Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजीव गांधी को सोनिया-राहुल-प्रियंका ने दी श्रद्धांजलि

राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करके पिता को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा- 'पापा, आप मेरे साथ ही हैं, एक प्रेरणा के रूप में, यादों में, सदा!' इस वीडियो में बताया गया है कि राजीव गांधी ने देश में विकास में क्या-क्या योगदान दिया. इस वीडियो में उनके शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरों से लेकर प्रधानमंत्री रहते हुए देश को लेकर उनकी सोच और उनकी कार्य-शैली की झलक दिखाई गई है.

May 23, 2023 - 01:22
May 28, 2023 - 05:48
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Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजीव गांधी को सोनिया-राहुल-प्रियंका ने दी  श्रद्धांजलि
Rajiv Gandhi

बीते दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 32वीं पुण्यतिथि गुज़री. इसको लेकर दिल्ली में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणूगोपाल सहित अन्य लोगों ने राजीव गांधी के स्मारक स्थल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

इस दौरान राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करके पिता को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा- 'पापा, आप मेरे साथ ही हैं, एक प्रेरणा के रूप में, यादों में, सदा!' इस वीडियो में बताया गया है कि राजीव गांधी ने देश में विकास में क्या-क्या योगदान दिया. इस वीडियो में उनके शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरों से लेकर प्रधानमंत्री रहते हुए देश को लेकर उनकी सोच और उनकी कार्य-शैली की झलक दिखाई गई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पूर्व पीएम राजीव गांधी को याद किया. 

कैसे हुई थी राजीव गांधी की हत्या?

आज से करीब 32 साल पहले यानी 21 मई 1991 को देशवासियों ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी को खो दिया था. तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान एक धमाके में उनकी मौत हो गई थी. एक चुनाव प्रचार अभियान के दौरान लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के सदस्यों ने हत्या कर दी थी. 

श्रीपेरंबदूर में रैली के दौरान धनु नाम की आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी. महिला धनु ने रैली के दौरान राजीव को फूलों का हार पहनाया था और बाद में उनके पैर छूए थे. महिला ने झुकते हुए कमर पर विस्फोटक बांध कर ब्लास्ट कर दिया. हमले में प्रधानमंत्री और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. हमले के बाद धुआं छटा और राजीव गांधी की तलाश शुरू हुई. इस दौरान उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा मिला. 

लिट्टे क्या है

श्रीलंका में 70 के दशक की शुरुआत में तमिलों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई संगठनों का जन्म हुआ था. इन संगठनों में तमिल न्यू टाइगर्स (TNT) भी एक था. टीएनटी के साथ पहले छात्र और नौजवान जुड़े थे और इसकी बागडोर वी. प्रभाकरन के हाथों में थी. 1976 में प्रभाकरन ने एस. सुब्रमण्यम के आतंकवादी गुट के साथ हाथ मिला लिया और इस तरह लिट्टे का जन्म हुआ. बीतते वक़्त के साथ लिट्टे अन्य तमिल संगठनों की तुलना में सबसे शक्तिशाली संगठन बन गया और अन्य छोटे मोटे संगठनों को या तो अपने साथ मिला लिया या ख़त्म कर दिया. एक दशक के अंदर प्रभाकरन ने लिट्टे को मामूली हथियारों के 50 से कम लोगों के समूह से 10 हज़ार लोगों के प्रशिक्षित संगठन में बदल दिया था जो एक देश की सेना तक से टक्कर ले सकता था. 1980 के दशक के मध्य तक लिट्टे तमिलों का नेतृत्व करने वाला एकमात्र संगठन शक्तिशाली के तौर पर उभरा.