दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से पड़ेंगे जान के लाले, जानिए उपचार के लिए क्या काम कर रही है सरकार?

IQ एयर के द्वारा प्रकाशित विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी क्षेत्र हैं। दिन-प्रतिदिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर गिरता जा रहा है और प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

December 21, 2021 - 20:07
December 29, 2021 - 17:07
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दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से पड़ेंगे जान के लाले, जानिए उपचार के लिए क्या काम कर रही है सरकार?
वायु प्रदूषण (फोटो : Gettyimage)

वायु प्रदूषण वह स्थिति है जब वायुमंडल में विषैले रसायनों और स्थिर पदार्थों (प्रदुषण) की मात्रा इतनी अधिक बढ़ जाती है कि उससे वायु की गुणवत्ता कम होने लगती है। जिससे वह मानव और प्रकृति के लिए हानिकारक हो जाती है। उस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं। अगर भारत के संदर्भ में प्रदुषण की बात की जाए तो दिल्ली का नाम हर किसी के दिमाग में घूमता है। दिल्ली के संदर्भ में बात की जाए तो दिल्ली विश्व में सबसे प्रदुषित शहरों में नंबर एक पर है। किंतु वायु प्रदूषण केवल दिल्ली और उसके निगमों की ही समस्या नहीं है बल्कि यह समस्या पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की समस्या बन चुकी है।

IQ एयर के द्वारा प्रकाशित विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी क्षेत्र हैं। दिन-प्रतिदिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर गिरता जा रहा है और प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का स्तर ना केवल दिल्ली के लिए बल्कि उससे लगे सभी राज्यों के लिए जिसके साथ दिल्ली अपने प्रदूषण का एक बड़ा एयरशेड साझा करता है के लिए खतरा बनता जा रहा है। दिल्ली का प्रदूषण एयरशेड , गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से हरियाणा और राजस्थान का अलवर क्षेत्र के साथ भी साझा करता है।

दिल्ली एनसीआर के लिए वायु प्रदूषण की समस्या कोई नई समस्या नहीं है। यह अक्सर सर्दियों के दौरान अक्टूबर से नवंबर माह में बढ़ने लगती है। जिसके निपटारे के लिए सरकार कई कानूनों का प्रबंधन करती है। किंतु प्रदूषण के स्तर में कोई खास कमी नहीं दिखाई देती। सर्दियों में वायु प्रदूषण की गंभीरता में वृद्धि अक्सर देखने को मिली है। दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण की विषाक्तता का उच्च स्तर काफी गंभीर खतरा उत्पन्न करता है और स्मॉक के रूप में दिखाई देता है। प्रदूषण हवा को घेरे में कैद कर विस्तृत नहीं होने देता। इस तरह हवाओं के कारण यह प्रदूषण हवा में बंद हो जाते हैं और स्माॕक का रूप धारण कर लेता हैं। दिल्ली में बढ़ते स्मोक का खतरा न केवल अस्थमा के मरीजों के लिए और खतरनाक स्थिति पैदा करता है बल्कि यह परिवहन और अन्य कई तरह की समस्या पैदा करता है और पर्यावरण को भी विषाक्त करता है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण का कारण

दिल्ली में वायु प्रदूषण प्राकृतिक एवं मानवीय क्रियाकलापों का परिणाम है। प्राकृतिक क्रियाओं में ज्वालामुखी क्रिया, वनाग्नि, कोहरा, परागकण ,उल्कापात आदि क्रियाएं शामिल हैं। परंतु प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न वायुप्रदूषण कम खतरनाक होता है क्योंकि प्रकृति में स्व-नियंत्रण की क्षमता होती है । वहीं मानवीय क्रियाकलापों में वनोन्मूलन, कारखाने, परिवहन, ताप विद्युत गृह , कृषि कार्य, खनन, रासायनिक पदार्थ, अग्नि शस्त्रों का प्रयोग तथा आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषित हो रही है।

मानवीय क्रियाकलापों का प्रभाव

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का मुख्य कारण मानवीय क्रियाकलाप ही है। जिसमें किसानों द्वारा जलाई जाने वाली फसलों की पराली भी है। पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फसलों के अवशेष एवं चावल का भूसा किसानों द्वारा जलाया जाता है, जो दिल्ली में प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।

दिल्ली में बढ़ते यातायात के साधन भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वायुप्रदूषण एवं स्मॉग के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक अक्सर ‘गंभीर स्तर’ पर पहुँच जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को दिल्ली के बढ़ते हुए वायुप्रदूषण के लिए एक प्रमुख उत्तरदायी कारक घोषित किया है।

औद्योगिक प्रदूषण और घरेलू ईधनो का अधिक प्रयोग, बड़े पैमाने पर खनन कार्य, आतिशबाजी, बढ़ती जनसंख्या और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में कम निवेश भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है।

सर्दियों के दौरान दिल्ली में बढते वायु प्रदूषण के प्रभाव

सर्दियों के दौरान अकसर फसल अवशेषों को जलाए (Crop Residue Burning-CRB) जाने से PM10 (पार्टिकुलेट मैटर्स) में 17% और PM2.5 में 16% की वृद्धि होती है। फसल अवशेषों को जलाने की समस्या मुख्य रूप से धान उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर है। राज्य वन रिपोर्ट, 2017 के अनुसार, भारत में 7 लाख वर्ग किलोमीटर वन आच्छादित क्षेत्र हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.54% है। ऐसे में वनाग्नि पार्टिकुलेट मैटर्स में वृद्धि का एक बड़ा स्रोत होती है। इस प्रकार की घटनाओं (जैसे-वनाग्नि) का स्थानीय वायु गुणवत्ता, दृश्यता और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर होता है। बढ़ते प्रदूषण और अवांछित गैसों के कारण मनुष्य, पशुओं और पक्षियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें दमा, सर्दी, अंधापन, श्रवण शक्ति कमजोर होना, त्वचा रोग आदि बीमारी शामिल होती हैं।

 वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अम्लीय वर्षा का खतरा भी दिल्ली में बढ़ता जा रहा है जिससे बारिश के पानी में सल्फर, डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि जहरीली गैसें हवा में घुलकर वर्षा के रूप में धरती पर पेड़-पौधों, भवनों और ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुंचाती है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में पुरानी सांस की बीमारियों और अस्थमा की वज़ह से दुनिया में सबसे ज्यादा मृत्यु दर है । दिल्ली में खराब गुणवत्ता वाली हवा 2.2 मिलियन या सभी बच्चों के 50 प्रतिशत के फेफड़ों को अपरिवर्तनीय रूप से नुकसान पहुंचाती है।

सरकार द्वारा दिल्ली के वायु-प्रदूषण से निपटने हेतु उठाए कदम

सरकार द्वारा दिल्ली के वायु-प्रदूषण से निपटने हेतु उठाए जा रहे कारगर कदम-पूर्वी एवं पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेस-वे का निर्माण, जिसने हर दिन दिल्ली से गुजरने वाले 60,000 निर्विवाद भारी वाहनों (ट्रकों) को रोककर प्रदूषण को कम किया है। बदरपुर बिजली संयंत्र को बंद करा दिया गया है जिससे प्रदूषण में सीधे तौर पर कमी आई है। 65,000 करोड़ के निवेश के साथ BS-VI मानक अनुपालन वाले वाहनों और ईंधनों को लाने से वाहनों द्वारा होने वाले प्रदूषण में काफी हद तक कमी आई है।

• पंजाब और हरियाणा के किसानों हेतु 1400 करोड़ रू की भूसा काटने की मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। जिसके परिणामस्वरूप स्टबल बर्ऩिग से होने वाले प्रदूषण में पंजाब और हरियाणा में क्रमश: 15 और 20 प्रतिशत की कमी आई है।

•राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 2,800 ईट के भट्टों मेंजिग-जैग तकनीक अपनाई गई जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण में काफी कमी आई है।

• एनसीआर के 2600 उद्योगों को पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) उपलब्ध कराया गया है।

• 2016 में पहली बार निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम शुरू किये गए जिससे धूल एवं प्रदूषण में काफी कमी आई।

• दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा धूल दबाने और पानी के छिड़काव करने वाले सैकड़ों वाहन उपलब्ध कराए गए। सार्वजनिक वाहनों के लिए ऑड ईवन नियम व्यस्था को लाया गया।

• दिल्ली सरकार द्वारा डीटीसी बसो में महिलाओं के लिए फ्री बस सेवाएं। जिससे दिल्ली की सड़कों पर व्यक्तिगत यातायात के साधनों को कम कर सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हाल ही में ग्रीनपीस इंडिया की "बस्टलिंग थ्रू द सिटी" रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में डीटीसी विभिन्न आयु समूहों, लिंग एवं क्षेत्रों के 89.1% बस यात्रियों का पसंदीदा साधन है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने स्मॉग और प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों से बचाव हेतु जारी किए दिशा-निर्देश

सर्दियों में बढते वायु-प्रदूषण के स्तर के कारण लोगों को घर के अंदर ही रहने की सलाह दी है और बाहर निकलने से मना किया है। सुबह या शाम में बाहरी क्रियाकलापों को करने की बात कही गई है। स्मोकिंग से बचाव एवं कचरे को जलाने से मना किया है। पानी के अधिक सेवन की सलाह दी जाती है ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाए। विटामिन c, मैगनीशियम एवं ओमेगा फैटी एसिड से भरपूर फलों के सेवन की हिदायत दी जाती है ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो। मुख्य सड़कों के इस्तेाल से मना किया जाता है ताकि लोग प्रदूषण कणों से दूर रह सकें।

बचाव के लिए आगे की राह

वायु प्रदूषण वैश्विक समाज के समक्ष एक प्रमुख चुनौती के रूप में है। राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर इसे लेकर कई सराहनीय प्रयास भी किये गए हैं, किंतु इसके बावजूद प्रदुषण का कोई सटीक व प्रभावी उपाय नहीं है,यह अभी भी वैश्विक समाज को प्रभावित कर रहा है। इसके समाधान के लिए मानव समाज को प्रकृति और औद्योगीकरण के बीच सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक है| सरकार, गैर सरकारी संगठनों, और नागरिकों का सहयोग व सर्मथन ही वायुप्रदूषण को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कारगर कदम होगा|

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