Climate change: जलवायु परिवर्तन के कारण बदल रहा है फूलों का रंग, मधुमक्खियों के अस्तित्व पर मंडरा रहा है खतरा

मधुमक्खियों का सम्बन्ध इंसानी जीवन से जुड़ा है। क्योंकि मधुमक्खियां के कारण फसलों और जंगली पौधों के बीच परागण (Pollination) का काम होता हैं। जंगली मधुमक्खियों की सहायता से होने वाले परागण के कारण हजारों जंगली पौधे उगते हैं।

January 27, 2022 - 19:41
January 28, 2022 - 14:18
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Climate change: जलवायु परिवर्तन के कारण बदल रहा है फूलों का रंग, मधुमक्खियों के अस्तित्व पर मंडरा रहा है खतरा
मधुमक्खियों के अस्तित्व पर मंडराता खतरा- फोटो: gettyimages

पूरी दुनिया ने जहां एक तरफ विज्ञान के क्षेत्र में काफी विकास किया है, वहीं दूसरी तरफ पृथ्वी को विनाश के रास्ते पर पहुंचा दिया है। पृथ्वी पर मौजूद ग्लेशियर पिघल रहा है, नदियां प्रदुषित हो रही हैं और सूखने लगी हैं, समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है, धरती की सतहों में दरारें पड़ने लगी हैं। पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राकृतिक चीजों, जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियां लगभग विलुप्त होने की कगार पर हैं। जिसका कारण जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज है। हाल ही में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से फूलों के रंग भी बदलने लगे हैं। साल 2020 में क्लेमसन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार अल्ट्रा वायलेट किरणों ने काफी हद तक फूलों के पराग को नुकसान पहुंचाया है। जिसका प्रभाव फूलों के रंगों पर पड़ा है।

बेंगलुरु के गांधी कृषि विज्ञान केंद्र की यूनिवर्सिटी ऑफ ऐग्रिकल्चरल साइंसेज में वैज्ञानिक डॉ. वासुकी बेलावडी ने मधुमक्खियों (Bees) की तेजी से घटती संख्या को लेकर चिंता जाहिर की है। वैज्ञानिक डॉ. वासुकी बेलावडी के अनुसार दुनिया में मधुमक्खियों की लगभग 20,507 प्रजातियां हैं। जिनमें से एक दर्जन प्रजातियां शहद बनाने वाली यानी Honey Bees होती हैं। फसलों और जंगलों के लिए भी मधुमक्खियों की सभी प्रजातियां का होना बेहद जरूरी हैं। भारत के अंदर अभी तक 723 प्रजातियों की मधुमक्खियां मिली हैं। इसके अलावा अभी और भी ज्यादा मधुमक्खियां खोजी और पहचानी जा रही हैं। डॉ. वासुकी का कहना है कि मधुमक्खियों की मौजूदगी का असर हमारी कई इंसानी गतिविधियों पर पड़ता है।

मधुमक्खियों के विलुप्त होने की वजह

मधुमक्खियों की कई प्रजातियों के विलुप्त होने को लेकर पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मधुमक्खियों पर जलवायु परिवर्तन का सीधा असर पड़ा है, जिससे उनके बनाए घर नष्ट हो रहै हैं। पृथ्वी का मौजूदा तापमान बढ़ने और लंबे गर्मी के मौसम के कारण पौधों और फूलों की संख्या और विविधता में कमी देखी गई है। यही कारण है कि जंगली मधुमक्खियों के लिए भी एक संकट पैदा हो गया है।

इंसानी गतिविधियों से भी खत्म होती हैं मधुमक्खियां

मधुमक्खियों की संख्या के लगातार कम होने के बारे में अर्जंटीना के रिसर्चर्स ने सिटिजन-साइंस प्रॉजेक्ट्स और डेटाबेस के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसके अनुसार साल 2006 से 2015 के बीच 1990 से पहले के मुकाबले 25% प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं। वहीं डॉ. वासुकी ने बताया की कई तरह की इंसानी गतिविधियों और कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों का अत्याधिक उपयोग करना भी मधुमक्खियों के लिए खतरनाक साबित होते हैं।

पौधों और जानवरों के लिए क्यों जरूरी हैं मधुमक्खियां

पौधों और जानवरों के जीवन में मधुमक्खियों के महत्व को जानने के लिए कई रिसर्च की गई हैं। मधुमक्खी को इस पृथ्वी का सबसे अहम जीव माना गया हैं क्योंकि पर्यावरण को सुरक्षित रखने में इनका अहम योगदान है। मधुमक्खियां ही एक मात्र ऐसे जीव होते हैं, जो किसी भी प्रकार के रोग को जन्म नहीं देती। कृषि क्षेत्र से कुछ जुड़े व्यवसाय मधुमक्खी पर निर्भर हैं। इसके अलावा, मधुमक्खियों के परागकण द्वारा पौधों के प्रजनन की क्रिया होती है। इन्हीं पौधों के माध्यम से जानवरों और इंसानों के पेट भरते हैं। अगर ऐसा नहीं होगा तो इन पौधों पर निर्भर रहने वाले सभी जीव-जन्तु जल्द ही मर जाएंगे।

मधुमक्खियों पर क्यों निर्भर हैं इन्सान

 मधुमक्खियों का सम्बन्ध इंसानी जीवन से जुड़ा है। क्योंकि मधुमक्खियां के कारण फसलों और जंगली पौधों के बीच परागण (Pollination) का काम होता हैं। जंगली मधुमक्खियों की सहायता से होने वाले परागण के कारण हजारों जंगली पौधे उगते हैं। ये (जंगली पौधे) वनस्पति विज्ञान के लिए भी फायदेमंद साबित होते हैं। यही पौधे क़रीब 85% फसलों को सुरक्षित रखते हैं। अगर इसी तरह लगातार मधुमक्खियों की संख्या कम होती रही तो कृषि क्षेत्रों में कमी आएगी। जिस कारण इंसानों को खाने की व्यवस्था करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

जलवायु परिवर्तन से मधुमक्खियों पर पड़ता असर

जलवायु परिवर्तन होने की सबसे बड़ी वजह पृथ्वी के ऊपर वातावरण में ओजोन परत का नष्ट होना है। अल्ट्रा वायलेट किरणों और ओजोन परत के फटने या उनमें छेद होने के कारण तापमान में वृद्धि हुई है। तेज धूप से जिस तरह इंसानों की त्वचा जलती है उसी तरह फूलों पर ज्यादा धूप पड़ने से उनके रंगों और परागण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो मधुमक्खी सरीखे जीवों के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। क्योंकि मधुमक्खियां फूलों के चटख रंगों की ओर आकर्षित होकर परागण की क्रिया करतीं हैं जिससे नए पौधों का जन्म होता है।

मधुमक्खियों को बचाने के उपाय

मधुमक्खियों के अलावा खुद को बचाने के लिए हमें कुछ तरीकों को अपनाने की जरूरत है-

- फसलों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक जहरीले कीटनाशकों पर पूर्ण रूप से रोक लगानी चाहिए।

- किसानों को पूरी तरह से प्राकृतिक कृषि के विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

- मधुमक्खियों पर निगरानी रखते हुए उनके स्वास्थ्य, कल्याण और संरक्षण के लिए निरंतर शोध होने चाहिए।