APJ Abdul Kalam: जानिए डॉक्टर एपीजे अब्‍दुल कलाम की पुण्यतिथि पर उनकी जिंदगी से जुड़ी घटनाओं के बारे में

Abdul Kalam:27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश होकर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।

July 27, 2022 - 21:31
July 27, 2022 - 22:25
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APJ Abdul Kalam: जानिए डॉक्टर एपीजे अब्‍दुल कलाम की पुण्यतिथि पर उनकी जिंदगी से जुड़ी घटनाओं के बारे में
APJ Abdul Kalam

डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को लोग प्रेम और सम्मान से मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से याद करते हैं। पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित कलाम जी लोगों के लिए सपना देखो, उड़ान भरने के लिए संघर्ष करो, संघर्ष के बाद खुब ऊंची उड़ान भरो इन बातों के पर्यायवाची हैं। कलाम जी का मानना था कि “तुम जैसे सपने देखोगे, वैसे ही बन जाओगे।“

कलाम का परिचय

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ। कलाम ने प्रारंभिक पिक्चर गांव में पूरा करने के पश्चात 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।

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 कलाम के बचपन की दिनचर्या और विमान विज्ञान के क्षेत्र में आने का किस्सा

कलाम जी बचपन से ही सुबह 4:00 बजे ही उठ जाते थे क्योंकि उन्हें गणित का ट्यूशन पढ़ने जाना होता था। उसके पश्चात अखबार बाँटने जाते हैं और उसके बाद स्कूल जाते और स्कूल से आने के बाद ग्राहकों से अखबार के पैसे वसूलने और फिर घर आकर रात 11:00 बजे तक पढ़ाई करते थे। यही उनकी दिनचर्या थी। उन्हें बचपन से ही पढ़ने की खूब ललक थी। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय उनके अध्यापक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब छात्रों को समझ नही आया तो अध्यापक उनको समुद्र तट ले गए जहाँ उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया, इन्ही पक्षियों को देखकर कलाम ने तय कर लिया कि उनको भविष्य में विमान विज्ञान में ही जाना है।

डॉक्टर कलाम के प्रमुख योगदान

उन्होंने देश की सुरक्षा, शिक्षा, राष्ट्र निर्माण और इसरो का आधुनिकीकरण और मिसाइल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े थे। कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वदेशी तकनीक वाले एसएलवी-3 को बनाने में अहम भूमिका और उसी के माध्यम से जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण करने में उन्होंने अपनी भूमिका निभाई थी। वहीं, उन्होंने इंटीग्रेटेड मिसाइल गाइडेड प्रोग्राम को डिजाइन करने के साथ-साथ अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइल तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई। बता दें कि देश की पहली मिसाइल उन्हीं की देखरेख में बनी थी। उनके इसी योगदान के लिए उन्हें मिसाइल कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। भारत को परमाणु शक्ति से संपन्न बनाने में भी उसकी प्रमुख भूमिका रही है।

राष्ट्रपति के रूप में परिवर्तनशील कलाम

कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। देश के प्रथम नागरिक होने के बावजूद उन्होंने अपना जीवन सादगी को दे दिया राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपनी संपत्ति ट्रस्ट के नाम कर दी थी। राष्ट्रपति भवन में मिलने आने वाले वाले अपने रिश्तेदारों का खर्चा स्वयं उठाते थे। राष्ट्रपति भवन में बिजली खपत घटाने के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाया। राष्ट्रपति भवन में संग्रहालय बनवाकर पुराने किचन के सामान और बच्चों से मिलने वाले अपने तोहफे रखवाए। इफ्तार पार्टी पर होने वाले फिजूल खर्च को समाप्त किया। मुगल गार्डन घूमने आने वाले आम लोगों के लिए पानी और स्नेक्स की व्यवस्था करवाई। इस प्रकार अपने कार्यों द्वारा वह जनता के राष्ट्रपति बन गए।

राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्यकाल की समाप्ति के पश्चात वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए।

निधन

27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश होकर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।

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