Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को मिला इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार 2022 , हिंदी बोलने वालों के लिए गर्व का समय
Geetanjali Shree: गीतांजलि श्री ने अपने विनिंग स्पीच में कहा , “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूँ।“ श्री ने कहा, “मैं चकित हूं, प्रसन्न हूं और बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं। इस पुस्तक को चुनने के लिए बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद।
गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार उनके उपन्यास “रेत समाधि” के अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ के लिए दिया गया है। इस पुस्तक का अनुवाद प्रसिद्ध अनुवादक ‘डेज़ी रॉकवेल’ ने किया है। गुरुवार को लंदन में आयोजित भव्य समारोह में गीतांजलि श्री को यह पुरस्कार दिया गया।
पहली बार हिंदी उपन्यास को बुकर पुरस्कार
टूम्ब ऑफ सैंड उन 13 पुस्तकों में शामिल थी जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था। टूम्ब ऑफ सैंड पहला हिंदी उपन्यास है जिसे बुकर पुरस्कार दिया गया है। साथ ही यह हिंदी में पहला फिक्शन है जो इस साहित्य पुरस्कार की दौड़ में शामिल था।
गीतांजलि की विनिंग स्पीच
गीतांजलि श्री ने अपने विनिंग स्पीच में कहा , “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूँ।“ श्री ने कहा, “मैं चकित हूं, प्रसन्न हूं और बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं। इस पुस्तक को चुनने के लिए बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद। उन्होंने अपनी पुस्तक रेत समाधि की भी बात की और कहा कि इसमें उस दुनिया के लिए एक शोक गीत है जहां हम रहते हैं।“
हिंदी के बड़े साहित्यकारों ने की प्रशंसा
बीबीसी संवाददाता ने कवि एवं आलोचक अशोक बाजपेई से बात की है। वे कहते हैं कि हिंदी को ऐसी अंतरराष्ट्रीय मान्यता पहले कभी नहीं मिली। कृष्ण बलदेव वैद, कृष्णा सोबती, अज्ञेय आदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हैं लेकिन हमारे जीवित रहते किसी को यह पुरस्कार मिलते देखना बहुत बड़ी बात है।
कौन हैं गीतांजलि श्री
गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। उन्होंने अब तक पांच उपन्यास और कई कथा संग्रह लिखे हैं। रेत समाधि में उपन्यास की 80 वर्षीय नायिका मां, अपने परिवार की व्याकुलता के कारण पाकिस्तान की यात्रा करने पर जोर देती है।
किसे मिलता है बुकर प्राइज
बुकर पुरस्कार हर वर्ष अंग्रेज़ी में लिखे गए और UK या आयरलैंड में प्रकाशित होने वाले सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए दिया जाता है। इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तकों की घोषणा 7 अप्रैल को लंदन बुक फेयर में की गई थी।