Devasahayam Pillai: कौन थे देवसहायम पिल्लई और क्यों दे रहा है वेटिकन सिटी एक भारतीय को संत की उपाधि?

Devasahayam Pillai: पिल्लई ने 18वीं सदी में हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था। पोप फ्रांसिस ने 9 और लोगों के नामों को संतों की सूची में शामिल किया है। हालांकि वे पहले भारतीय आम आदमी हैं जिन्हे संत माना गया है।

May 17, 2022 - 01:37
May 17, 2022 - 01:40
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Devasahayam Pillai: कौन थे देवसहायम पिल्लई और क्यों दे रहा है वेटिकन सिटी एक भारतीय को संत की उपाधि?
Devasahayam Pillai -Photo : Social Media

पोप फ्रांसिस ने तमिलनाडु में जन्मे देवसहायम पिल्लई (Devasahayam Pillai) को संत घोषित किया है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय को संत की उपाधि दी जाएगी। देवसहायम पिल्लई के बारे में बता दें कि पिल्लई ने 18वीं सदी में हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था। पोप फ्रांसिस ने 9 और लोगों के नामों को संतों की सूची में शामिल किया है। हालांकि वे पहले भारतीय आम आदमी हैं जिन्हे संत माना गया है।

कौन थे देव सहायम पिल्लई (Who was Dev Sahayam Pillai?)

देव सहायम पिल्लई का जन्म 23 अप्रैल 1712 ईस्वी को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में हुआ था, जो उस समय त्रवणकोर राज्य का हिस्सा था। उनके पिता ब्राह्मण और माता नायर जाती से थीं तथा उनका बचपन का नाम निकंदन पिल्लई था। बता दें कि वे त्रवणकोर के राजा मार्तंड वर्मा के शाही महल में काम किया करते थे तथा उन्हें बाद में राज्य से निर्वासित कर दिया गया था।

पिल्लई ने अपना लिया था ईसाई धर्म

नीलकंदन ने यह कदम तब उठाया जब वह त्रावणकोर के सशस्त्र बलों के कमांडर डी लैनाय के प्रभाव में आए। जिसके बाद 1745 ई. में उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। हालांकि वे तमिल और मलयालम अनुवाद देवसहायम (भगवान की मदद) नाम से प्रचलित हुए।

संत बनने का सफर

साल 2004 में तमिलनाडु बिशप्स काउंसिल और भारत के कैथोलिक बिशप्स संगठन ने वेटिकन सिटी से देवसहायम को बिटिफिकेशन की प्रक्रिया में शामिल करने की सिफारिश की थी।
जिसके बाद 2 दिसंबर 2012 को उनके दफनाने के स्थान के पास एक समारोह आयोजित किया गया जहाँ उन्हें धन्य और शहीद घोषित किया गया था। उन्हें धन्य घोषित एंजेलो अमाटो द्वारा पोप बेनेडिक्ट XVI की ओर से किया गया।

बता दें कि पोप फ्रांसिस ने 21 फरवरी 2020 को देवसहायम की मध्यस्थता के लिए जिम्मेदार एक चमत्कार को मान्यता दी थी जिससे उनके संत बनने का रास्ता खुल गया था। जिसके बाद पोप फ्रांसिस ने उनके किए गए परोपकारी कार्यों को स्वीकार किया तथा 15 मई साल 2022 में उन्हें संत की उपाधि वेटिकन सिटी के पोप फ्रांसिस द्वारा दी गई है।

 कैसे हुई पिल्लई की मृत्यु (How did Pillai die?)

धर्म का प्रचार करते हुए, देवसहायम ने विशेष रूप से जाति के मतभेदों के बावजूद सभी लोगों की समानता पर जोर डाला था, जिसकी वज़ह से उच्च वर्गों में नफरत पैदा हो गई, और उन्हें साल 1749 में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार करने के बाद 14 जनवरी को गोली मारने से देवसहायम पिल्लई शहीद हो गए थे। जिसके बाद उन्हें सेंट जेवियर्स चर्च कोट्टार में वेदी के पास दफनाया गया।

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