यूएनएफपीए की किसी को पीछे न छोड़ना थीम पर दिव्यांगों के लिए कार्यशाला आयोजित

यूएनएफपीए की किसी को पीछे न छोड़ना थीम पर दिव्यांगों के लिए कार्यशाला आयोजित, डा. दीपेश गुप्ता ने कहा दिव्यांग युवाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी।

December 20, 2023 - 19:55
December 20, 2023 - 19:56
 0
यूएनएफपीए की किसी को पीछे न छोड़ना थीम पर दिव्यांगों के लिए कार्यशाला आयोजित
Leaving no one behind

जयपुर। दिव्यांग युवाओं के लिए स्वास्थ्य और अधिकारों तक पहुंच बनाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। हमें उनके अधिकारों के लिए भी लड़ना होगा। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो हालातों में सुधार लाना संभव नहीं हो सकेगा। यह कहना है संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के स्टेट हेड डॉ. दीपेश गुप्ता का। उन्होंने बुधवार को यूएनएफपीए की ओर से दिव्यांग युवाओं के लिए लीविंग नो वन बिहाइंड (किसी को पीछे न छोड़ना) विषय पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में यह बात कही। लोक संवाद संस्थान के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में विभिन्न सामाजिक संगठनों, सीएसओ और एनजीओ के कार्यकर्ता, विषय विशेषज्ञ, राजस्थान के सरकारी विशेष विद्यालयों और महाविद्यालयों के प्राचार्य, सहायक व्यक्तियों के साथ विभिन्न दिव्यांग युवा, सीएसआर प्रतिनिधि और मीडियाकर्मियों ने सक्रिय भागीदारी की।

     कार्यशाला में यूएनएफपीए की कार्यक्रम एवं तकनीकी सहायक प्रमुख डॉ. दीपा प्रसाद ने दिव्यांगता पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि 2011 में अखिल भारतीय स्तर पर दिव्यांगजनों की कुल संख्या 2.21 प्रतिशत थी। इनमें से 7.62 प्रतिशत दिव्यांगजन 0-6 आयु वर्ग के हैं। एनएफपीए के राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी डॉ. नीलेश देशपांडे ने युवाओं के लिए एसआरएचआर गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वहीं साइटसेवर्स इंडिया की प्रदेश कार्यक्रम अधिकारी तुषिता मुखर्जी ने दृष्टिबाधित बच्चों की शिक्षा पर अपनी बात रखी। उन्होंने ऐसे बच्चों की बेहतरी के लिए तकनीक आधारित प्रशिक्षण पर जोर दिया। विशेष योग्यजन निदेशालय, राजस्थान सरकार के एडिशनल डायरेक्टर अशोक कुमार जांगिड़ ने सरकार की ओर से दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी। 

दिव्यांग विश्वविद्यालय से जुड़ेंगे संस्थान: डॉ. देव स्वरूप 

वहीं बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देव स्वरूप ने दिव्यांग युवाओं के अधिकार पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अधिनियमन ने दिव्यांगता की संख्या को सात स्थितियों से बढ़ाकर 21 कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार प्रदेश में कई कॉलेज विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे। इनमें जोधपुर, पाली और बीकानेर संभाग के कई संस्थान संबद्ध किए जाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से दिव्यांगों के लिए हाल ही में लॉन्च की गई बेवसाइट के बारे में भी जानकारी दी।

तकनीकी का महत्व जानें दिव्यांग युवा: महादेव

असिसटेक फाउंडेशन के सीईओ प्रतीक महादेव ने दिव्यांग युवाओं को तकनीकी का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का पूरी तरह से उपयोग करना होगा। ऑप्टिमस सेंटर फॉर वेल बीइंग की निदेशक डॉ. अमृता पुरी ने दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही एजुकेशनल पॉलिसी पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने योजनाओं में सुधार की भी वकालत की। 

दिव्यांगजन अपनी ताकत को समझें: नुपूर 

चेंज इंक फाउंडेशन की निदेशक नुपूर झुनझुनवाला ने दिव्यांगों की एंटरप्रेन्योरशिप क्षमता को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन किसी से कम नहीं हैं, उन्हें अपनी ताकत का अहसास करना होगा। यूएनएफपीए के कुमार मनीष ने नि:शक्तता के विभिन्न मॉडलों को समझाते हुए दिव्यांगजनों के सहयोगी के रूप में काम करने का आह्वान किया। लोक संवाद संस्थान के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दिव्यांग युवाओं को जीवन कौशल, स्वास्थ्य और अधिकार तथा उनकी क्षमतावर्धन के लिए सामूहिक प्रयासों की दरकार है। समापन पर राजस्थान पत्रिका के मानवीय सरोकारों से जुड़े पत्रिका फाउंडेशन से आए चिन्मय दांडेकर ने जन-जागरुकता के अभियान में सहयोग देने के लिए प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया।

The LokDoot News Desk The lokdoot.com News Desk covers the latest news stories from India. The desk works to bring the latest Hindi news & Latest English News related to national politics, Environment, Society and Good News.