नहीं हट रहा है पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से, जाने क्या है कारण

पाकिस्तान को एफएटीएफ की ओर से एक बड़ा झटका लगा है। इस बार भी उसका नाम ग्रे लिस्ट में शामिल है। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में और भी गिरावट आ सकती है। ग्रे लिस्ट में नाम का कारण पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को न रोक पाना है।

Oct 22, 2021 - 18:29
December 10, 2021 - 11:47
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नहीं हट रहा है पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से, जाने क्या है कारण
Image source: indiatoday.in

पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। क्योंकि इस बार भी उसका नाम FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट से नहीं हटा है। इस बार पाकिस्तान के दोस्त तुर्की का भी नाम इसी लिस्ट में शामिल हो गया है। ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान का नाम बने रहने से पाकिस्तान को बड़ी मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान का नाम ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने के साथ तुर्की को तो झटका लगा ही है इसके अलावा जॉर्डन और माली का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हुआ है। मॉरीशस और बोत्सवाना के लिए अच्छी खबर है कि उनका नाम इस सूची से हटा दिया गया है। 

तुर्की का संकट:

वैश्विक संस्था एफएटीएफ अर्थात फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने यह लिस्ट तब जारी की है जब तुर्की पहले से ही आर्थिक संकट से घिरा हुआ है। तुर्की की मुद्रा में गिरावट के साथ-साथ मुद्रास्फीति भी 20 प्रतिशत तक पहुँच गई है। 

एफएटीएफ की हुई बैठक:

आपको बता दें कि एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकवादियों को वित्तीय रूप से सहायता देने को लेकर तीन दिवसीय यानि 19 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर तक बैठक आयोजित की थी। इस वैश्विक संस्था के अध्यक्ष डॉ. मार्कस प्लीयर ने बोला कि पाकिस्तान इस बार भी ग्रे लिस्ट में है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान को आंतकवाद के विरूद्ध 34 सूत्रीय एजेंडे दिए गए थे जिसमें से 4 एजेंडे को वह पूरा करने में नाकाम रहा। पाकिस्तान आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करते नजर नहीं आ रहा है। इसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामांकित आतंकवादी मसूद अजहर शामिल है। 

आपको बता दें कि पाकिस्तान इस सूची में जून 2018 से है और यह नाम तब तक इस सूची में रहेगा जब तक वह बाकी कार्यों को पूरा नहीं कर लेता है। 

यदि पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा दी गई योजनाओं को पूरा नहीं कर पाता है तो  उसके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इससे पाकिस्तान की चरमराई आर्थिक स्थिति और भी गिर सकती है। इससे पाकिस्तान मुद्रा कोष, विश्व बैंक तथा युरोपीय संघ से आर्थिक मदद की गुहार नहीं लगा सकता है। दूसरे देश भी उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनकी मदद करने से हिचकिचाऐंगे। 

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