Birju Maharaj Biography: जानिए कौन थे कथक को एक नई पहचान देने वाले बिरजू महाराज और किस घराने से रखते थे वह संबंध ?
Pandit birju maharaj: पंडित बिरजू महाराज(Birju Maharaj) जी का असली नाम पंडित बृज मोहन मिश्र था, जिनका जन्म लखनऊ में 4 फ़रवरी 1938 को हुआ था। बिरजू जी महाराज अच्छन वंश के वंशज थे जो कथक नृत्य के लखनऊ घराने से थे और 9 वर्ष की उम्र में ही इनके पिताजी का देहांत हो गया जिसके बाद परिस्थितियों में उतार चढ़ाव के कारण इन्हें अपने परिवार के साथ घर छोड़कर दिल्ली जाना पड़ा।
Birju Maharaj: कथक को एक नई पहचान देने वाले पंडित बिरजू महाराज का आज जन्मदिन है। उन्होंने कथक नृत्य को ही अपनी दुनिया बना ली थी। कम उम्र से ही उन्होंने नृत्य में प्रशिक्षण देना शुरु कर दिया था। उन्होंने नृत्य के उत्थान के लिए बहुत प्रयास किए और इसे ऊंचाई तक पहुंचाने का कार्य किया था। उनका पूरा जीवन इस सास्कृतिक धरोहर को बनाए रखने व नई ऊंचाईओं तक पहुंचाने में बीत गया।
पंडित बिरजू महाराज(Birju Maharaj) जी का असली नाम पंडित बृज मोहन मिश्र था, जिनका जन्म लखनऊ में 4 फ़रवरी 1938 को हुआ था। बिरजू जी महाराज अच्छन वंश के वंशज थे जो कथक नृत्य के लखनऊ घराने से थे और 9 वर्ष की उम्र में ही इनके पिताजी का देहांत हो गया जिसके बाद परिस्थितियों में उतार चढ़ाव के कारण इन्हें अपने परिवार के साथ घर छोड़कर दिल्ली जाना पड़ा। आप यह जानकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने दिल्ली के एक प्रशिक्षण संस्थान संगीत भारती में नृत्य का प्रशिक्षण देना शुरु कर दिया था। संगीत भारती के बाद भी इन्होंने कई संस्थानों में नृत्य का प्रशिक्षण दिया जिसके बाद दिल्ली में ही एक नृत्य के लिए विद्यालय खोला जिसका नाम कलाश्रम रखा।
धीरे-धीरे कथक नृत्य में उनकी ख्याति चारों ओर फैलने लगी। जिसके कारण उन्हें कथक सम्राट कहकर संबोधित किया जाने लगा। पंडित बिरजू महाराज(Birju Maharaj) जी ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में नृत्य और संगीत के निर्देशन किए हैं। कई फिल्मों के लिए संगीत भी लिख चुके हैं और साथ ही साथ उन्होंने कई फिल्मों के लिए नृत्य निर्देशन का काम किया है जिनमें से गदर, देवदास, बाजीराव मस्तानी, दिल तो पागल है जैसी सुपरहिट मूवी शामिल है। उन्हे राष्ट्रीय सम्मान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ,पदम विभूषण , कालिदास जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया। संगीत गायन में इनकी भूमिका को देखते हुए लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। इसी के साथ एक लंबा सफर तय करते हुए 17 जनवरी 2022 के दिन 83 साल की उम्र में बिरजू महाराज जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।