Anek Movie Review: भारतीय होने के असली मतलब को तलाशने वाली फिल्म है आयुष्मान खुराना की 'अनेक',जाने क्या है कहानी ?
Anek Full Movie:‘अनेक’ फिल्म की कहानी नॉर्थईस्ट में अलगाववादी समूह के साथ शांति संधि पर बातचीत करने की कोशिशों पर आधारित है, जो कोशिश पिछले कई सालों से चल रही है, जिसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है।
अनुभव सिन्हा बॉलीवुड के ऐसे डायरेक्टर्स में से एक है जो अपनी कहानियों के साथ लोगों को संबंधित मुद्दों पर गहराई से विचार करने पर मजबूर कर देते है। उनकी पिछली फिल्मों को देखे तो फिर चाहे वह ‘मुल्क’ हो जिसमे सामाजिक अंतर को उजागर किया गया है या फिर आर्टिकल 15 जिसमें सामाजिक अंतर को खत्म करने की बात कही गई है या फिर थप्पड़ जिसमें आदमी और औरत के इमोशनल फर्क को खत्म करने की बात कही गई है, उनकी फिल्में दर्शकों के मन पर तो गहरा असर तो करती ही है साथ एक नया नज़रिया भी देती हैं, जिससे हम खुद की और समाज की परतों को गहराई से खंगाल सके। उनकी नई फिल्म ‘अनेक’ ऐसे ही नजरिए की ओर इशारा करती है जो दर्शकों को नॉर्थईस्ट राज्यों और बाकी इंडिया के बीच के फर्क की परत को खंगालता है, देखते ये होगा कि उनकी यह कोशिश सफल होती है या नहीं।
‘अनेक’ फ़िल्म की कहानी
‘अनेक’ फिल्म की कहानी नॉर्थईस्ट में अलगाववादी समूह के साथ शांति संधि पर बातचीत करने की कोशिशों पर आधारित है, जो कोशिश पिछले कई सालों से चल रही है, जिसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में जोशुआ उर्फ अमन एक अंडरकवर एजेंट को मिशन दिया जाता है कि वह बागी नेता टाइगर सांघा को शांति संधि पर बातचीत के लिए तैयार करना, मगर इस मिशन के चलते उसे नॉर्थईस्ट प्रांतों में ऐसी स्थितियां देखने को मिलती हैं जिनके अनुभव से वह वहां के मुद्दों और लोगो के साथ जज्बाती तौर पर जोड़ती है। ऐसे में क्या वह अपने मिशन में सफल हो पाएगा? क्या वाकई शांति कायम हो पाएगी?
‘अनेक’ फ़िल्म का रिव्यू
फ़िल्म में हमें नॉर्थवेस्ट से पूरी तरह रूबरू कराने की कोशिश करती है। जिसमे वहां का कल्चर, प्राकृतिक सौंदर्य, भाषा ही नही बल्कि वहां के लोगो की जिंदगी, उनकी चुनौतियां, उनके साथ किया जाना वाला भेदभाव भी दिखाती है जो छिपी हुई दुष्ट सच्चाइयों में से एक है, जिसमें नॉर्थईस्ट के लोगों को अलग-अलग नाम से बुलाना, वहां के लोगों को विदेशी बताना, वहां के कल्चर, ज़मीनी नामों को नज़रंदाज़ कर देना शामिल है। लेकिन एक ही कहानी में छोटी -छोटी बहुत सी कहानियों को दिखाने की कोशिश में फिल्म अपने विषय से भटकती हुई नजर आती है। शुरू से देखें तो अमन जो नॉर्थईस्ट में एक अंडरकवर एजेंट जोशुआ है जो अपने मिशन को पूरा कर वहां से किसी भी तरह से बस निकलना चाहता है पर वहीं अचानक से नॉर्थईस्ट के लोगों और उनकी चुनौतियों से उनका लगाव और वहां सब कुछ सही करने की इच्छा जो सब कुछ अचानक सा लगता है, जो बहुत अपच का अहसास देता है कि अचानक ये कैसे हो गया।
‘आईडो’ ऐसी लड़की है जो नॉर्थईस्ट से है और बॉक्सर है जो अपने पिता के विचारो के खिलाफ जाकर देश के लिए खेलने का सपना रखती है साथ ही उसे और उनके कोच को नॉर्थईस्ट से होने के चलते भेदभाव का सामना करना पड़ता है, उन्हें कहा जाता है कि अगर उसे नेशनल टीम के लिए चुन लिया तो टीम चाइनीज कहलाएगी, साथ आइडो को अमन के लव इंट्रेस्ट के रूप में भी दिखाया गया है लेकिन यह केमिस्ट्री कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई।
इसी के साथ कहानी में बहुत से उग्र क्रांतिकारियों को भी रखा गया है, जिसमे निको की कहानी है, जो पॉलिटिकल रंजिशों, अफसरवाद और असफल शांति बहाली के बीच बंदूक उठाता है और एक उग्रवादी पहलू को भी उजागर करता है और कहता है: पीस मेंटेन करने से आसान होता है वार मेंटेन करना।
इन सभी के बीच कहानी गायब सी दिखती है क्योंकि एक साथ इतने सारे प्लॉट्स को समझना मुश्किल हो जाता है और क्रैक्टर्स के बीच गहराई की जगह खालीपन ने ले ली है। जो आइडो और अमन की लव केमिस्ट्री साथ ही आइडो और उनके पिता वांगनाओ के बीच भी दिखाई पड़ती है। जहां अमन और आइडो के बीच हुई बातों को बिना जाने आप उनके प्यार को कहीं भी महसूस नही कर पाएंगे वैसे ही आइडो और उसके पिता के वैचारिक मतभेद को भावी रूप की गहराई से नही देखने को मिला, जो फिल्म को अधूरा - अधूरा सा बना देती है।
कुल मिलाकर कहें तो ‘अनेक’ में अनुभव सिन्हा ने नॉर्थईस्ट की चुनौतियों को दिखाने की कोशिश की है पर कहानी में थोड़े थोड़े कर बहुत से तत्व जोड़ने के चलते फिल्म की कहानी भटकी-भटकी और बिखरी- सी नज़र आती है। पर इस फिल्म के साथ हम यह कह सकते हैं कि हिंदी सिनेमा को ऐसी कहानी को और गहराइयों से जाना अभी भी बाकी है। इसके अलावा फिल्म के द्वारा उजागर किए गए सवाल – ‘अगर इंडियन मैप से स्टेट के नाम हटा दे तो कितने इंडियन हर स्टेट का नाम बता सकते हैं ?’ भी काफ़ी अहम हैं।