Marriage Age: लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी में सरकार,जानिए क्या है उम्र बढ़ाने का कारण
भारत में लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल किया जा रहा है। कम उम्र में विवाह से न केवल सामाजिक और आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचता है बल्कि इससे आर्थिक व्यव्स्था को भी क्षति पहुंचती है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से 21 साल करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है। इस प्रस्ताव के तहत अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून,स्पेशल मैरिज एक्ट और हिन्दू मैरिज एक्ट में संशोधन लाएगी।
UNICEF के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 18-21 साल के बीच विवाह करने वाली लड़कियों की संख्या 16 करोड़ है। वहीं इस साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो रही हैं। बिहार, झारखण्ड, राजस्थान, और बंगाल इसमें सबसे आगे हैं। हालांकि पिछले 10 सालों में उत्तर प्रदेश सहित इन राज्यों में बाल विवाह 20 फीसदी कम हुए हैं।
क्या कारण है कि शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर की जा रही है 21 साल
इस विधेयक को लानें की सबसे बड़ी वज़ह कम उम्र में मां बनने वाली महिलाओं तथा जन्म लेने वाले बच्चों की सेहत से जुडी समस्याओं को बताया जा रहा है। इस विधेयक का मुख्य कारण यह हैं कि उम्र बढ़ने से जच्चा–बच्चा के स्वस्थ होने की संभावना बढ़ेगी।
क्या वाकई बिगड़ती सेहत के पीछे एकमात्र यही वज़ह है?
हंगर सूची के लगातार बढ़ते पायदान को देखकर स्पष्ट है कि भुखमरी हमारे समाज को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रही है। वहीं महिलाओं की ख़राब सेहत की मूल वजहों में भी गरीबी और कुपोषण शामिल हैं। जो 140 देशों में किये गए अध्यन के आधार पर भारत में कुपोषित बच्चों की ख़राब स्थिति को दिखाती है। इसका अर्थ यह हैं कि यदि महिलाओं के विवाह की उम्र को बढ़ा दिया जाएगा तो इससे उनके स्वास्थ्य पर फर्क पड़ेगा लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकी पीढ़ी दर पीढ़ी कुपोषण भी तेजी से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। ग्लोबल नुट्रिशन रिपोर्ट (2021) के अनुसार भारत में एनीमिया पीड़ितों का आंकड़ा जो 2016 में 52.6 प्रतिशत था, 2020 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट बताती है कि भारत की हर 2 में से एक महिला खून की कमी की शिकार है। मतलब साफ़ है कि भारत की आधी आबादी (15-49 आयु वर्ग) एनीमिया से ग्रस्त है। वहीं मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ सर्वे एंड फैमिली वेलफेयर के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार एनीमिया से ग्रस्त आबादी की संख्या 5 राज्यों झारखंड (31.5), बिहार (30.4), दादरा और नगर हवेली (28.7), मध्य प्रदेश (28.4), गुजरात (27.2), और राजस्थान में (27) प्रतिशत है।
कम उम्र में विवाह करने का समाजिक ढांचे पर प्रभाव
UN की रिपोर्ट के अनुसार, बाल विवाह की शिकार होने वाली लड़कियों की संख्या 2030 तक बढ़कर एक अरब तक पहुंचने की आशंका है। कम उम्र में शादी करवा देना उनकी पूरी क्षमता हासिल करने की संभावना को कम करता है। वहीं इसके सबसे बड़े नकारात्मक पहलु ये हैं कि कम उम्र में विवाह करना उनके जल्दी शिक्षा छोड़ने, घरेलू हिंसा का शिकार होने, एचआईवी/एड्स का अनुबंध करने और गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं के कारण मरने की संभावना को बढ़ाने का कारण बनता है।
अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक हैं बाल विवाह
बाल विवाह से न केवल सामाजिक और आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचता है बल्कि इससे आर्थिक व्यव्स्था को भी क्षति पहुंचती है। इतना ही नहीं यह कई पीढ़ियों को गरीबी के एक चक्र की ओर ले जाता है। इसके बावजूद भी प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, दुनिया भर में कम से कम 117 देश ऐसे हैं जो कम उम्र में लड़कियों के विवाह होने देते हैं।
देश जिनमें 18 से भी कम उम्र में कर दी जाती हैं लड़कियों की शादी
भारत जहां लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल किया जा रहा है, वहीं कुछ ऐसे देश भी है जहां के कानून में 18 वर्ष से पहले लड़कियों की शादी करना मान्य है। ऐसे देशों की सूची में दुनिया का सोलहवां सबसे बड़ा देश सूडान और केन्या का पड़ोसी देश तंजानिया मुख्य रूप से शामिल हैं। UN के अनुसार सूडान में लड़कियों के विवाह की उम्र 10 साल तथा लड़को के विवाह की उम्र 15 साल है। वहीं तंजानिया में हिन्दू और मुस्लिम लड़की का विवाह 12 साल की उम्र में किया जा सकता है। हालांकि उन्हें साथ रहने की अनुमति 15 साल की उम्र के बाद दी जाती है।