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Gopal Das Neeraj: कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे

स्वप्न झरे फूल से मीत चुभे शूल से लुट गए सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़...

Gopal Das Neeraj: गोपालदास "नीरज" की कविता 'कुछ सपनों ...

Gopal Das Neeraj: छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों कुछ सपनों ...

भूलने की कोशिशों को आसान बनाती कविताएं

भूल जाऊं तुझे और आगे का सफ़र अकेले पूरा करूं" मुझे नहीं पता ये पंक्तियां किसकी ह...

कविताओं के झरोखे से एक अधूरे किस्से का जिक्र

हम सब यादों और अधूरे किस्सो का जिक्र करते है, ऐसे ही एक अधूरे किस्से का जिक्र है...