Good News: झालावाड़ के आईआईटियन अचिन की खोज,अपनी कंपनी के साथ मिलकर बनाया दुनिया का पहला तैरता फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन
यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और सुविधाओं की दृष्टि से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। जहां यात्री सीएनजी नावों से काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर तक पहुंचने के लिए नदी का रास्ता अपना सकते हैं। नावों में सीएनजी भरवाने के लिए गंगा तट पर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने तैरने वाला सीएनजी स्टेशन तैयार किया है।
झालावाड़ के युवा वैज्ञानिक अचिन ने अपनी टीम के साथ मिलकर कमाल कर दिखाया है। अचिन ने अपनी टीम और आईआईटी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर देश की पहली फ्लोटिंग तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल की है।
बता दें कि दो दिन पहले ही बनारस के खिड़कियां घाट पर पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया था जहां उन्होंने वैज्ञानिकों की प्रशंसा भी की। वाराणसी में खिड़किया घाट को अत्याधुनिक मॉडल घाट के रूप में तैयार किया गया है। यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और सुविधाओं की दृष्टि से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। जहां यात्री सीएनजी नावों से काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर तक पहुंचने के लिए नदी का रास्ता अपना सकते हैं। नावों में सीएनजी भरवाने के लिए गंगा तट पर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने तैरने वाला सीएनजी स्टेशन तैयार किया है। आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि यह गर्व की बात है कि हमने काशी विश्वनाथ धाम में अपना योगदान दिया है।
अचिन और उनके साथियों की कंपनी एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल
यह जानना दिलचस्प है कि एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को तीन वर्ष पूर्व आईआईटी बीएचयू के छात्र अंकित पटेल व अचिन अग्रवाल ने मिलकर बनाया था। वहीं आईआईटी कानपुर ने इसमें तकनीकी मदद की थी। कंपनी फ्लोटिंग डॉक्स, स्टील की फ्लोटिंग जेट्टी, डंब बार्ज (नदियों में भारी माल ले जाने के लिए तैरने वाला प्लेटफार्म) आदि उत्पाद बनाती है। वाराणसी में कंपनी के निदेशक अंकित पटेल व अचिन के साथ ही केशव पाठक, राकेश जटोलिया और जय शंकर शर्मा ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है।