्रह साल की उम्र से सौरभ ने अपने घर से ही शूटिंग के अभ्यास की शुरुआत कर दी थी। महज 16 साल की उम्र में सौरभ ने 8 अंतरराष्ट्रीय पदक जीत लिए थे।
16 साल की उम्र वह होती है जब कोई बच्चा अपनी बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा होता है। उस उम्र में देश को स्वर्ण पदक जिताना, यह अपने आप में एक बहुत बड़ी कामयाबी है।
सौरभ का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था। सौरभ के पिता एक सामान्य किसान हैं। सौरभ का परिवार एक मध्यम वर्गीय परिवार था। एक बार सौऱभ अपने पिता को खेत में, गन्ना काटने में मदद कर रहे थे। जिसके बाद उन गन्नों को उसके पिता लॉरी में भरकर मंडी ले जाने वाले थे। तो उत्सुक होकर सौरभ ने अपने पिता से कहा कि वह भी उनके साथ मंडी जाएंगे। इस पर उनके पिता ने जवाब दिया “म्हारी ते पूरे जिंदगी इसी में निकण ली इब ते हम ये कर लेंगे लेकिन तू अपने शूटिंग पर ध्यान लगा।” पिता की इस बात को सौरभ ने अपने मन में बसा लिया और तब से मंडी न जाकर वह अभ्यास के लिए अपने गांव की शूटिंग एकेडमी में समय बिताने लगे।
सौरभ बाकि बच्चों से थोड़े अलग थे। रोजाना सुबह पांच बजे उठकर सौरभ अभ्यास के लिए जाते थे। अगर आपको कुछ ऐसा हासिल करना है जो आपको सबसे अलग करे तो उसके लिए आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है और अपने आपको उसके काबिल साबित करना पड़ता है। गांव की अकेडमी में अधिक सुविधाएं न होने के बावजूद भी सौरभ ने अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं होने दी। जब अकेडमी में अभ्यास नहीं हो पाता था तो सौरभ अपने घर पर ही अभ्यास करना शुरु कर देते थे। उन्होंने महज 150-200 रुपयों में शूटिंग की सामग्री घर में लगाकर अभ्यास शुरु कर दिया। सौरभ 10 मीटर शूटिंग का अभ्यास करते थे। इसके लिए उन्होंने अपने कमरे से लेकर सामने वाले दूसरे कमरे में लक्ष्य फिक्स कर रखा था। बिनोली की वीर शाहमल अकेडमी में कोच अमित सौरभ को प्रशिक्षित करते थे। उनका कहना है सौऱभ बहुत जल्दी चीजों को पकड़ लेते हैं और स्वभाव से वह एक हंसमुख और शांत किस्म का लड़का हैं। स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी उनके अंदर एक सादगी है जो उन्हें जमीन से जोड़कर रखती है। प्रशिक्षण के समय से ही सौरभ को दस में से दस अंक लाने का चस्का चढ़ गया था। दस अंक का मतलब होता है कि सारे के सारे बुलेट बिल्कुल ठीक निशाने पर लगें। यह एक मुश्किल काम था पर धीरे-धीरे प्रैक्टिस के साथ सौऱभ का निशाना बिल्कुल ठीक होता चला गया।
दिसंबर 2017 में सौरभ ने 10वें एशिया यूथ ओलंपिक खेलों की योग्यता में गोल्ड मेडल के साथ यूथ ओलंपिक खेलों के लिए भी क्वालीफाई किया था। सौरभ ने महज दो साल की ट्रेनिंग के बाद भारत को कई सारे स्वर्ण पदक दिलाए। 21 अगस्त, 2018 को इंडोनेशिया के जकार्ता में चल रहे 18वें एशियाई खेलों में सौरभ ने (पुरुष) 10 मीटर की एयर पिस्टल की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक पर निशाना लगाया। 16 साल की उम्र में भारत में पहली बार किसी ने इसमें स्वर्ण पदक जीता। इस जीत से पूरा भारत झूम उठा। 2018 सौरभ के लिए काफी अच्छा रहा क्योंकि इसी साल जूनियर विश्व कप में सौरभ ने तीन स्वर्ण पदकों को अपने नाम किया। इसके बाद एशियाड 2018 में भी उन्होंने अपने प्रदर्शन से स्वर्ण पदक जीता। इतने सारे स्वर्ण पदक जीतने के बाद तो यही लगता है कि सौरभ का दूसरा नाम 'गोल्डन बॉय' कर देना चाहिए।
सौरभ ने कई स्वर्ण पदक तो अपने नाम किए ही साथ ही इतनी कम उम्र में कई विश्व रिकार्ड भी इन्होंने अपने नाम किया है। 21 अगस्त 2018 को, उन्होंने जापान के टॉमॉयकी मत्सुदा को हराकर 240.7 के रिकॉर्ड स्कोर के साथ एशियाई खेलों में 10 मीटर एयर राइफल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता। भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने पर सौरभ को उत्तरप्रदेश सरकार ने 21 अगस्त 2018 को 50 लाख का इनाम भी दिया था।
सौरभ जब 16 साल की उम्र में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने के बाद गांव की अकेडमी पहुंचे तो उनके कोच ने कहा अब तो वह स्टार हो गए हैं। इस पर सौरभ ने कहा “नहीं कोच साहब जब ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतूंगा तब यह बात कहिएगा, अभी तो ओलंपिक की तैयारी करनी है।”