राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया रमना काली मंदिर का उद्घाटन, क्या हिन्दू समुदाय के मन में घर कर चुकी असुरक्षा को कम करेगा यह कदम
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित इस ऐतिहासिक रमना काली मंदिर को पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सर्चलाइट” के दौरान तहस-नहस कर दिया गया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 15 से 17 दिसंबर तक बांग्लादेश के दौरे पर हैं। बांग्लादेश के निर्माण को 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कोविंद बांग्लादेश में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे हुए हैं। बता दें कि राष्ट्रपति के साथ ही भारत की तीनों सेनाओं के 122 सदस्यीय दल ने भी परेड में हिस्सा लिया है।
क्या है ऐतिहासिक रमना काली मंदिर का इतिहास
17 सितंबर 2021 को भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बांग्लादेश में रमना काली मंदिर का उद्घाटन किया। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित इस ऐतिहासिक रमना काली मंदिर को पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सर्चलाइट” के दौरान तहस-नहस कर दिया गया था। जबकि मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं की हत्या कर दी गई थी। परंतु अब 50 वर्ष बाद भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा रमना काली मंदिर का उद्दघाटन किया गया है।
वास्तुकला शैली के लिए प्रसिद्ध था रमना काली का यह ऐतिहासिक मंदिर
रमना काली मंदिर हिंदू शैली की वास्तुकला से बना हुआ था, परंतु इसमें मुस्लिम शैली भी देखने को मिलती है। इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण हरिचरण गिरी के द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर को अद्भुत कला से बनाया गया था। चौकोर आकार में बनी इस ऐतिहासिक मंदिर की ऊंची छत को बंगाल की झोपड़ीयो जैसी चौचाल शैली में बनाया गया था। इस ऐतिहासिक मंदिर की तुलना काबुल के रतन नाथ मंदिर से भी की जाती हैं। रतन नाथ मंदिर को अफगानिस्तान का अंतिम मंदिर बताया जा रहा है।
क्या मंदिर का पुनर्निर्माण कट्टरपंथी हमलों के डर को कम और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की आस्था को सुदृढ़ करेगा?
हाल में कुछ महीने पहले दुर्गा पूजा के पंडाल पर कट्टरपंथियों द्वारा हमले किए गए थे। इस मामले में बांग्लादेश की सरकार द्वारा कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया था। फिर भी वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं में इस हमले के बाद से असुरक्षा का माहौल और डर व्याप्त है। परंतु इस मंदिर के उद्घाटन के जरिए वहां की सरकार बांग्लादेश के 10% अल्पसंख्यक हिंदुओं को भरोसा देना चाहती है कि यह देश आपका है और आप धार्मिक गतिविधियों के लिए स्वतंत्र हैं।
बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय की मदद के लिए हमेशा तैयार रहा है भारत
बांग्लादेश को आजाद हुए 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। भारत बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहा है । भले वह 1971 बांग्लादेश युद्ध हो या वहां के लोगों को भारत में शरणार्थी के तौर पर शरण देना।
बता दें कि भारत की वर्तमान सरकार ने 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम बिल (CAA) सदन में पारित किया था। इस बिल में भारत ने अपने पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय जो धार्मिक रूप से प्रताड़ित हुए हैं उनको नागरिकता देने को लेकर बिल पारित किया था। जिन देशों को इस सूची में शामिल किया गया था, बांग्लादेश भी उनमें से एक है। इस बिल को पेश करते समय सरकार के द्वारा रखे गए अपने पक्ष में पाकिस्तान ,बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित व्यक्तियों का हवाला दिया गया था।