चार धाम परियोजना: सुप्रीम कोर्ट ने चार धाम परियोजना को दिखाई हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना के तीनों राष्ट्रीय राजमार्गो ऋषिकेश से माणा, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ को शर्तों के साथ डबल लेन के साथ शोल्डर करने की इजाजत दी है।
न्यू दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए और चारधाम परियोजना राजमार्गो के सामरिक महत्व को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण शर्तों के साथ उत्तराखंड में तीन राष्ट्रीय राजमार्गों को दोनों तरफ शोल्डर सहित डबल लेन बनाने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय के सड़क चौड़ीकरण की अर्जी को स्वीकार करते हुए कहा कि “ हाल ही के दिनों में गंभीर सुरक्षा चुनौतीयों का सामना करना पड़ा है। कोर्ट न्यायिक समीक्षा के दौरान सशस्त्र सेना की ढांचागत जरूरतों के बारे में दूसरा अनुमान नहीं लगा सकता।“
सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना के तीनों राष्ट्रीय राजमार्गो ऋषिकेश से माणा, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ को शर्तों के साथ डबल लेन के साथ शोल्डर करने की इजाजत दी है। यह आदेश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने मंगलवार को दिए। यह मार्ग उत्तराखंड में चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री और बद्रीनाथ को सभी मौसमों में जोड़ने वाली चारधाम सड़क परियोजनाओं से जुड़ा है जो हर मौसम में चारों धाम को जोड़ता है और यात्रा को सुगम बनाता है। पूरी परियोजना का निर्माण खर्च करीब 12000 करोड़ रुपए है जो 900 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है।
“मीडिया के बयानों के आधार पर मंत्रालय को गलत नहीं कहा जा सकता; रक्षा मंत्रालय के आवेदन में कोई दुर्भावना नहीं है”- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा मीडिया के बयानों के आधार पर परियोजना को गलत नहीं ठहराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय के आवेदन में कोई दुर्भावना नहीं है। इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि आवेदन के जरिए मुकदमे को फिर से खोलने का प्रयास किया जा सकता है या दूसरे आदेशों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पीठ ने कहा, रक्षा मंत्रालय को सेना की संचालनगत जरूरतों पर फैसला लेने का अधिकार है। इसमें टुकड़ियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए संरचनात्मक जरूरतें भी शामिल हैं।
राजमार्ग परियोजना में पर्यावरण संरक्षण की बात पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया परंतु पर्यावरण संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया है। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि सडक सुझावों के दौरान उच्चाधिकार प्राप्त सिमिति (HPC) द्वारा दिए गए सुझावों का पालन होगा। जिसके लिए कोर्ट ने परियोजना की देखभाल के लिए पूर्व जस्टिस ए.के. सीकरी की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि ओवर साइट कमेटी परियोजना का नए सिरे से पर्यावरण आकलन नहीं करेगी बल्कि उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दी गई सिफारिशों का ही अनुसरण करेगी। कमेटी के सहयोग के लिए नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के अलावा देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का भी एक प्रतिनिधि होगा, जिसे डायरेक्टरेट जनरल नामित करेगा। केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार कमेटी का पूरा सहयोग करेगी। यह कमेटी परियोजना से संबंधित सभी मुद्दों की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।