Data Protection Bill: डाटा सुरक्षा पर संसद में रिपोर्ट पेश,कैबिनेट द्वारा व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक 2019 को मिली मंजूरी
जब यह विधेयक कानून का रूप लेगा तो यह किसी भी व्यक्ति के डाटा के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। प्रतिवर्ष डाटा संरक्षण दिवस 28 जनवरी को मनाया जाता है।
कैबिनेट द्वारा व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक 2019 को मंजूरी मिल गई है, हालांकि यह 2 साल में सही तरीके से लागू हो जाएगा। निजी डाटा चुराने पर अब कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी को 3 साल की सजा और 15 करोड़ ₹ का जुर्माना देना पड़ सकता है। इस विधेयक के तहत कोई भी कंपनी व्यक्ति की अनुमति के बिना डाटा इस्तेमाल नहीं कर पाएगी। हालांकि , इस विधेयक में राष्ट्रीय हित से जुड़े मसलों पर सरकार को डाटा इस्तेमाल की अनुमति होगी। जब यह विधेयक कानून का रूप लेगा तो यह किसी भी व्यक्ति के डाटा के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। प्रतिवर्ष डाटा संरक्षण दिवस 28 जनवरी को मनाया जाता है।
बता दें कि वर्तमान में भारत में किसी भी व्यक्ति की डाटा को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
क्या है, व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक 2019 –
इसका उद्देश्य व्यक्तिगत डाटा में एक सार्थक बदलाव लाना है, यह विधेयक मौजूदा विधेयक से निम्नलिखित पहलुओं में अलग होगा:
• क्या विधेयक निजी और सरकारी संस्थाओं पर भी लागू होगा ।
• यह उन संस्थाओं को जवाबदेह बनाएगा , जो किसी व्यक्ति के डाटा को नियंत्रित करती हैं।
• अगर किसी इंटरनेट मीडिया कंपनी का भारत में कार्यालय नहीं होगा तो उसे यहां संचालन की अनुमति नहीं होगी ।
आख़िर क्यों जरूरत पड़ी ऐसे कानून की ?
• फेसबुक, व्हाट्सएप , टि्वटर जैसे मीडिया प्लेटफार्म कई बार कह चुके हैं कि भारत में इससे संबंधित कोई भी सुरक्षा कानून नहीं है तो वे किसका पालन करें।
•कानून के न होने से ये कंपनियां धड्डले से लोगों के निजी डाटा का फेरबदल अपने फायदे के लिए आए दिन करती है।
•एक समाचार पत्र के अनुसार यह जानकारी सामने आई है कि व्यक्ति की निजी जानकारी 15 पैसे से 50 पैसे प्रति के भाव बिकती है, इसमें प्रमुख रूप से विदेशी शामिल हैं, कोई कानून ना होने पर पुलिस चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती है।
संविधान में डाटा संरक्षण से संबंधित प्रावधान
भारतीय संविधान में किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को छीनना, निजता के अधिकार का हनन माना गया है। वहीं इस अधिकार के संरक्षण पर जोर दिए जाने की मुख्य वज़ह निजता के अधिकार का एक मूल अधिकार होना है। इसके महत्व को देखते हुए ही इस अधिकार को जीवन के अधिकार में शामिल किया गया है।
क्या है निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21) ?
निजता का अधिकार ( Right to privacy ) संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है । इसके अंतर्गत प्राण एवम दैहिक स्वतंत्रता ( Life and personal ) की बात कही गई है । बता दें कि निजता के अधिकार को जस्टिस पुट्टास्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 21 का अंग बताया गया था।